गोरखपुर जिला अस्पताल में हर दिन लगने वाले 150 से अधिक एंटी रेबीज इंजेक्शन भी इस बात की तस्दीक कर रहे हैं कि गली के कुत्ते किस कदर लोगों को अपना शिकार बना रहे हैं।

उत्तर प्रदेश गोरखपुर

सफल समाचार 
सुनीता राय 

घरों में पाले गए जर्मन शेफर्ड, राॅटबिलर और पुटबिल से ज्यादा खतरनाक गली के कुत्ते हैं। गली के कुत्तों का वैक्सीनेशन नहीं होता और ये आपके दरवाजे के इर्द-गिर्द ही मंडराते हैं। अगर काट लिए तो जान पर बन आएगी। इन्हें न तो मारिए-पीटिए और न भगाइए।

बस जरूरत है, इन्हें एंटी रैबीज वैक्सीन लगवाने की। यह काम कॉलोनी के लोग भी कर सकते हैं। लोगों का कहना है कि देसी कुत्तों को पकड़कर जंगल में छोड़ने के लिए नगर निगम भारी भरकम रकम खर्च करता है, उसी बजट से इनका वैक्सीनेशन करा दे तो हर कोई सुरक्षित रहेगा।

गली के कुत्तों के आतंक से आम से लेकर खास सभी वर्ग के लोग परेशान हैं, लेकिन इनसे बचने का इंतजाम किसी के पास नहीं है। जबकि यह मुसीबत हर दरवाजे पर खड़ी है। इसका शिकार कब कौन हो जाए, किसी को भी नहीं पता। जिला अस्पताल में हर दिन लगने वाले 150 से अधिक एंटी रेबीज इंजेक्शन भी इस बात की तस्दीक कर रहे हैं कि गली के कुत्ते किस कदर लोगों को अपना शिकार बना रहे हैं। इसमें भी 30 फीसदी बच्चे हैं। इसे लेकर कुछ शिकायतें नगर निगम तक पहुंचीं भी, लेकिन मामला गली के कुत्तों का था, तो शिकायतों को भी नजरअंदाज कर दिया गया।

हर गली, काॅलोनी में कुत्तों का झुंड रात-दिन घूम रहा है। हालात ऐसे हैं कि रात में अगर कोई काॅलोनी में पैदल या मोटरसाइकिल लेकर चला जाए तो ये कुत्ते दौड़ा लेते हैं। कई बार बाइक सवार कुत्तों से पीछा छुड़ाने के लिए स्पीड तेज करते हैं, तो वे अनियंत्रित होकर गिर जाते हैं और चोटिल हो जाते हैं। कुछ कॉलोनियां ऐसी भी हैं, जहां लोग डर के मारे अपने बच्चों को शाम के वक्त निकलने से भी मना कर देते हैं।
 
गली के कुत्तों का वैक्सीनेशन जरूरी

विवेकपुरम सोसायटी निवासी आशुतोष सिंह ने कहा कि कॉलोनियों में कुत्तों का खतरा बढ़ गया है। ये काटने के साथ गंदगी भी कर रहे हैं। इसे लेकर नगर निगम से शिकायतें भी की गई है। लेकिन, कोई सुनवाई नहीं हुई। नगर निगम को कुत्तों की जनसंख्या पर अंकुश लगाने की जरूरत है। इनका भी वैक्सीनेशन कराएं। काॅलोनी के लोगों से भी बात करेंगे कि सब मिलकर इन्हें एआरवी का इंजेक्शन लगवा दें।

शोर मचाते हैं…भगाइए तो काटने को दौड़ाते हैं
पूर्वी आजाद नगर निवासी अविनाश तिवारी ने कहा कि काॅलोनी में गली के कुत्तों का आतंक इस कदर है कि इनकी शोर से बातचीत करना मुश्किल हो जाता है। रात में इस तरह यह भौंकते हैं कि सुनाई तक नहीं देता। अगर इन्हें भगाने जाएं तो काटने को दौड़ा लेते हैं। स्थिति ऐसी हो गई है कि शाम के वक्त बच्चों को कॉलोनी में खेलने के लिए खुद ही निगरानी रखनी पड़ती है। नगर निगम इन्हें पकड़ने की बजाय, इनका वैक्सीनेशन कराए।

अपार्टमेंट में कुत्ता पालना मना
श्रीजी अपार्टमेंट निवासी राज किशोर ने कहा कि कॉलोनी में कुत्तों की संख्या बढ़ती जा रही है। इसकी वजह से आए दिन कोई न कोई इनका शिकार हो रहा है। इस पर रोक लगाने की जरूरत है। खुद भी इसके लिए जागरूक होना होगा। अपार्टमेंट में कुत्ता पालने मना किया गया है। नगर निगम को इस दिशा में काम करने की जरूरत है।

वैक्सीनेशन के लिए सामूहिक प्रयास जरूरी

जैमिनी रेजीडेंसी मांधाता सिंह ने कहा कि अपार्टमेंट में जो कुत्ते पाले गए हैं। उनका वैक्सीनेशन तो हुआ है, लेकिन अपार्टमेंट के बाहर निकलते ही कॉलोनी में कुत्तों का झुंड रहता है, जो आए दिन लोगों को दौड़ा लेता है। कई बार लोग कुत्तों से बचने के लिए गाड़ी की स्पीड बढ़ा देते हैं, जिसकी वजह से गिर जाते हैं। कई बार कुत्ते आक्रामक होकर हमला भी कर देते हैं। इनका भी वैक्सीनेशन जरूरी है। यह प्रयास व्यक्तिगत व नगर निगम दोनों तरफ से हो।

कोनी में बनेगा संरक्षण केंद्र वहीं होगा वैक्सीनेशन
नगर आयुक्त गौरव सिंह सोगरवाल ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट की ओर से जारी नियमों के अनुसार आवारा कुत्तों को पकड़कर कहीं शिफ्ट (विस्थापित) नहीं किया जा सकता। शहर में ऐसे कुत्तों की समस्याएं बढ़ रही हैं। निगम ने कोनी इलाके में एनिमल बर्थ कंट्रोल सेंटर बनाने का प्रस्ताव शासन को भेजा है।

कुत्तों को पकड़कर यहां रखा जाएगा। ये करीब 5 हजार स्क्वायर फिट क्षेत्रफल में 1.62 करोड़ रुपये की लागत से बनाया जाएगा। इसके बन जाने के बाद आवारा कुत्तों को यहां लाकर चार से पांच दिन रखा जाएगा और यहीं पर उनका वैक्सीनेशन किया जाएगा।

 

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