सफल समाचार अजीत सिंह
ओबरा-ऊर्जा निगमों के शीर्ष प्रबन्धन पर मा. ऊर्जा मंत्री को कर रहे गुमराह,विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति, ने मा. ऊर्जा मंत्री के साथ हुए लिखित समझौते के क्रियान्वयन हेतु प्रदेश के मुख्यमंत्री मा. श्री योगी आदित्यनाथ से प्रभावी हस्तक्षेप किये जाने की पुनः अपील की है।संघर्ष समिति द्वारा जारी बयान में अंकित प्रकाश, आरजी सिंह ने कहा कि मा.ऊर्जा मंत्री के साथ हुए लिखित समझौते को लागू करने की मांग में कुछ भी राजनीतिक नहीं है। यह बिजलीकर्मियों की नैसर्गिक न्याय की मांग है। ऐसा प्रतीत होता है कि इस बाबत ऊर्जा निगमों के शीर्ष प्रबन्धन ने अपनी अकर्मण्यता छिपाने हेतु मा. ऊर्जा मंत्री को पूरी तरह से गुमराह किया है।शशिकांत श्रीवास्तव राष्ट्रीय उपाध्यक्ष अखिल भारतीय विद्युत मजदूर महासंघ ने कहा कि हड़ताल करने के लिए बिजली कर्मियों को बाध्य किया जा रहा है। उल्लेखनीय है कि विगत 03 दिसम्बर 2022 को हुए लिखित समझौते में स्पष्ट तौर पर लिखा है कि मा. ऊर्जा मंत्री के अनुरोध पर संघर्ष समिति ने 15 दिन के लिए आन्दोलन स्थगित करने की सहमति प्रदान की। अब जबकि 110 दिन व्यतीत हो चुके हैं एवं प्रबन्धन की हठधर्मिता के चलते समझौता लागू नहीं हो रहा है।अजय सिंह, प्रांतीय उत्पादन अध्यक्ष, बिजली कर्मचारी संघ ने कहा कि उच्च प्रबंधन की दोहरी नीति से उत्पन्न संकट को देखते हुए बिजलीकर्मियों के सामने लोकतांत्रिक ढंग से सांकेतिक हड़ताल के अलावा अन्य कोई विकल्प नहीं है ,16 मार्च तक ऊर्जा मंत्री के साथ हुए समझौते का क्रियान्वयन सुनिश्चित नहीं कराया गया तो 16 मार्च की रात्रि 10:00 बजे से ओबरा तापी परियोजना के तमाम बिजली कर्मचारी/ जूनियर इंजीनियर/ अभियंता एवं निविदा /संविदा कर्मी 72 घंटे की हड़ताल पर जाने को विवश होंगे।शाहिद अख्तर,अतिरिक्त महामंत्री विद्युत कार्यालय कार्मिक संघ ने कहा कि समझौता के क्रियान्वयन में सबसे बड़ी बाधा ऊर्जा निगम के चेयरमैन श्री एम देवराज का रवैया है जो माननीय ऊर्जा मंत्री के साथ हुए समझौते को मानने से इंकार कर रहे हैं और माननीय ऊर्जा मंत्री से हुए समझौते के प्रति सार्वजनिक रूप से अनादर व्यक्त कर रहे हैं।संघर्ष समिति ओबरा के नित्यानंद सिंह,आनंद पटेल ,प्रहलाद शर्मा ,श्रीकांत गुप्ता ,दिनेश कुमार यादव, उमेश कुमार, प्रभात पांडे, बानी व्रत बनर्जी ,योगेंद्र कुमार दिनेश चौरसिया , गौरी शंकर मंडल, दीपू गोपीनाथन आदि वक्ताओं ने कहा कि 03 दिसम्बर के बाद उप्र में होने वाले जी-20 सम्मेलन एवं इन्वेस्टर्स समिट की महत्ता और इन सम्मेलनों में मा. प्रधानमंत्री एवं मा. मुख्यमंत्री की उपस्थिति की गरिमा को ध्यान में रखते हुए बिजलीकर्मियों ने अपने पूर्व निर्धारित सभी ध्यानाकर्षण कार्यक्रम को स्थगित कर सुचारू बिजली आपूर्ति बनाये रखने हेतु अहर्निश प्रयास किया। मार्च माह की महत्ता को बिजलीकर्मी बखूबी समझते है किन्तु सरकार को यह विचार करना चाहिए कि ऊर्जा निगमों का शीर्ष प्रबन्धन समझौता लागू करने में सबसे बड़ी बाधा है। ऐसे में बिजलीकर्मियों पर हड़ताल थोपी जा रही है।