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प्रवीण शाही
उत्तर प्रदेश विधानसभा के बजट सत्र के दौरान तमकुहीराज के विधायक डॉ असीम कुमार ने क्षेत्रवासियों की एक पुरानी माँग को सदन के पटल पर रखा। अपने वक्तव्य में उन्होंने सन 1942 में सेवरही में शहीद हुए ग्यारह स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों को याद किया तथा अमृत काल का जिक्र करते हुए डॉ असीम ने तमकुही राज के संस्थापक और लगभग तीन दशकों तक कम्पनी हुकूमत का सशस्त्र विद्रोह करने वाले महाराजा फतेह बहादुर साही के सम्मान में स्मृति स्थल के निर्माण की मांग उठाई।
गौरतलब है कि महाराजा फतेह बहादुर साही ने 1765 में हुई इलाहाबाद की संधि को मानने से इनकार कर दिया और कंपनी सरकार को टैक्स नहीं दिया। कंपनी हुकूमत के दबाव बनाने पर उन्होंने अपना हुस्सेपुर (गोपालगंज) का किला छोड़ कर बाकजोगनी के जंगल में झरही नदी के किनारे तमकुही में अपना कैम्प बनाकर गोपालगंज से लेकर गोरखपुर तक कंपनी के खिलाफ गुरिल्ला युद्ध करते रहे। जहाँ बाद में महल बने और 1790 में अपने पुत्र को तमकुही राज का महाराजा बहादुर घोषित कर के नवीन राज्य का राज्यारोहण किया। महाराजा फतेह बहादुर साही स्वयं आजीवन कम्पनी हुकूमत के खिलाफ सक्रीय रहे। अंग्रेज अधिकारियों के पत्रों में लिखा ही कि महाराजा फतेह साही ने कम्पनी हुकूमत को को महाराष्ट्र के पेशवा से भी अधिक परेशान किया है। कुछ इतिहासकारों और साहित्यकारों ने महाराजा फतेह बहादुर साही को भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का प्रथम वीर नायक भी माना है।
डॉ असीम कुमार द्वारा इस माँग को उठाने पर क्षेत्रवासियों ने प्रसन्नता जाहिर की है। क्षेत्रवासियों का कहना है कि इस स्मृति स्थल का निर्माण हमारी पीढ़ी द्वारा हमारे उन सभी पूर्वजों के लिए श्रद्धांजलि होगी जो विषम परिस्थितियों में राष्ट्र की रक्षा के लिए संघर्षरत रहे एवं अपना सर्वस्व न्योछावर कर दिया।