सफल समाचार
शेर मोहम्मद
देवरिया। नागरी प्रचारिणी सभा की ओर से द्वितीय शनिवारीय काव्य गोष्ठी चौपाल का आयोजन किया गया। इसमें उपस्थित कवियों ने अपनी रचनाओं से श्रोताओं की वाहवाही लूटी।
सर्वप्रथम गीतकार वीरेंद्र तिवारी मधुर ने वाणी वंदना मइया मनवा में नवरस भर जइतू हो.. से हुआ। डाॅ. दिवाकर प्रसाद तिवारी ने कर्ण की व्यथा कविता में पिरोते हुए आहत मन से पूछता हूं मां, क्या मैं तुम्हारा पुत्र नहीं था..से स्वयं कविता को पारिभाषित किया। व्यंग्यकार विनय पाठक ने जाने वो दौर अब आएगा, जब इंसान से मिलने इंसान आयेगा कविता से तालियां बटोरी। फिर नवोदित कवि विकास तिवारी विक्की ने अपनी व्यथा आखिर तो तुम्हें जाना ही है, फैसला फैसला होता है से व्यक्त किया, कवि दयाशंकर कुशवाहा ने नारी की विवशता और पुरुष के व्यवहार को लक्ष्य करके हुए जननी है श्रीराम चंद्र की मइया है गिरधारी की, भूल गया यह भारत कैसे मर्यादा उस नारी की गीत से कवि गोष्ठी को ऊंचाई दी। उन्हें सभा के अध्यक्ष परमेश्वर जोशी, मंत्री डॉ.अनिल त्रिपाठी एवं गोष्ठी के संयोजक डॉ. सौरभ श्रीवास्तव, इंद्र कुमार दीक्षित ने अंग वस्त्र देकर सम्मानित किया। कवयित्री पार्वती देवी ने सावन को गीतों में साकार करते हुए अपनी कजरी जिया झुमि गइल बरखा बहार से, सावन के फुहार से ना, प्रस्तुत किया। अंजलि अरोड़ा ने गजल तेरी खुशबू से महकेगें तेरी खुशबू बिखेरेंगे.., से सबको मंत्रमुग्ध कर दिया। सौदागर सिंह ने कजरी शैली में शिव भजन प्रस्तुत किया
गजलकार फिगार देवरियावी ने इस दौर में ज़िन्दगी कैसे गुजारोगे तुम्हें इस दौर में जीने का फन नहीं आता गजल से युगीन विडंबना को रेखांकित करने का प्रयास किया। संचालन कर रहे व्यंग्यकार योगेन्द्र तिवारी योगी ने अपना व्यंग्य एक सज्जन दहेज विरोधी आंदोलन चला रहे थे सुनाई। कवि गोष्ठी में राधेमोहन सिंह, विनोद पांडेय, कीर्ति त्रिपाठी, पुष्कर तिवारी, राधेश्याम श्याम, योगेन्द्र पांडेय, नित्यानंद आनन्द, रविनन्दन सैनी, लालता प्रसाद चौधरी, सरोज कुमार पांडेय, इन्द्र कुमार दीक्षित, शैलेशचन्द्र तिवारी शैलेष, रमेश चन्द्र तिवारी ने भी अपनी रचनाएं प्रस्तुत की। इस अवसर पर सरोज कुमार पांडेय उपाध्यक्ष, श्वेतांक मणि त्रिपाठी, अनिल कुमार त्रिपाठी विज्ञान संचारक, रवींद्र नाथ तिवारी, श्यामजी, जीतेंद्र प्रसाद तिवारी, धर्मशील तिवारी, प्रदीप गिरी, नित्यानंद आनंद आदि उपस्थित रहे।