सफल समाचार
सुनीता राय
खोराबार टाउनशिप एवं मेडिसिटी योजना में जीडीए की ओर से काम कराया जा रहा है। योजना के लिए आवेदन की प्रक्रिया पूरी हो चुकी है। इसलिए क्षेत्र में बने अतिक्रमण को जीडीए हटा रहा है। जीडीए की कार्रवाई का भी विरोध हो रहा है।
गोरखपुर जिले में विकास कार्यों के लिए अधिग्रहित जमीनों के बदले ज्यादा मुआवजे के लिए किसानों को उकसाकर माहौल खराब करने वालों की मुश्किलें बढ़ने जा रही हैं। नेता बनकर अगुवाई कर रहे लोगों की तलाश प्रशासन ने शुरू कर दी है। एलआईयू और अन्य स्रोतों से ऐसे लोगों के बारे में जानकारी जुटाई जा रही है, जो मुआवजे से प्रभावित नहीं हैं, फिर भी आंदोलन को हवा देकर माहौल बिगाड़ रहे हैं।
जिले में अलग-अलग विकास कार्य चल रहे हैं। इनमें जगदीशपुर जंगल कौड़िया रिंग रोड निर्माण कार्य, खोराबार टाउनशिप एवं मेडिसिटी योजना और जंगल कौड़िया सोनौली बाईपास के प्रोजेक्ट प्रमुख हैं। पूर्व में जंगल कौड़िया-सोनौली बाईपास के निर्माण कार्य को रोकते हुए किसान शासन से तय रकम से अधिक मुआवजा की मांग कर रहे थे। इस मसले पर प्रशासन की ओर से सभी किसानों को आर्बिट्रेशन दाखिल करने को कहा गया।
इसके बाद जंगल कौड़िया-जगदीशपुर रिंग रोड का मामला सामने आ गया। इसके लिए 26 गांवों के किसानों की जमीन ली गई है। यहां भी किसान विरोध प्रदर्शन कर रहे है। किसानों ने सहमति पत्र नहीं जमा कराया। अब आर्बिट्रेशन के लिए दस्तावेज जमा करा रहे हैं।
इसके अलावा खोराबार टाउनशिप एवं मेडिसिटी योजना में जीडीए की ओर से काम कराया जा रहा है। योजना के लिए आवेदन की प्रक्रिया पूरी हो चुकी है। इसलिए क्षेत्र में बने अतिक्रमण को जीडीए हटा रहा है। जीडीए की कार्रवाई का भी विरोध हो रहा है। यहां पर कुछ राजनीतिक दलों के नेता सहित अन्य ऐसे लोग भी सक्रिय हो गए हैं जो जीडीए की कार्रवाई से प्रभावित नहीं है। लेकिन, वह लोगों को उकसाकर माहौल बिगाड़ने में लगे हैं।
ऐसे लोगों की गोपनीय तरीके से पहचान कराई जा रही है। इसी तरह से जगदीशपुर-जंगल कौड़िया रिंग रोड प्रकरण में भी बेवजह सक्रिय लोगों की तलाश चल रही है। बुधवार को एलआईयू के लोग जीडीए की कार्रवाई के दौरान पहुंचे थे। एलआईयू की एक टीम सभी मामलों में पैनी नजर रख रही है।