सफल समाचार
विश्वजीत राय
रेफर होने के बाद वार्ड बॉय ने मरीज को बेड से उठाकर चादर समेटा
वार्ड से एंबुलेंस तक ले जाने के लिए नहीं मुहैया कराया गया स्ट्रेचर
सोशल मीडिया पर वीडियो वॉयरल होने के बाद हो रही किरकिरी
तमकुहीराज। जिला अस्पताल रेफर किए गए बीमार किशोर को बेड से स्वास्थ्यकर्मी ने उठा दिया। एंबुलेंस आने तक पिता को अपने बेटे को कंधे पर रखना पड़ा। एंबुलेंंस तक ले जाने के लिए स्ट्रेचर भी नहीं दिया गया। मानवता को शर्मशार करने वाला वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है।
कुबेरस्थान निवासी 13 वर्षीय पुनीत प्रजापति अमरवा बुजुर्ग गांव निवासी अपने नाना उमेश प्रजापति के घर रहकर पढ़ता है। मंगलवार को स्कूल गया था, जहां अचानक उसकी तबीयत बिगड़ गई। घरवाले उसे तमकुहीराज सीएचसी ले गए। दो घंटे इलाज के बाद आराम नहीं मिला तो डॉक्टर ने जिला अस्पताल रेफर कर दिया।
इसके बाद स्वास्थ्यकर्मी ने पुनीत को बेड से उतार दिया और चादर मोड़कर रख दी। वार्ड में कंधे पर बेटे को लेकर पिता धर्मेंद्र खड़ा रहा। करीब बीस मिनट बाद एंबुलेंस आई तो वार्ड से एंबुलेंस तक ले जाने के लिए स्ट्रेचर तक नहीं मुहैया कराया गया। मजबूरी में बेटे को कंधे पर लेेकर एंबुलेंस तक जाना पड़ा। जिला अस्पताल की आईसीयू में पुनीत भर्ती है। उसकी तबीयत गंभीर बनी हुई है। सांस लेने में उसे परेशानी हो रही है।
धर्मेंद्र ने बताया कि तमकुहीराज सीएचसी के कर्मचारियों के पास मानवता नाम की कोई चीज नहीं है। घर जाने और जिम्मेदारियों से छुटकारा मिलने की जल्दी में वे अपने कर्तव्यों का सही तरीके से पालन भी नहीं कर रहे हैं। आज मेरे साथ जैसा व्यवहार किया गया। उसकी जितनी निंदा की जाए कम है। इसका वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ तो खुद की कमी छिपाने में स्वास्थ्य महकमा जुट गया।
वर्जन
आज अस्पताल में गर्भवती महिलाओं की भीड़ थी। इसलिए दिक्कतें आईं। अस्पताल में दो रास्ते हैं। कंफ्यूजन के चलते दूसरे गेट पर पिता अपने बेटे को लेकर चला गया। बेड से मरीज को उठाने की जानकारी नहीं है। इसकी जांच करा ली जाएगी।
डॉ. अमित राय, अधीक्षक, सीएचसी तमकुहीराज
रेफरल अस्पताल बन गया तमकुहीराज सीएचसी
तमकुहीराज। सीएचसी पर आने वाले मरीजों को गंभीर बताकर तत्काल जिला अस्पताल रेफर कर दिया जाता है। लोगों का आरोप है कि जान-बूझकर डॉक्टर ऐसा करते हैं। क्योंकि जिला अस्पताल जाने वाले कई मरीजों को डॉक्टर सामान्य बताते हैं और दवा देकर छोड़ देते हैं।
लोगों की खराब सेहत को सुधारनेे के लिए करोड़ों रुपये खर्च कर सीएचसी का निर्माण हुआ है। लाखों रुपये डॉक्टर और कर्मचारियों को वेतन मिल रहा है, लेकिन बीमार लोगों का इलाज करने से डॉक्टर परहेज कर रहे हैं। दिन में सिर्फ ओपीडी करते हैं और शाम होते ही गोरखपुर और कुशीनगर चले जाते हैं। आवास होने के बावजूद रात को नहीं रुकते हैं। इसकी वजह से इमरजेंसी में आने वाले मरीजों को फार्मासिस्ट और वार्ड बॉय को ही इलाज करना पड़ता है। इसकी शिकायत कई बार उच्चाधिकारियों से लोगों ने की। इसके बावजूद डॉक्टर अपनी आदत से बाज नहीं आ रहे हैं। लोगों ने रात में डॉक्टरों के ठहराव और इमरजेंसी कक्ष में डॉक्टरों की मौजूदगी अनिवार्य करने की मांग की है।
अस्पताल में स्वास्थ्य सुविधाएं बदहाल हैं। कई बार इसकी शिकायत सीएचसी अधीक्षक से की जा चुकी है। अगर व्यवस्था नहीं सुधरी तो इसके खिलाफ व्यापार मंडल के पदाधिकारियों के साथ प्रदर्शन किया जाएगा। प्रदेश स्तर पर भी इसका विरोध होगा।
संजय सिंह पटेल, प्रदेश मंत्री, व्यापार मंडल
अस्पताल से अक्सर मरीजों रेफर कर दिया जाता है। डॉक्टर जान-बूझकर इलाज नहीं करना चाहते हैं। अगर लोगों का सही इलाज नहीं होगा तो लाखों रुपये डॉक्टरों को देने का क्या फायदा। सीएमओ को इसका संज्ञान लेना चाहिए।
धर्मेंद्र मद्धेशिया, अध्यक्ष व्यापार मंडल, तमकुहीराज
मरीजों को यहां से रेफर करने की बात कोई नई नहीं है। कई बार मरीज तड़पते रहते हैं और सुविधा न होने के नाम पर उनको रेफर कर दिया जाता है। प्राथमिक उपचार भी स्वास्थ्यकर्मी करने से परहेज करते हैं।
मनोज सिंह, समाजसेवी
सीएचसी में डॉक्टर मनमानी करते हैं। सादी पर्ची पर बाहर की दवाएं लिखी जाती हैं। सामान्य मरीजों को रात में गंभीर बताकर रेफर कर दिया जाता है। ताकि चैन की नींद रात में सो सकें। फिर इतने बड़े अस्पताल का मतलब ही क्या है।