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शेर मोहम्मद
जीएसटी विभाग का दावा है कि मोदी केयर फर्म ने टायर को नेपाल में बेचकर जो आईटीसी (इनपुट टैक्स क्रेडिट) रिटर्न लिया था, वह नियमानुसार गलत है। संजय के साथ व्यापार करने वाली सहयोगी फर्माें का रिकॉर्ड नहीं मिला है। नेपाल में जिन फर्म को टायर की बिक्री की गई है, उनका भी रिकॉर्ड नहीं मिला है।
जीएसटी की केंद्रीय टीम ने मंगलवार को हिंदी बाजार में छापा मारा। नेपाल में भी टायर का कारोबार करने वाले कारोबारी मोदी केयर फर्म के प्रोपराइटर संजय मोदी के आवास पर भी टीम पहुंची। टीम का दावा है कि जांच के दौरान 6.50 करोड़ रुपये की कर चोरी पकड़ी गई। इतनी मोटी रकम का धंधा हुआ और रिकॉर्ड में फूटी कौड़ी भी दर्ज नहीं थी। यानि पूरा धंधा जोड़तोड़ से चल रहा था।
करीब चार घंटे तक टीम ने घर पर ही जांच की और फिर कारोबारी संजय को अपने साथ लेकर कस्टम दफ्तर गई। वहां भी लंबी पूछताछ के बाद जीएसटी टीम ने बुधवार देर शाम करीब छह बजे ढाई करोड़ रुपये जमा करवाकर कारोबारी को वापस जाने दिया। पूछताछ में कई अहम सुराग भी हाथ लगे हैं, जो कुछ और मामले भी खुलवा सकते हैं। उधर, जीएसटी की टीम की कार्रवाई से हिंदी बाजार में हड़कंप मचा है।
हिंदी बाजार में शीतला माता मंदिर के सामने कारोबारी संजय मोदी का आवास है। मंगलवार को बाजार बंद था, दोपहर में अचानक सेंट्रल जीएसटी (वस्तु एवं सेवा कर) की टीम संजय मोदी के आवास पर पहुंची। टीम ने संजय मोदी से उनके टायर के व्यापार को लेकर पूछताछ शुरू की। दस्तावेजों की भी पड़ताल की, जिसके बाद करीब 6.50 करोड़ रुपये की कर चोरी की बात सामने आई। सूत्र बताते हैं कि अचानक से इतनी बड़ी रकम सुनकर संजय भी भौचक रह गए।
जीएसटी विभाग का दावा है कि मोदी केयर फर्म ने टायर को नेपाल में बेचकर जो आईटीसी (इनपुट टैक्स क्रेडिट) रिटर्न लिया था, वह नियमानुसार गलत है। संजय के साथ व्यापार करने वाली सहयोगी फर्माें का रिकॉर्ड नहीं मिला है। नेपाल में जिन फर्म को टायर की बिक्री की गई है, उनका भी रिकॉर्ड नहीं मिला है। ऐसे में जीएसटी की टीम ने बिक्री के आधार उन फर्मों के कर का भी निर्धारण करते हुए कार्रवाई की।
सूत्रों की माने तो मोदी केयर की ओर से कुछ फर्मों से टायर मंगवा कर नेपाल भेजा जाता है। इसी संबंध में की गई जांच-पड़ताल में कर चोरी का मामला सामने आया है। सूत्रों के अनुसार, कस्टम कार्यालय में पूछताछ के दौरान पहले तो संजय आरोपों से इनकार करते रहे लेकिन, जब विभागीय दस्तावेजों को दिखाया गया तो उन्होंने गड़बड़ी की बात मा ली। इसके बाद उन्होंने परिजनों को फोन कर मौके पर ही ढाई करोड़ रुपये जमा करवाए।
कस्टम मोहर से खुला खेल