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शेर मोहम्मद
देवरिया। शहर से गांव तक आई फ्लू की चपेट में आकर लोग सीएचसी, पीएचसी, मेडिकल कॉलेज इलाज के लिए पहुंच रहे हैं। हालत यह है कि सरकारी अस्पताल में आई ड्राॅप की कमी पड़ रही है। तीन दिनाें 1144 मरीजों में करीब छह सौ मरीज मेडिकल कॉलेज में आई फ्लू के मरीज इलाज के लिए आए। इसके कारण मरीजों को दवा बाहर से खरीदनी पड़ रही है। जो दवाएं अस्पताल में बची हैं उनकी खपत तीन गुना हो गई है। तरकुलवा विकास खंड के अमवां गांव के करीब 60 लोग आई फ्लू की चपेट में आ गए हैं। इसके अलावा अन्य जगहों पर भी आई फ्लू की चपेट में लोग आ रहे हैं। इतना ही नहीं सबसे डर स्कूलों में है। एक बच्चे को होने के बाद अन्य भी चपेट में आ जा रहे हैं। इसके रोकथाम के लिए मुख्य चिकित्साधिकारी ने लोगों को सजग रहने को कहा है।
बृहस्पतिवार को महर्षि देवरहा बाबा मेडिकल कॉलेज के नेत्र रोग में हर रोज से अधिक मरीजों की संख्या रही। जबकि ड्राॅप की कमी मरीजों को खली। यह हालत हर तहसील क्षेत्र के सीएचसी, पीएचसी पर भी देखने को मिला। खरजरवा निवासी गीता देवी ने बताया कि बगल के एक आदमी आंख की बीमारी से पीड़ित था। इसके बाद हमें भी हो गया। आंख में डालने के लिए बाहर से 95 रुपये का ड्राॅप खरीदना पड़ा है। राघव नगर निवासी सृष्टि श्रीवास्तव व समृद्धि ने बताया कि अस्पताल में कुछ दवा न होने के कारण बाहर से 125 रुपये की दवा खरीदनी पड़ी है। बरडीहा दल की आशा कार्यकर्ता ज्ञानमति देवी ने बताया कि बुधवार को अस्पताल में आई थी। यहां से जाने के बाद आंख लाल हो गई और दर्द हो रहा है। उसे भी कुछ दवा बाहर से लेनी पड़ी। बर्दगोनिया के राकेश सिंह नेत्र रोग से पीड़ित थे। आंख लाल और दर्द से परेशान थे। उन्हें दवा के साथ साफ-सफाई आदि की सलाह दी गई। अस्पताल के अलावा बाहर से दवा लेनी पड़ी। मेडिकल कॉलेज के डॉ. प्रकाश कुमार, डॉ. एसके सिंह, डॉ. तरुण ने बताया कि कंजेक्टिवाइटिस के लोग शिकार हो रहे हैं। इस तरह के मरीजों की संख्या बढ़ गई है। लापरवाही बरतने से अल्सर का रूप ले सकता है, जिससे परेशानी काफी बढ़ सकती है।
नेत्र विभाग में मरीजों की संख्या
25 जुलाई- 442
26 जुलाई- 319
27 जुलाई- 383
ये बरतें सावधानी
आंख में पानी और लालिमा आते ही डॉक्टर को तुरंत दिखाएं
आई फ्लू की चपेट में आए बच्चे को स्कूल न भेजें
आई फ्लू के शिकार मरीज काला चश्मा लगाएं
आंख पर बार-बार हाथ न ले जाएं
टीवी व मोबाइल से खुद को दूर रखें
रोजाना इस्तेमाल किए जाने वाले रूमाल, तौलिया को हर रोज बदल दें
समय-समय हाथ को साबुन से धोएं, सेनेटाइजर का प्रयोग करें
हर आधे घंटे पर आंख को ठंडे पानी से धोएं
नेत्र रोग में मरीजों की संख्या इन दिनों बढ़ी है। आंख में दिक्कत होने पर लापरवाही नहीं बरती चाहिए। तत्काल डॉक्टर को दिखाकर इलाज कराएं। अस्पताल में सुविधाएं व दवा उपलब्ध हैं। जिन दवाओं की कमी है उसे जल्द दूर कर दिया जाएगा।
डॉ. एचके मिश्रा, सीएमएस
पांच स्कूलों के 90 छात्र पीड़ित
देवरिया। तरकुलवा व पथरदेवा विकासखंड में आई फ्लू का संक्रमण तेजी से फैल गया है। हर रोज संक्रमित मरीजों की संख्या बढ़ रही है। पांच स्कूल के करीब 90 छात्र पीड़ित हो गए हैं। तरकुलवा ब्लाक के ग्राम अमवां में 60 से अधिक लोग संक्रमित हैं। इसके अलावा सोहनरिया, हरैया, महुआपाटन, सिसवा, चिउटहा, नरायनपुर, मुड़िकटवा, भरौटा, सरैनी, नरहरपट्टी, बेलही आदि गांवों में आई फ्लू के संक्रमण से लोग पीड़ित हैं। ओमप्रकाश राव इंटर कॉलेज बसंतपुर, श्री गांधी इंटर कॉलेज महुआपाटन, श्री दुर्गा जी इंटर कॉलेज सोहनरिया में पढ़ने वाले छात्र भी संक्रमण की चपेट में आ गए हैं। इसी प्रकार पथरदेवा ब्लाक के सकतुआ, पगरा, बंजरिया, सीतापट्टी, बाबू पट्टी, रामपुर धौताल, बरईपट्टी, सकतुई सहित दर्जनों गांवों और क्षेत्र के रामधारी पांडेय इंटर कॉलेज पगरा, बीआरडी इंटर कॉलेज ओलीपट्टी आदि कॉलेजों के छात्रों में संक्रमण फैल गया है। तरकुलवा सीएचसी के नेत्र सर्जन डा.पंकज कुमार ने बताया कि आंखों के संक्रमण के 30-40 मरीज रोज आ रहे हैं। संवाद
पकड़ियार गांव में दो सौ लोग आई फ्लू से संक्रमित
देवरिया। बघौचघाट क्षेत्र के पकड़ियार गांव में अब तक 200 लोगों में आई फ्लू का संक्रमण फैल चुका है। कोई भी व्यक्ति एक दूसरे से नजर नहीं मिला रहा है। गांव से बाहर जाने से लोग घबरा रहे हैं। हालत यह है कि ड्राप भी समाप्त हो गए हैं। वहीं पथरदेवा में किसी भी अस्पताल पर आंख का डॉक्टर नहीं होने से और भी लोग परेशान हैं। पथरदेवा स्वास्थ्य विभाग की टीम गांव में पहुंच रही है। सरकारी अस्पताल पर जो दवा उपलब्ध है उसे दिया जा रहा है। गांव में मरीज के हिसाब से दवा नहीं जा पा रही हैं। वही लोग प्राइवेट मेडिकल स्टोर से दवा ले रहे हैं। पथरदेवा सीएचसी के प्रभारी डॉ. प्रभात रंजन ने बताया कि पकड़ियार गांव में आंखों का संक्रमण ज्यादा फैला है उसे रोकने का प्रयास किया जा रहा है। दवा के साथ लोगों को जरूरी जानकारी दी जा रही है, ताकि संक्रमण न फैले। संवाद