मरीज की मौत के बाद शव रखकर तीन घंटे करना पड़ा पुलिस का इंतजार जिला अस्पताल में भर गए बेड, सीएमएस बोले, बिल्डिंग नहीं तो बेड कहां से बढ़ेगा, ऐसे ही काम चलेगा

उत्तर प्रदेश कुशीनगर

सफल समाचार 
विश्वजीत राय 

पडरौना। सिस्टम की लापरवाही शनिवार को जिला अस्पताल में आए मरीजों के साथ खूब देखने को मिली।
स्वास्थ्यकर्मियों की लापरवाही से एक गर्भवती महिला के इलाज में देरी हो गई। परिजन उसे जिला अस्पताल के एमसीएच विंग में लेकर पहुंचे, जहां महिला डॉक्टर ने उसे मृत घोषित कर दिया। परिजनों ने स्वास्थ्य विभाग पर लापरवाही का आरोप लगाकर हंगामा किया। जिला अस्पताल में ही एक लावारिस व्यक्ति को पुलिस लेकर पहुंची, जहां इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई। स्वास्थ्यकर्मियों ने 500 मीटर दूर रवींद्रनगर चौकी की पुलिस को करीब दस बजे सूचना दी, लेकिन दोपहर एक बजे पुलिस पहुंची। जिला अस्पताल में उल्टी-दस्त व बुखार के मरीजों की संख्या बढ़ने के कारण रात में सभी बेड फुल रहे, जिसकी वजह से रात भर मरीज परेशान रहे।
एनएम की लापरवाही : गर्भवती की मौत, एमसीएच विंग में हंगामा
प्रसव पीड़ा होने पर आशा लेकर पहुंची थी एनएम के आवास पर
जिम्मेदारों ने झाड़ा पल्ला, शव लेकर घर चले गए परिजन
संवाद न्यूज एजेंसी
पडरौना। एक एएनएम की लापरवाही से शनिवार को गर्भवती महिला की मौत हो गई। नाराज घरवालों ने जिला अस्पताल के एमसीएच विंग में हंगामा खड़ा कर दिया। जिम्मेदार पीड़ित की बात सुनने के बजाय पल्ला झाड़ लिए। बिलखते हुए परिजन शव लेकर चले गए।

रामकोला थाना क्षेत्र के धुआंटीकर गांव के निवासी अर्जुन की शादी 15 वर्ष पूर्व सपहां के मैनपुर गांव निवासी मंशा (32) साल के साथ हुई थी। मंशा दो माह से मायके में रह रही थी। वह गर्भवती थी। शनिवार को सुबह करीब आठ बजे प्रसव पीड़ा होने पर गांव की आशा उसे सपहां सीएचसी पर न ले जाकर नौगावां के पास एएनएम के निजी आवास पर लेकर चली गई। घरवालों का आरोप है कि एएनएम के इंजेक्शन लगाने के बाद गर्भवती महिला को झटका आया और सांस रुक गईं। आनन-फानन प्राइवेट एंबुलेंस से जिला अस्पताल भेज दिया। यहां गर्भवती को देखने के बाद महिला डॉक्टर ने मृत घोषित कर दिया। नाराज घर वाले हंगामा करने लगे।
स्वास्थ्यकर्मी शव ले जाने के लिए घरवालों पर दबाव बनाने लगे। करीब एक घंटे तक शव रखकर घरवाले बिलखते रहे। एमसीएच विंग में ड्यूटी कर रहे डॉक्टर या स्वास्थ्यकर्मियों ने भी पीड़ितों की बातों को नहीं सुना। आरोप है कि एएनएम की तैनाती फाजिलनगर के सोहंग स्वास्थ्य उपकेंद्र पर है। घरवालों का रो-रोकर बुरा हाल हो गया है। मृतका के भाई अनिल ने सीएमओ को कई बार फोन किया, लेेकिन उनका फोन रिसीव नहीं हुआ। सीएमओ डॉ. सुरेश पटारिया ने बताया कि ऐसी जानकारी मुझे नहीं है। शिकायत मिलती है तो जांच कर कार्रवाई की जाएगी।

वहीं पर रुक गई थी बहन की सांस, झूठ बोलकर किया रेफर
संवाद न्यूज एजेंसी
पडरौना। बहन की लाश के पास बिलख रहा भाई अर्जुन बोल रहा था कि इंजेक्शन लगने के बाद ही बहन की सांस थम गई। अपना गला छुड़ाने के लिए उसकी लाश को जिला अस्पताल भेेज दिया। इसे सुनने के बाद मौजूद लोगों की आंखें भर आईं और लोग सरकारी सिस्टम को कोसने लगे।
मंसा की चार बेटियां हैं। पति अर्जुन पटना में राज मिस्त्री का काम करता है। उसकी चाहत एक बेटे की थी। लेकिन ईश्वर को कुछ और मंजूर था। घर पर अकेली होने के कारण वह दो माह से अपने मायके में रह रही थी। ताकि प्रसव के दौरान किसी तरह की परेशानी न हो। इसकी मौत की खबर मिलते ही ससुराल से मायके पक्षवालों में चीख-पुकार मच गई। इसकी बेटी घालु (12), प्रीति (11), बेध्या (8), सृष्टि (6) घर पर मां के अस्पताल से आने का इंतजार कर रही थीं, लेकिन घर पर उसकी लाश पहुंची।

शव वाहन से भेजी गई लाश
एमसीएच विंग की सीढ़ी पर गर्भवती की लाश रखकर बिलख रहे घरवाले कार्रवाई की मांग कर रहे थे, लेकिन कोई इनकी बातों को नहीं सुन रहा था। एक स्वास्थ्यकर्मी ने शव वाहन को फोन किया और शव के साथ घर भेज दिया। अस्पताल की बजाय एएनएम के आवास पर आशा ले गई थी। यह आरोप मृतका की मां लगा रही थी।

पुलिस के इंतजार में तीन घंटे शव की करनी पड़ी निगरानी

पुलिस बोली, देर से मिली जानकारी, डॉक्टर बोले मेमो रिसीव का देखें टाइम

आधा घंटा इंतजार के बाद शव वाहन नहीं मिला, भाड़े के वाहन से ले गए शव
सड़क के किनारे मजदूर मिला था अचेत, घर से सुबह निकला था काम पर

संवाद न्यूज एजेंसी

पडरौना। मजदूर की लाश पुलिस के इंतजार में लगभग तीन घंटे तक जिला अस्पताल के इमरजेंसी वार्ड में पड़ी रही। मेमो भेजने के बाद करीब 300 मीटर की दूरी तय करने में रवींद्रनगर धूस पुलिस को तीन घंटे लग गए। जब एंबुलेंस के इंतजार की बारी आई तो घरवाले बुझे मन से किराए के वाहन से शव लेकर चले गए।

तमकुहीराज थाना क्षेत्र के अंबेडकरनगर गांव निवासी चनेशर (62) रोज की तरह घर से शुक्रवार को सुबह करीब सात बजे भोजन कर बगहीकुटी मजदूरी करने निकला। देर रात को गांव के बाहर सड़क के किनारे अचेत मजदूर पुलिस को मिला। पुलिस ने जिला अस्पताल में उसे भर्ती कराया। उसकी पहचान नहीं हो सकी थी। स़ुबह घरवालों को जानकारी हुई तो वे जिला अस्पताल पहुंचे, तब तक मजदूर दम तोड़ चुका था।
पुलिस ने लावारिस हालत में मजदूर को भर्ती कराया था। इसलिए मृत्यु के बाद स्वास्थ्यकर्मियों ने शव ले जाने से घर वालों को रोक दिया। रवींद्रनगर धूस पुलिस को करीब 10 बजे मेमो भेजा। करीब 300 मीटर दूर रवींद्रनगर थाने से इमरजेंसी पहुुंचने में पुलिस को तीन घंटे लग गए। करीब एक बजे पहुंची पुलिस ने जांच के बाद शव को परिजनों को सौंप दिया। शव मिलने के बाद शव वाहन ढूंढने लगे। आधा घंटा इंतजार के बाद भी शव वाहन नहीं मिला तो प्राइवेट वाहन से शव लेकर घरवाले चले गए।
मजदूर की बहू सुनीता ने बताया कि शव का पोस्टमार्टम नहीं कराना था। इसकी जानकारी डॉक्टर को दी गई। बावजूद इसके पुलिस के आने का तीन घंटे इंतजार करना पड़ा। एक तो दुख का पहाड़ टूटा, दूसरे यहां की व्यवस्था ने मन व्यथित कर दिया।
रवींद्रनगर धूस के थानाध्यक्ष राजेश मिश्रा ने बताया कि मेमो जब मिला, उसके कुछ ही देर बाद पुलिस पहुंच गई। पुलिस की तरफ से कोई विलंब नहीं किया गया। वहीं, इमरजेंसी ड्यूटी में तैनात डॉक्टर का दावा है कि मेमो जो रिसीव किया गया है, उसका टाइम देख लें। पुलिस की वजह से देरी हुई है।

सीएमएस बोले : बिल्डिंग नहीं तो बेड कहां से बढ़ेगा, ऐसे ही काम चलेगा
जिला अस्पताल के सभी वार्ड फुल, बेड के लिए आ रहीं सिफारिशें
दवा काउंटर से लेकर इमरजेंसी में मरीज भर्ती कराने के लिए जूझते रहे लोग
संवाद न्यूज एजेंसी
पडरौना। जिला अस्पताल में इलाज के लिए आने वालों को कदम-कदम पर समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। बेड, खून की जांच और एक्सरे के लिए मरीजों को सिफारिश करानी पड़ रही है। बावजूद इसके स्वास्थ्य महकमा सभी मरीजों को सुविधाएं मुहैया नहीं करा पा रहा है। इसकी वजह बदइंतजामी और कर्मचारियों की मनमानी बताई जा रही है।
मौसम में बदलाव की वजह से जिला अस्पताल में मरीजों की संख्या बढ़ती जा रही है। शनिवार को सिर्फ दोपहर तक ओपीडी चली और 796 मरीजों ने इलाज के लिए रजिस्ट्रेशन कराया। ओपीडी में 10:30 बजे के बाद डॉक्टर पहुंचे, जबकि छह बेड की इमरजेंसी और 70 बेड के जनरल वार्ड में बेड से अधिक मरीज भर्ती किए गए थे। रात को बेड नहीं मिलने के चलते मरीजों को फर्श पर लेटना पड़ा।
दबाव को देखते हुए वार्ड में करीब नो बजे राउंड पर आए डॉ. उपेंद्र चौधरी को फोन कर सीएमएस ने भर्ती के बाद जिन मरीजों में थोड़ा सुधार है, उन्हें छुट्टी करने के लिए कहा। ऐसे में करीब 40 मरीजों को दवा देकर घर भेज दिया गया। इसके बावजूद 70 बेड वाले जनरल वार्ड में 94 मरीज भर्ती हैं।
चिल्ड्रेन वार्ड, एसएनसीयू, पीआईसीयू वार्ड में भी बेड से अधिक बच्चे भर्ती हैं। पीआईसीयू और एसएनसीयू में भर्ती बच्चों के घरवालों को वार्ड के बाहर रहने का कोई इंतजाम नहीं है। दवा काउंटर पर भी दिन में 11:20 बजे भीड़ थी। आपस में लोग धक्का-मुक्की कर रहे थे।
इमरजेंसी में मरीजों को लेकर आए तीमारदार भर्ती कराने के लिए पर्चा बनवाने को जूझते दिखे। मरीजों की संख्या में हो रहे इजाफा और अस्पताल में व्यवस्थाओं की कमी के कारण स्वास्थ्यकर्मी भी परेशान हैं।

कोट
मरीजों की संख्या बढ़ने से बेड की कमी हो रही है। बिल्डिंग नहीं है, इसलिए बेड नहीं बढ़ सकता है। जो व्यवस्था है, उसी में काम चलाया जा रहा है। तमाम वीआईपी लोगों की सिफारिशें बेड के लिए आ रही हैं। उपलब्ध संसाधनों में काम चलाया जा रहा है।
-सीएमएस, डॉ. एचएस राय

कोई सुनने वाला नहीं है
खिरिया टोला निवासी मुमताज (50) जिला अस्पताल के प्राइवेट वार्ड में भर्ती हैं। सुबह राउंड के बाद डॉक्टर ने खून जांच के लिए लिखा। लेकिन एक बजे तक इनके खून का सैंपल नहीं निकाला गया था। इनकी पत्नी हसीना ने बताया कि दस बार वार्ड में स्टाफ नर्स के पास जा चुकी हूं, लेकिन कोई सुन नहीं रहा है। दो दिनों में यहां की व्यवस्था से तंग आ चुकी हूं।

फर्श पर गुजरी रात, दिन में मिला बेड
इमरजेंसी में सिर्फ छह बेड हैं। इसलिए इलाज के बाद मरीजों को जनरल वार्ड में शिफ्ट किया जा रहा है। रात को रामकेवल (68), रामपुकार (25), बच्ची देवी (57), प्रियांशु (22), रीता (35) ने बताया कि तेज बुखार और सांस फूल रही है। रात को इमरजेंसी से वार्ड में भेज दिया गया, लेकिन यहां पर बेड नहीं मिला। सुबह मरीजों के डिस्चार्ज होने के बाद बेड मिला है। शिकायत के बाद भी कोई सुनने वाला नहीं है।

जिला अस्पताल में मरीजों की जांचें बढ़ीं
एक्सरे और खून जांच कराने वालों की संख्या बढ़ी है। शनिवार को 85 लोगों ने हड्डी फ्रैक्चर और सीने का एक्सरे कराया, जबकि शुक्रवार को 238, बृहस्पतिवार को 256, बुधवार को 277 लोगों ने एक्सरे कराया था। वहीं, पैथाेलॉजी में शनिवार को ढाई सौ, शुक्रवार को 268, बृहस्पतिवार को 256, बुधवार को 329 मरीजों के खून की जांच हुई। खून जांच कराने और रिपोर्ट के लिए मरीजों को काफी इंतजार करना पड़ रहा है।

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