सफल समाचार अजीत सिंह
सोनभद्र जनपद में रोजगार का जबरदस्त संकट है। युवाओं का भारी संख्या में पलायन है अब स्थिति इतनी विकट है कि दलित, आदिवासी व गरीब पृष्ठभूमि की बहुतायत लड़कियां बैंगलोर जैसे शहरों में काम के लिए जाने पर मजबूर हैं। महज मजदूरों का ही नहीं बल्कि जनपद से पूंजी का भी पलायन हो रहा है। जो पैसा यहां के नागरिकों का बैंकों में जमा है उसका महज 32 प्रतिशत ही ऋण के रूप में यहां के लोगों को मिलता है और शेष पूंजी बाहर चली जाती है। प्राकृतिक संपदा,सार्वजनिक संपत्ति और विकास मदों की यहाँ लूट हो रही है जबकि होना यह चाहिए कि खनिज व वन सम्पदा आदि में सहकारी समितियों के माध्यम से यहां के लोगों को हक़ मिलता। दरअसल लूट और सरकारी उपेक्षा ही यहां के विकास के अवरुद्ध होने, पिछड़ेपन एवं पर्यावरण संकट की मुख्य वजह है। शिक्षा-स्वास्थ्य व्यवस्था की हालत बेहद खस्ता है। आदिवासी और गरीब लड़कियों में भी पढ़ने और समाज में योगदान करने की चाहत है लेकिन दुद्धी व घोरावल जैसे आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र में महिला डिग्री कालेज न होने से वह उच्च शिक्षा से वंचित हैं। सरकारी स्वास्थ्य संस्थानों में बुनियादी सुविधाओं का घोर अभाव है। यहां 8 सीएससी में कहीं पर भी स्त्री एवं प्रसूति रोग विशेषज्ञ नियुक्त नहीं हैं, इसी तरह विशेषज्ञ चिकित्सक के पद बड़ी संख्या में रिक्त पड़े हुए हैं। सिंचाई के समुचित साधन न होने और किसान जो फसलें पैदा करते हैं खासतौर पर टमाटर व सब्जियों की सरकारी खरीद की गारंटी न होने से औने पौने दामों पर बेचना पड़ता है जिससे किसानी संकट में है। खेती-किसानी और आजीविका के गंभीर संकट के दौर में कम से कम मनरेगा में न्यूनतम सौ दिन काम देना चाहिए लेकिन अमूमन जनपद में मनरेगा में काम ठप है। उक्त बातें आल इंडिया पीपुल्स फ्रंट (आइपीएफ) प्रदेश महासचिव दिनकर कपूर ने सिंचाई विभाग डाक बंगले में संवाददाताओं को संबोधित करते हुए कहीं। उन्होंने कहा कि आदिवासियों के विकास की बड़ी बड़ी बातें की जाती हैं लेकिन वह अभी तक वनाधिकार कानून के तहत जमीनों पर पट्टा से वंचित हैं जबकि जमीन का सवाल उनकी आजीविका से जुड़ा हुआ है। कोल आदिवासी को अनुसूचित जनजाति की सूची में कब सम्मिलित किया जाएगा इसे सरकार नहीं बताती है। हर घर नल योजना के तहत पेयजल आपूर्ति ग्रामीण आबादी के बेहद कम हिस्से तक पंहुची है जब कि इसके नाम पर हैंड पंप आदि की मरम्मत एवं अन्य वैकल्पिक स्रोत पर संसाधन न मुहैया कराने से पेयजल संकट बेहद गंभीर हैप्रेस वार्ता में मौजूद संयुक्त युवा मोर्चा के केंद्रीय टीम के सदस्य एवं युवा मंच के प्रदेश संयोजक राजेश सचान ने बताया आज देश में बेरोजगारी की समस्या चिंताजनक है । लेकिन इसके हल के लिए सरकार कतई गंभीर नहीं है। ऐसे में देशभर के 113 युवा संगठनों ने 3 अप्रैल को दिल्ली में संयुक्त युवा मोर्चा का गठन कर देशव्यापी रोजगार आंदोलन की घोषणा की है। जिसमें प्रमुख रूप से रोजगार को कानूनी अधिकार देने, केन्द्र सरकार व राज्यों में रिक्त पड़े तकरीबन एक करोड़ पदों को तत्काल भरने, संविदा प्रथा को खत्म करने और अर्थव्यवस्था की रीढ़ माने जाने वाले सेक्टर जैसे रेलवे, बैंक, बिजली, कोयला समेत शिक्षा-स्वास्थ्य जैसे बेहद जरूरी क्षेत्रों के निजीकरण पर रोक लगाने जैसे मुद्दे शामिल हैं।कहा कि रोजगार का सवाल हल किया जा सकता है बशर्ते सरकार अडानी-अंबानी जैसे कारपोरेट्स की लूट व मुनाफाखोरी पर रोक लगाए, रोजगार सृजन के लिए ऊपर के एक फीसद अमीरों पर संपत्ति व एस्टेट ड्यूटी जैसे उपायों से वित्तीय संसाधनों की उपलब्धता सुनिश्चित करे। रोजगार के प्रश्नों को हल करने के लिए बड़े पैमाने पर खेती आधारित उद्योग लगाने चाहिए, नौजवानों को उद्यम लगाने के लिए पूंजी, तकनीक और मार्केट मुहैया कराया जाना चाहिए। सोनभद्र में यहां के बैंकों में नागरिकों का जमा धन ही सहकारी समितियों के माध्यम से नौजवानों को उद्यम लगाने के लिए दिया जाए और इसकी गारंटी सरकार ले तो युवाओं के पास उद्यम शुरू करने के लिए पूंजी की कमी नहीं होगी। उन्होंने समाज के सभी हिस्सों से संयुक्त युवा मोर्चा द्वारा जारी रोजगार आंदोलन का समर्थन करने की अपील की। प्रेस वार्ता में आइपीएफ जिला संयोजक कृपा शंकर पनिका, प्रवक्ता महेंद्र प्रताप सिंह, संयुक्त युवा मोर्चा के शिव शरण भारतीय आदि मौजूद रहे।