आय से से अधिक संपत्ति मामले की जांच के दौरान ही यह बात सामने आई कि करोड़पति गनर ने लाइसेेंसी पिस्टल भी खरीदी थी। महंत की सुरक्षा में तैनात होने के कुछ समय बाद ही उसने यह पिस्टल खरीद ली थी। सूत्रों का कहना है कि इसके लिए उसने विभाग से अनुमति नहीं ली थी। जबकि 50 हजार से ज्यादा की संपत्ति खरीदने पर विभागीय अनुमति लेना आवश्यक है।
इसी तरह फ्लैट व तीनों वाहन, जिसमें फॉर्च्यूनर, अल्टो व बुलेट शामिल हैं, के लिए भी उसने किसी प्रकार की अनुमति नहीं ली। उसने जांच के दौरान जांच अधिकारी को ऐसा कोई भी साक्ष्य नहीं दिया जिससे यह पता लगे कि उसने नियमानुसार अनुमति ली हो। सूत्रों का कहना है कि भ्रष्टाचार अधिनियम के मुकदमे की विवेचना के दौरान उससे इस संबंध में साक्ष्य मांगे जाएंगे। साक्ष्य न उपलब्ध करा पाने की स्थिति में इसके लिए विवेचक की ओर से विभाग को पत्र भेजा जाएगा। जिसकी पृथक जांच कराई जाएगी।
क्या है नियम
कोई भी सरकारी कर्मचारी अपने एक माह के मूल वेतन से अधिक मूल्य की किसी चल संपत्ति के संबंध में कोई व्यवहार करता है, चाहे वह खरीदी गई हो या बेची गई हो, तो उसे तुरंत ही इसकी सूचना समुचित प्राधिकारी को देना चाहिए।