जिला अस्पताल में 50 बेड का सीसीयू बनाने का आदेश जनवरी में ही आया था, अब तक नहीं बना, गंभीर मरीजों के लिए व्यवस्था नहीं

उत्तर प्रदेश कुशीनगर

सफल समाचार 
विश्वजीत राय 

पांच सीनियर रेजीडेंट और 40 जूनियर रेजीडेंट की हो चुकी है तैनाती
अगस्त में आईसीयू स्थापित कर संचालित करने की संभावना

पडरौना। जिला अस्पताल में आने वाले गंभीर मरीजों के बेहतर इलाज के लिए सीनियर रेजीडेंट और जूनियर रेजीडेंट की नियुक्ति कर दी गई है। इससे ईएमओ की समस्या कम हो गई है, लेकिन गंभीर मरीजों को भर्ती करने का कोई इंतजाम नहीं हुआ है। यहां आईसीयू का प्रबंध न होने के कारण हेड इंजरी और अन्य गंभीर मरीजों को मेडिकल कॉलेज गोरखपुर रेफर कर दिया जा रहा है। वहां ले जाते समय अधिकतर की मौत हो जा रही है।
कुशीनगर के जिला अस्पताल का नाम बदलकर जिला संयुक्त चिकित्सालय संबद्ध स्वशासी राजकीय मेडिकल कॉलेज कर दिया गया है। जब तक जिला अस्पताल के लिए नई जगह जमीन अधिग्रहीत नहीं कर ली जाती और नया भवन बन नहीं जाता, तब तक यह इसी भवन में संचालित होगा। मेडिकल कॉलेज अभी निर्माणाधीन है।

जिला अस्पताल में पहले ईएमओ का पद रिक्त होने के कारण ज्यादातर मरीजों का समुचित इलाज नहीं हो पाता था और उन्हें रेफर करना पड़ता था। मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ. आरके शाही के कार्यभार संभाल लेने के बाद डॉक्टरों की नियुक्ति प्रक्रिया शुरू कर दी गई।
अब तक पांच एसआर (सीनियर रेजीडेंट) और 40 जेआर (सीनियर रेजीडेंट) की नियुक्ति की जा चुकी है। इमरजेंसी यूनिट में आने वाले मरीजों के इलाज के लिए जेआर की शिफ्टों में तैनाती भी कर दी गई है, लेकिन संसाधनों की कमी के कारण गंभीर मरीजों को अब भी रेफर करना पड़ रहा है। इस अस्पताल में अब तक आईसीयू की स्थापना नहीं हो सकी है।

50 बेड के सीसीयू के लिए सात माह पूर्व आया था आदेश
जिला अस्पताल में गंभीर हालत में आने वाले मरीजों को तत्काल रेफर न करना पड़े और यहीं इलाज हो सके, इसके लिए सीसीयू (क्रिटिकल केयर यूनिट) की स्थापना के लिए शासन से आदेश आया था। उसमें यहां 50 बेड के सीसीयू के निर्माण के लिए शासन ने स्वीकृति दी थी।
अस्पताल में कार्यालय के दाहिने तरफ सीसीयू के लिए जमीन चिह्नित कर ली गई थी। इसका निर्माण चार हजार वर्गमीटर क्षेत्रफल में होना था, लेकिन इस मद में धन न आ पाने के कारण काम शुरू नहीं हो सका था। अगर यह यूनिट बन जाती तो डॉक्टर और पैरामेडिकल स्टाफ 24 घंटे उपलब्ध होते। यदि किसी मरीज को वेंटिलेटर पर रखना पड़ता, तब भी समस्या नहीं आती।

कोविड काल के बाद से पड़े वेंटिलेटर का होता सदुपयोग
आईसीयू या क्रिटिकल केयर यूनिट संचालित करने के लिए संसाधन उपलब्ध हैं। कोरोना काल के बाद जिला अस्पताल को करीब 40 वेंटिलेटर मिले थे, जिनका उपयोग नहीं हो पा रहा। कोरोना से बचाव के लिए कभी-कभी ड्राईरन होता है। फिर मशीनें जस की तस पड़ी रहती हैं। इसके अलावा ऑक्सीजन कंसेंट्रेटर भी मिले थे, जो रखे हुए हैं। जिला अस्पताल में एसआर और जेआर की नियुक्ति होने के बाद से डॉक्टरों की कमी दूर हो गई है। अस्पताल के चिकित्सकीय स्टाफ को इन्हें संचालित कराने का प्रशिक्षण दिलाकर मरीजों को कुछ राहत दी जा सकती है।

60 बेड के बनाए जा रहे इमरजेंसी और सर्जरी वार्ड
अव्यवस्था के बीच होने वाले इलाज से मरीजों को छुटकारा दिलाने के लिए जिला अस्पताल की सर्जरी और इमरजेंसी में 60 बेड बढ़ाने की प्रक्रिया चल रही है। इससे बेड की समस्या भी कम होगी। इमरजेंसी और सर्जरी वार्ड भरने के बाद मरीजों को इमरजेंसी से जनरल वार्ड में ले जाकर भर्ती नहीं करना पड़ेगा।

शिफ्टों में लग रही जेआर की ड्यूटी
जिला अस्पताल को मिले जेआर में से प्रतिदिन 12 की ड्यूटी इमरजेंसी यूनिट में लगाई जा रही हैं। दिन में छह-छह घंटे और रात में 12 घंटे की ड्यूटी लग रही है। प्रत्येक शिफ्ट में चार-चार जेआर तैनात किए जा रहे हैं। ये एमबीबीएस डॉक्टर हैं, जो नियुक्ति होने के बाद जिला अस्पताल में तैनात किए गए हैं। इसके अलावा पांच एसआर की नियुक्ति हुई है, जो एमबीबीएस के अलावा एमएस और एमडी के डिग्रीधारक भी हैं।

छह दिनों में आ चुके हैं 971 गंभीर मरीज
जिला अस्पताल की इमरजेंसी यूनिट में सोमवार से शनिवार को दोपहर 12 बजे तक 971 मरीज भर्ती हुए हैं। उनमें 241 को दवा देकर हालत ठीक होने के बाद घर भेज दिया गया, अन्य का इलाज हुआ। अस्पताल के रिकॉर्ड में तो 22 गंभीर मरीज रेफर हुए हैं, लेकिन ऐसे अति गंभीर मरीज भी आते हैं जिनकी स्थिति संभालने लायक न होने पर वहीं से गोरखपुर भेज दिया जाता है। क्योंकि संसाधन के अभाव में उनका इलाज नहीं हो पाता।

केस-एक
चौराखास थाना क्षेत्र के लोहरवलिया निवासी कुशल यादव के 20 वर्षीय पुत्र आनंद यादव अपने छोटे भाई 17 वर्षीय प्रिंस और गांव के ही 16 वर्ष के अंकित के साथ 24 जून को फाजिलनगर से आधारकार्ड सुधार कराकर बाइक से घर लौट रहे थे। बड़हरा-बनकटा मार्ग पर लछिया देवरिया गांव के पास स्थित अंधे मोड़ पर तेज रफ्तार बोलेरो की चपेट में आने से तीनों गंभीर रूप से घायल हो गए थे। परिजन जिला अस्पताल लेकर आए थे, जहां इलाज की समुचित व्यवस्था न होने के कारण आनंद की मौत हो गई थी। प्रिंस और अंकित को मेडिकल कॉलेज गोरखपुर रेफर करना पड़ा था।

केस-दो
बरवापट्टी थाना क्षेत्र के रामपुर बरहन गांव के लक्ष्मीपुर डीही टोला में जमीन के विवाद एक पक्ष ने रामकली देवी नाम की एक महिला की पिटाई कर दी थी, जिससे वह गंभीर रूप से घायल हो गई थी। परिजन जिला अस्पताल में भर्ती कराए थे। वहां इलाज के दौरान महिला की मौत हो गई थी।

केस-तीन
कसया थाना क्षेत्र के गोबरही गांव में 14 जुलाई को छत की सफाई करते समय एक बुजुर्ग पैर फिसल जाने के कारण नीचे गिर गए। परिजन उन्हें जिला अस्पताल ले आए, लेकिन यहां इलाज की समुचित व्यवस्था न होने और उनकी हालत गंभीर होने के कारण डॉक्टर ने जिला अस्पताल से मेडिकल कॉलेज गोरखपुर रेफर कर दिया।

वर्जन-
अस्पताल में आईसीयू बहुत जरूरी है। पांच एसआर और 40 जेआर मिल गए हैं। उनकी नियुक्ति हो गई है। इसके अलावा आईसीयू संचालित करने के लिए एनेस्थेसिया, टेक्निकल कर्मचारियों की नियुक्ति कराने का प्रयास किया जा रहा है। उम्मीद है कि अगस्त तक इसका संचालन शुरू हो जाए।

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