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मनमोहन राय
सपा विधायक दारा सिंह चौहान के इस्तीफे के साथ ही भाजपा की चुनावी रणनीति अब साफ होने लगी है । उनके भाजपा में शामिल होने की घोषणा जल्द हो सकती है । माना जा रहा है कि दारा सिंह चौहान के इस्तीफा से भाजपा ने अपने उस अभियान की शुरूआत कर दी है, जिसके तहत लोकसभा चुनाव में विपक्ष खास तौर पर सपा को तगड़ा झटका देने की रणनीति है । सूत्रों की माने तो सपा के कई और विधायक भी भाजपा के संपर्क में हैं। उनको साथ लाने के लिए भाजपा के कुछ नेताओं को मिशन पर लगाया गया है ।
दरअसल लोकसभा चुनाव में प्रदेश की सभी 80 सीटों को जीतने का लक्ष्य लेकर चल रही है भाजपा पिछड़ी जाति को साधने की रणनीति पर काम कर रही है । इसके तहत ही भाजपा ने जहां, दूसरे दलों के पिछड़ों नेताओं को पार्टी से जोड़ने का अभियान चला रखा है । वहीं, विधानसभा चुनाव के दौरान भाजपा से सपा में गए नेताओं को भी वापस लाने की भी मुहिम शुरू कर दी है। योगी-01 में वन मंत्री रहे दारा सिंह चौहान के इस्तीफे को भाजपा के इसी अभियान की कड़ी माना जा रहा है । इनके अलावा पूर्व मंत्री धर्म सिंह सैनी के भी वापसी की अटकले हैं, लेकिन कहा जा रहा है कि सैनी को लेकर कुछ पेंच है, इसलिए उनके मुद्दे पर अभी फैसला नहीं हो पाया है ।
सूत्रों की माने तो सपा के कई विधायकों पर भी भाजपा की नजर है । सपा विधायकों के भाजपा के संपर्क में होने की भी बात कही जा रही है । कहा जा रहा है कि भाजपा के एक बड़े नेता के जरिए इन विधायकों से संपर्क किया गया है। वहीं, पश्चिमी यूपी के कुछ बसपा सांसद भी भाजपा में शामिल हो सकते हैं। प्रदेश में दूसरे दलों के नेताओं को भाजपा में लाने के अभियान के तहत समन्वय जिम्मेदारी उप मुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक और परिवहन मंत्री दयाशंकर सिंह को सौंपी गई है।
रालोद से भी हो सकता है गठबंधन
विपक्षी एकता के मुहिम के जवाब में भाजपा ने भी एनडीए को मजबूत करने का अभियान चला रखा । 2017 में भाजपा के साथ और 2022 में सपा के साथ विधानसभा चुनाव लड़ने वाले सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (सुभासपा) का तो फिर से भाजपा के साथ आना लगभग पक्का हो गया है। वहीं सूत्रों का कहना है कि जल्द ही सपा के एक और सहयोगी रालोद के अध्यक्ष जयंत चौधरी भी सपा का साथ छोड़ भाजपा के साथ गठबंधन कर सकते हैं। सूत्रों का तो यहां तक कहना है कि केन्द्र के मंत्रिमंडल विस्तार में जहां जयंत को लिया जा सकता है, वहीं प्रदेश सरकार में ओमप्रकाश राजभर को भी कैबिनेट मंत्री बनाने की तैयारी है। रालोद और सुभासपा से गठबंधन की औपचारिक घोषणा जल्द हो सकती है।
2019 में हारी सीटों पर है खास फोकस
प्रदेश में लोकसभा की सभी 80 सीटों पर जीत दर्ज करने का लक्ष्य भेदने की रणनीति के तहत भाजपा ने उन 16 सीटों पर खास फोकस कर रखा है, जिसपर 2019 में भाजपा को हार का मुहं देखना पड़ा था। भाजपा की रणनीति है कि 2024 में मौजूदा सीटों के साथ ही इन 16 सीटों को हर हाल में जीतना है । इसलिए इन सीटों पर प्रभाव रखने वाले सपा समेत दूसरे दलों के नेताओं को भी भाजपा साथ लाने की तैयारी में है।