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सुनीता राय
नेपाली टमाटर के मंडी में पहुंचने के साथ ही बंगलुरू के टमाटर अब मंडी से गायब हो गया है। महंगा होने के कारण कोई भी व्यापारी बंगलुरू के टमाटर को नहीं खरीद रहा है। बुधवार को बहुत ही कम दुकानों पर बंगलुरु के टमाटर देखने को मिले।
नेपाल से तस्करी करके लाया जा रहा टमाटर यहां की मंडियों में भरा पड़ा है। तस्करी के ही मामले में नेपाल सीमा पर तैनात छह पर गाज भी गिर चुकी है। लेकिन, तस्करों का नेटवर्क और सिस्टम इतना मजबूत है कि किसी को कार्रवाई का कोई खौफ नहीं है। अंदाजा इसी बात से लगा लें कि दस दिन पहले तक महेवा मंडी में रोजाना दो गाड़ियां आती थीं लेकिन, कस्टम के अफसरों के नपने के बाद अब सात से आठ गाड़ियां आने लगी हैं।
बंगलुरु के टमाटर से काफी सस्ता होने के चलते नेपाली टमाटर की मांग भी ज्यादा है और व्यापारियों को इसे खपाने में बहुत मशक्कत भी नहीं करनी पड़ रही है। मंडी के जानकारों के मुताबिक रोजाना सात से आठ लाख रुपये का नेपाली टमाटर महेवा मंडी में खपाया जा रहा है।
महेवा थोक मंडी के पिछले 10 दिनों से धड़ल्ले से नेपाली टमाटर आ रहे हैं। ये टमाटर मंडी में इसलिए छा गए क्योंकि ये बंगलुरू के टमाटर से काफी सस्ते हैं और व्यापारियों को मोटा मुनाफा भी मिल रहा है। जो टमाटर कारोबारी बंगलुरू के टमाटर मंगाते थे, अब वह भी ज्यादा मुनाफे के लिए नेपाली टमाटर का कारोबार करने लगे हैं।
नेपाल से अवैध तरीके से तस्करी करके लाए जा रहे टमाटर अब महेवा मंडी के अलावा आसपास की मंडियों में भी पहुंचने लगा है। चौरीचौरा, खलीलाबाद, महाराजगंज, बस्ती की मंडी में नेपाली टमाटर रोजाना पहुंच रहा है। बुधवार को मंडी में बंगलुरू के टमाटर 100 से 120 रुपये किलो बिके जबकि नेपाली टमाटर 60 से 80 रुपये की कीमत किलो
मंडी से बंगलुरु के टमाटर गायब