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मयंक तिवारी
सात दिन पहले घायल हुए युवक की मौत के मामले में आक्रोशित ग्रामीणों ने 21 घंटे तक धरना प्रदर्शन किया। एसएसपी, प्रशासनिक अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों के साथ दिन भर कई दौर की वार्ता के बाद कोतवाल और एसएसआई को अवकाश पर भेजने का निर्णय लिया गया। साथ ही एसपी सिटी मनोज कुमार कत्याल के नेतृत्व में टीम गठित की गई जो पीड़ित परिजनों के साथ पुलिस के दुर्व्यवहार की जांच करेगी। एसएसपी ने आश्वासन दिया कि जांच में हत्या किया जाना सामने आने पर आरोपियों पर धारा 302 की बढ़ोतरी भी की जाएगी। इसके बाद शाम करीब 4:30 बजे पुलिस व प्रशासनिक अफसरों की मौजूदगी में शव की अंत्येष्टि कर दी गई।
हल्दुआ गांव निवासी मुन्ना लाल पुत्र मिहि लाल ने पुलिस को सौंपी तहरीर में कहा था उनका पोता अरुण कश्यप (18) पुत्र कृष्णपाल कश्यप अपने साथी अजय के साथ 14 नवंबर की रात करीब 8:30 बजे बाइक से सिसैया से हल्दुआ लौट रहा था। रास्ते में सिसैया के जुनैद और व उसके 5-6 अज्ञात साथियों ने मारपीट कर उसे गंभीर रूप से घायल कर दिया था। अरुण को हल्द्वानी के निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया था जहां इलाज के दौरान रविवार को अरुण ने दम तोड़ दिया था।
इससे आक्रोशित परिजन व उनके समर्थक शव लेकर रविवार की शाम को कोतवाली गेट पर आ गए थे। मध्य रात करीब सवा दो बजे तक ग्रामीण, परिजन व समर्थक कोतवाली गेट पर शव रखकर धरना-प्रदर्शन करते रहे। रात में एसएसपी डॉ. मंजूनाथ टीसी से वार्ता के बाद परिजन शव लेकर अपने गांव हल्दुआ तो चले गए लेकिन आरोपियों की गिरफ्तारी और कोतवाल को हटाने के बाद ही दाह संस्कार करने की मांग पर अड़े रहे।
सोमवार की सुबह को ग्रामीण व आसपास के लोगों की मृतक युवक के घर पर भीड़ लग गई। परिजनों ने अंत्येष्टि करने से साफ इन्कार कर दिया। ग्रामीणों के आक्रोश को देखते हुए पूरे गांव व संपर्क मार्गों को छावनी में बदल दिया गया। सितारगंज में पहले तैनात रहे पुलिस अधिकारियों को समाधान निकालने के लिए मौके पर बुलाया गया। जिले भर से फोर्स, महिला पुलिस बल व पीएसी गांव में तैनात कर दी गई।
दोपहर करीब 12:30 बजे एसएसपी डॉ. मंजूनाथ टीसी ने मृतक के परिजनों एवं विश्व हिंदू परिषद पदाधिकारियों से वार्ता की। परिजन आरोपितों को तत्काल गिरफ्तार करने और धारा 324 को 302 में तरमीम करने की मांग करने लगे। उन्होंने कोतवाल पर अभद्रता करने का आरोप लगाया। कहा कि पुलिस ने सूचना के बाद तत्काल कोई कार्रवाई नहीं की।
विहिप नेता रंदीप पोखरिया ने आरोप लगाया कि पूरे प्रकरण में कोतवाल का आचरण संतोषजनक नहीं रहा था। उस समय ग्रामीणों की मांगों पर सहमति नहीं बन सकी। इसके बाद दोपहर ढाई बजे एसएसपी ने पुन: वार्ता की। तय हुआ कि कोतवाल और एसएसआई को अनिवार्य अवकाश पर भेजा जाएगा। एसपी सिटी के नेतृत्व में कोतवाल के दुर्व्यवहार की विभागीय जांच की जाएगी।
मृतक की अंत्येष्टि के बाद ही प्रशासनिक अफसर मौके से लौटे
ग्रामीणों की नाराजगी को देखते हुए पुलिस के आला अफसर और प्रशासनिक अमला सुबह से ही गांव में डटा रहा। मृतक की अंत्येष्टि के बाद ही प्रशासनिक अफसर मौके से लौटे। एडीएम जयभारत सिंह, एसपी मनोज कुमार कत्याल, एसडीएम तुषार सैनी, तहसीलदार जगमोहन त्रिपाठी समेत जिलेभर के कोतवाली के निरीक्षक मौके पर पहुंचे थे। सभी ने ग्रामीणों को समझाकर मृतक की अंत्येष्टि के लिए समझाया। दिनभर विभिन्न स्तरों से वार्ता होती रही।
मनाने गए सुरेश गंगवार को भी ग्रामीणों ने वापस लौटाया
सितारगंज। सोमवार को सुबह 11 बजे जिला पंचायत अध्यक्ष रेनू गंगवार के पति सुरेश गंगवार हल्दुआ गांव पहुंचे। उन्होंने डीजीपी से फोन पर वार्ता की। डीजीपी ने ग्रामीणों को निष्पक्ष कार्रवाई का भरोसा दिलाया और परिजनों से अंतिम संस्कार करने का आग्रह किया लेकिन महिलाएं आरोपितों की गिरफ्तारी पर अड़ी रहीं। उन्होंने सुरेश गंगवार को भी लौटा दिया। दोपहर को विहिप नेता रंदीप पोखरिया के नेतृत्व में विहिप और बजरंग दल के पदाधिकारी मौके पर पहुंच गए और शव को लेकर हाईवे पर जाने की तैयारी करने लगे लेकिन एसपी सिटी मनोज कुमार कत्याल, एसपी अभय सिंह, सीओ ओमप्रकाश शर्मा, एसडीएम तुषार सैनी, तहसीलदार जगमोहन त्रिपाठी व खुफिया विभाग के अफसरों ने किसी तरह ग्रामीणों को समझाया