ज्ञानवापी परिसर हिंदुओं को सौंपने, शिवलिंग की पूजा का अधिकार देने और ज्ञानवापी में मुस्लिमों का प्रवेश प्रतिबंधित करने की मांग करने वाली याचिका को अदालत ने सुनवाई योग्य माना

उत्तर प्रदेश सोनभद्र

सफल समाचार
पुनीत राय

ज्ञानवापी परिसर हिंदुओं को सौंपने, शिवलिंग की पूजा का अधिकार देने और ज्ञानवापी में मुस्लिमों का प्रवेश प्रतिबंधित करने की मांग करने वाली याचिका को अदालत ने सुनवाई योग्य माना है। सिविल जज सीनियर डिवीजन फास्ट ट्रैक कोर्ट महेंद्र कुमार पांडेय की अदालत में किरन सिंह इस बारे में याचिका दाखिल की थी। गुरुवार को अदालत ने किरन सिंह की और से दाखिल वाद पर मुस्लिम पक्ष यानि अंजुमन इंजामिया मसाजिद की तरफ से वाद की पोषणीयता को ऑर्डर 7 रूल 11 के तहत दी गई चुनौती को खारिज कर दिया और वाद को सुनवाई योग्य पाया।

कोर्ट ने इसी के साथ पक्षकारों को लिखित बयान दाखिल करने और वाद बिंदु तय करने के लिए दो दिसंबर की तिथि नियत कर दी। इस तारीख पर मुद्दे पर सुनवाई होगी कि पूजा की इजाजत मिले या नहीं। उधर श्रृंगार गौरी वाद की चार महिलाओं की तरफ से भगवान आदि विश्वेश्वर का मुकदमा श्रृंगार गौरी वाद के साथ सुनवाई किए जाने की अर्जी जिला जज की अदालत में दी है। जिस पर 21 नवंबर को सुनवाई होनी है।

हिंदू पक्ष के वकील के अनुसार यह बहुत बड़ी सफलता है। हमारा केस पहले से ही बहुत मजबूत है। यहां पर भी वर्शिप एक्ट 1991 लागू नहीं होता। अब हिंदू पक्ष अगली सुनवाई में ज्ञानवापी में मिले शिवलिंग की पूजा का अधिकार मांगेगा और परिसर का एक और सर्वे की मांग करेगा। वहीं मुस्लिम पक्ष सिविल जज सीनियर डिवीजन फास्ट ट्रैक कोर्ट के इस आदेश के खिलाफ जिला जज की अदालत में जा सकता है।


पत्नी किरण सिंह के साथ जितेंद्र सिंह बिसेन

विश्व वैदिक सनातन संघ के अध्यक्ष जितेंद्र सिंह बिसेन की पत्नी किरन सिंह ने 24 मई को वाद दाखिल किया था। इसमें वाराणसी के डीएम, पुलिस आयुक्त, अंजुमन इंतेजामिया कमेटी के साथ ही विश्वनाथ मंदिर ट्रस्ट को प्रतिवादी बनाया गया था। बाद में 25 मई को जिला जज ने मुकदमे को फास्ट ट्रैक अदालत में ट्रांसफर कर दिया था। मुस्लिम पक्ष ने वाद की पोषणीयता पर सवाल खड़ा किया और इसे 1991 वर्शिप एक्ट के तहत चुनौती दी थी।

अदालत ने दोनों पक्षों की दलीलों और पत्रावली पर उपलब्ध साक्ष्यों और कानून की नजीरों के आधार पर मुस्लिम पक्ष के आवेदन में बल न पाते उनकी तरफ से दिए गए ऑर्डर 7 रूल 11 के आवेदन को खारिज करते हुए नाबालिग भगवान आदि विश्वेश्वर के वाद को सुनवाई योग्य पाया। सभी पक्षकारों को लिखित बयान दाखिल करने के साथ वाद बिंदु तय करने के लिए दो दिसंबर की तिथि नियत कर दी।

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