सफल समाचार
शेर मोहम्मद
आवासीय और उसरा औद्योगिक क्षेत्र का कचरा भी नाला के रास्ते नदियों में पहुंच रहा है
8.8 किलोमीटर के नाले के पानी को स्वच्छ करने के लिए भी एसटीपी नहीं
देवरिया। जिले की दो नगर पालिका और पंद्रह नगर निकाय में कहीं भी एसटीपी में नहीं है। इससे करीब 1.10 लाख घरों का गंदा पानी विभिन्न नदियों और कुर्ना में सीधे गिर रहा है। यह पानी जनपद की मुख्य नदी सरयू और राप्ती तक पहुंच रहा है। जबकि एनजीटी का सख्त निर्देश है कि एसटीपी (सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट) सभी निकायों में लगाया जाए। रुद्रपुर और बरहज इलाके में नदियों में नाले का पानी गिरने से जलीय जीवों पर संकट तो है ही, दूषित जल का इस्तेमाल करने वालों की सेहत पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है। नदियों के दूषित होने के कारण फसलों पर भी प्रभाव पड़ता है। शहर के ही कुर्ना में नाले का दूषित पानी गिर रहा है।
शहर में 44 करोड़ से बनने वाले 8.8 किलोमीटर के नाला के लिए एसटीपी की व्यवस्था नहीं की गई है। इसके कारण नए नाला से हर रोज निकलने वाला हजारों लीटर गंदा पानी कुर्ना के दूसरे छोर से भी गिरने लगा है। जबकि पहले से ही शहर के गोरखपुर रोड स्थित ओवरब्रिज से नाले में बिना एसटीपी के गंदा पानी गिरने के कारण जल दूषित हो चुका है। हालत यह है कि नगर पालिका देवरिया, बरहज सहित अन्य नगर पंचायतों के आवासीय इलाकों के घरों का पानी सहायक नदियों के रास्ते नदियों में गिर रहा है। इसके अलावा आवासीय और उसरा औद्योगिक क्षेत्र का कचरा नाला के रास्ते नदियों में पहुंच रहा है।
शहर के करीब 35 हजार घरों का पानी कुर्ना नाले के रास्ते करमेल बनरही, कोरवा, मदनपुर गोला में गायघाट के पास राप्ती नदी में मिल जाता है। रुद्रपुर नगरीय क्षेत्र का गंदा पानी सेमरौना के पास बथुआ नाले में मिल जाता है। कुर्ना नाला गायघाट के पास राप्ती नदी में मिल जाता है। इसी तरह बरहज नगर पालिका क्षेत्र का गंदा पानी थाना परिसर और पटेल नगर के पास सरयू नदी में गिरता है। सलेमपुर, भटनी के नगरीय क्षेत्र का भी बिना ट्रीटमेंट के ही गंदा पानी छोटी गंडक नदी में चला जाता है। यह राप्ती नदी में मिल जाती है। इसी तरह रामपुर कारखाना कस्बे का पानी करमैनी नाला से होकर छोटी गंडक नदी में गिरता है। लापरवाही के कारण सरयू, राप्ती, गोर्रा व छोटी गंडक नदी भागलपुर, लार के पिंडी इलाके से होकर बिहार प्रांत में प्रवेश करती है। इन नदियों का पानी भी कई जगहों पर खराब हो गया है। नगर पंचायत हेतिमपुर क्षेत्र में छोटी गंडक नदी, कोटवा, रामपुर कारखाना, भटनी, मझौलीराज के रास्ते होकर बिहार बॉर्डर पर मेहरौनाघाट के आगे सरयू नदी में मिल जाती है। पर इस गंभीर समस्या की ओर किसी का ध्यान नहीं है।
जल प्रदूषण मापन के लिए नहीं लगा यंत्र
जिले की प्रमुख नदियां सरयू, राप्ती, छोटी गंडक चिह्नित स्थानों पर प्रदूषण मापन के लिए बीओडी (कार्बनिक पदार्थों के जैव रासायनिक) के लिए इंडिकेटर भी नहीं लगाए गए हैं। इस कारण जल प्रदूषण स्तर का रिकाॅर्ड नहीं तैयार हो पा रहा है और दिनोंदिन गंभीर हो रही समस्या का आकलन नहीं हो पा रहा है।
कोट
एनजीटी के नियमों की अनदेखी की जा रही है। बिना एसटीपी के नाले का पानी नहीं गिरना चाहिए। इससे जलीय जीवों के जीवन पर खतरा मंडरा रहा है। इतना ही नहीं, पानी दूषित होने के कारण कैंसर जैसी घातक बीमारी भी बढ़ रही है।
विजेंद्र राय लवली, पर्यावरण प्रहरी
कोट:
कभी बरूथनी नदी का पानी इतना स्वच्छ था कि कोई भी पी सकता था, लेकिन जब से शहर का गंदा पानी नदी में जाने लगा है, पानी खराब हो गया है।
मनोज सिंह
नदियों का पानी प्रदूषित होने से मानवीय और जलीय जीवों पर गहरा प्रभाव पड़ता है। पहले नदी का पानी स्वच्छ होता था, लेकिन इस समय स्थिति यह है कि प्रदूषित होने के कारण अगर कोई पानी पी ले तो बीमार हो जाएगा। खराब पानी पीने से चर्म रोग और पेट का रोगी हो जाता है। पशुओं को नुकसान करता है और जलीय जीव समाप्त हो रहे हैं।
डॉ. सतीश जायसवाल
जिले के लार नगर निकाय में एसटीपी का निर्माण हो रहा है। अन्य जगहों पर भी प्रस्तावित है। एसटीपी लगाने के लिए निकायों को निर्देश भी दिए गए हैं। प्रदूषण मापन यंत्र भी लगाए जाएंगे।