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सुनीता राय
राप्तीनगर पार्षद बृजेश सिंह छोटे ने कहा कि नए शवदाह गृह के संचालन के जिम्मेदार लापरवाहीपूर्वक काम कर रहे हैं। शुक्रवार को मेरे भतीजे का अंतिम संस्कार वहां किया गया। कोई इंतजाम नहीं था। यहां तक कि पानी की व्यवस्था मुझे करनी पड़ी। इसके लिए मैनेजर को मैंने फटकार लगाई और इसकी जानकारी नगर आयुक्त एवं मेयर को भी दी।
राप्ती तट पर बने नए शवदाह गृह के लॉकर में रखी भाई की अस्थियों को पाने के लिए एक युवक को पूरे दिन परेशान होना पड़ा। व्यवस्थापक ने यह कहकर पल्ला झाड़ लिया कि एक नेताजी (पार्षद) चाभियां लेकर कहीं चले गए हैं। जबकि पार्षद का कहना है कि अपनी कमियों को छिपाने के लिए आरोप लगाया गया है।
बात अधिकारियों तक पहुंची, तब जाकर शाम पांच बजे लॉकर खोला गया और युवक को अस्थियां दी गईं। लेकिन तब उसकी ट्रेन छूट गई। वह ट्रेन से वाराणसी जाकर गंगा नदी में अस्थियां विसर्जित करने वाला था।
मामला शुक्रवार का है। जाफरा बाजार निवासी अमित कुमार के भाई सुजीत का निधन दो दिन पहले हो गया था। उन्होंने भाई का अंतिम संस्कार नए शवदाह गृह पर कराया और अस्थियां वहां बने लॉकर में सुरक्षित रखवा दीं। शुक्रवार को वह अस्थियां लेकर ट्रेन से वाराणसी जाने वाले थे। जब वह शवदाह गृह पहुंचे तो पता चला कि लॉकर की चाभी नहीं हैं। वहां गार्ड के अलावा कोई नहीं था। गार्ड से व्यवस्थापक का मोबाइल नंबर लेकर बात की तो पता चला लॉकर की चाबी राप्तीनगर के पार्षद बृजेश सिंह छोटू लेकर चले गए।
इसके बाद सुमित ने यह बात नगर निगम के अधिकारियों को बताई। सिर्फ उन्हें आश्वासन मिलता रहा। इंतजार में ट्रेन भी छूट गई। शाम पांच बजे एक कर्मचारी ने आकर लॉकर खोला। इसके बाद उन्हें अस्थियां मिलीं। सुमित नगर निगम की व्यवस्था को कोसते घर चले गए। उन्होंने कहा कि इतना अमानवीय व्यवहार मैंने नहीं देखा था।
गर आयुक्त गौरव सिंह सोगरवाल ने कहा कि गैसीफायर संयंत्र का संचालन एक निजी एजेंसी को दिया गया है। नियमानुसार उन्हें संचालन करना है। लॉकर की चाबी नहीं मिलने की जानकारी नहीं है। अगर फर्म की तरफ से ऐसी लापरवाही हुई है, तो नोटिस देकर जवाब मांगा जाएगा।
भतीजे के अस्थियां गुमटी में रखवाईं
राप्तीनगर पार्षद बृजेश सिंह छोटे ने कहा कि नए शवदाह गृह के संचालन के जिम्मेदार लापरवाहीपूर्वक काम कर रहे हैं। शुक्रवार को मेरे भतीजे का अंतिम संस्कार वहां किया गया। कोई इंतजाम नहीं था। यहां तक कि पानी की व्यवस्था मुझे करनी पड़ी। इसके लिए मैनेजर को मैंने फटकार लगाई और इसकी जानकारी नगर आयुक्त एवं मेयर को भी दी। अस्थियों को रखे जाने वाले लॉकर की चॉबी लेकर जाने की बात पूरी तरह निराधार है। सच तो यह कि अपनी कमियां छिपाने के लिए व्यवस्थापक खुद ही चाबी लेकर फरार हो गए। मेरे भतीजे की अस्थियां मैंने एक गुमटी में रखवाई हैं।