पुलिस प्रशिक्षण स्कूल और पीएसी की महिला बटालियन बनाने के लिए कुल 84 एकड़ जमीन आरक्षित है। 30-30 एकड़ जमीन पर दोनों निर्माण कार्य होंगे

उत्तर प्रदेश गोरखपुर

सफल समाचार 
सुनीता राय 

पुलिस प्रशिक्षण स्कूल और पीएसी की महिला बटालियन बनाने के लिए कुल 84 एकड़ जमीन आरक्षित है। 30-30 एकड़ जमीन पर दोनों निर्माण कार्य होंगे। किसानों का कहना है कि उनकी जमीन को वर्ष 2019 में सीलिंग में शामिल कर दिया गया, लेकिन इसका बोर्ड एक साल बाद वर्ष 2020 में लगाया गया।

कुशीनगर हाईवे के किनारे कोनी गांव में पुलिस प्रशिक्षण स्कूल और पीएसी की महिला बटालियन भवन के लिए सीलिंग की जमीन पर कब्जा करने पहुंची पुलिस-प्रशासन की टीम को बुधवार को भारी विरोध झेलना पड़ा। करीब दो घंटे तक ग्रामीणों से कहासुनी के बाद प्रशासनिक टीम बैकफुट पर आ गई। त्योहार का हवाला देते हुए एक हफ्ते के लिए सीमांकन का काम रोक दिया गया। नायब तहसीलदार ने कहा कि त्योहारों की वजह से अभी सीमांकन और कब्जा की प्रक्रिया रोकी गई है। सप्ताह भर में सभी लोग अपना दस्तावेज प्रस्तुत कर दें।

कुशीनगर हाईवे पर माड़ापार पुल, फरेन नाला से लेकर माड़ापार तिराहा से पिपराइच रोड के बीच पुलिस प्रशिक्षण स्कूल और पीएसी की महिला बटालियन के भवन के निर्माण के लिए सीलिंग की जमीन अधिग्रहित की गई है। इस पर करीब 200 किसान काबिज हैं। जमीन पर पिपराइच रोड और माड़ापार तिराहे की ओर करीब 50 मकान बने हुए हैं, जबकि खाली जमीनों पर किसानों ने धान की रोपाई की है।

कुसम्ही बाजार/ रमवापुर प्रतिनिधि के अनुसार, ज्वाइंट मजिस्ट्रेट सदर नेहा बंधु के निर्देश पर नायब तहसीलदार अरविंद पांडेय की अगुवाई में बुधवार की सुबह 10.30 बजे पिपराइच थानेदार नितिन रघुनाथ श्रीवास्तव के साथ दो सौ पुलिस और पीएसी जवानों की टीम पहुंची। जमीन पर कब्जे के लिए टीम पिकअप पर पहले से तैयार पिलर लेकर आई थी। टीम ने कोनी गांव के उत्तर तरफ सिंहोर में सीमांकन करते हुए चूना गिराना शुरू किया। इसकी जानकारी पाकर कोनी गांव के सैकड़ों लोग जुट गए। लोगों ने सीमांकन और कब्जे का विरोध जताते हुए काम रुकवा दिया।

नायब तहसीलदार ने सभी किसानों से उनके खेतों के मूल दस्तावेज मांगे। किसानों ने कहा कि पूर्व में जिस जमीन को वह लोग जोत-बो रहे हैं, उसे सीलिंग में दर्ज करना गलत है। किसानों के समर्थन में सपा नेता अमरेंद्र निषाद, देवेंद्र भूषण, संजय यादव आदि भी आ गए। पूर्व जिला पंचायत सदस्य जितेंद्र सिंह ने भी किसानों का समर्थन करते हुए उनकी बात पुलिस-प्रशासन की टीम के सामने रखी। किसानों ने अधिकारियों को बताया कि वहां पर दो बार चकबंदी हो चुकी है। मालियत के हिसाब से चकों का भूमिधरी से उठान भी हुआ था। इसके अलावा किसानों को प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि और किसान क्रेडिट कार्ड का लाभ मिल रहा है।

उन्हाेंने कहा कि कोनी से माड़ापार के लिए फोरलेन के लिए जमीन अधिग्रहित करने पर पूर्व में कुछ किसानों को मुआवजा भी दिया गया है। लोगाें ने इन जमीनों की कई बार खरीद बिक्री भी की है। इसके बाद नायब तहसीलदार ने वरिष्ठ अधिकारियों से मोबाइल फोन पर बात की। फिर सीमांकन का काम रोक दिया। किसानों से एक हफ्ते के भीतर खेतों के मूल दस्तावेज देने को कहा गया। इसके बाद लोगों ने राहत की सांस ली।

गांव के दिग्विजय सिंह, अमरनाथ गुप्ता, रामसेवक सिंह, रामरेखा, राजू सिंह, बच्ची देवी, रामकवल, बजरंगी, अजय सिंह, रामश्रय, रारानुज और अमित कन्नौजिया आदि ने बताया कि सीलिंग की जमीन को लेकर मुकदमा सरकार बनाम अन्य कमिश्नर कोर्ट में चल रहा है, जिसमें 31 जुलाई को सुनवाई की तारीख तय है। इसलिए टीम से कहा गया है कि उस मुकदमे की बहस होने के बाद ही आगे की कार्रवाई करें।

60 एकड़ जमीन में होगा निर्माण कार्य

पुलिस प्रशिक्षण स्कूल और पीएसी की महिला बटालियन बनाने के लिए कुल 84 एकड़ जमीन आरक्षित है। 30-30 एकड़ जमीन पर दोनों निर्माण कार्य होंगे। किसानों का कहना है कि उनकी जमीन को वर्ष 2019 में सीलिंग में शामिल कर दिया गया, लेकिन इसका बोर्ड एक साल बाद वर्ष 2020 में लगाया गया। तभी से वह लोग मुकदमा लड़ रहे हैं। इस बीच किसानों के नाम से हटाकर दूसरे विभागाें के नाम दर्ज कर दिए गए हैं।

किसानों का कहना है कि उनके गांव का कुल रकबा करीब 600 एकड़, जिसमें जंगल कौड़िया जगदीशपुर रिंग रोड, पुलिस-पीएसी का भवन और फोरलेन का निर्माण होगा। इसमें करीब 350 एकड़ जमीन सरकारी निर्माण में, बाकी जमीन में खेती, सड़क और गांव के खलिहान समेत अन्य स्थान हैं। इस तरह से उनके पास कुछ नहीं बचेगा।

बोले लोग

दिग्विजय सिंह ने कहा कि वर्ष 2019 में यहां की जमीनों को सीलिंग में शामिल कर लिया गया। लेकिन ये जमीनें किसानों के नाम से थीं। कुछ दिन पूर्व पता चला है कि इसमें पुलिस-पीएसी के भवन बनेंगे। उनके नाम से अब जमीन हो गई है। इसका मुकदमा कमिश्नर कोर्ट में चल रहा है।

पूर्व प्रधान रामरेखा ने कहा कि ये जमीनें सरदार मजीठिया परिवार की थीं, जिसे उन लोगों ने कोनी के ग्रामीणों को दे दिया। इसके बाद लोग काबिज हैं। दो बार चकबंदी हो चुकी है। जमीनों की खरीद-फरोख्त भी हुई है। लेकिन इसे सीलिंग में दर्ज कर दिया गया।

राजकुमार ने कहा कि सीलिंग की प्रक्रिया और जमीन पर दूसरे का नाम चढ़ाने के बारे में कोई नोटिस नहीं दिया गया। सीलिंग एक्ट के तहत कमिश्नर कोर्ट में मुकदमा चल रहा है।

रविंद्र गुप्ता ने कहा कि कोनी गांव के ग्रामीणों की अधिकांश जमीनें सड़क और भवन बनाने में अधिग्रहित कर ली गई हैं। इसके बाद कुछ बच नहीं रहा है। इस जमीन पर तो मकान और खेती दोनों हो रही है। अब आगे क्या होगा। इसके बारे में सोचकर हर कोई परेशान है।

नायब तहसीलदार अरविंद पांडेय ने कहा कि त्योहारों को देखते हुए एक हफ्ते के लिए सीमांकन और कब्जे की प्रक्रिया स्थगित की गई है। इसके बाद आगे की कार्रवाई होगी। अब यह जमीन सीलिंग में दर्ज है, जिसे विभिन्न विभागाें के निर्माण कार्य के लिए आवंटित किया गया है।

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