मंदिर के महंत रमाशंकर भारती ने कहा कि दुग्धेश्वरनाथ धाम पवित्र हंस तीर्थस्थल है। यहां निरंतर शिव का वास होता है

उत्तर प्रदेश देवरिया

सफल समाचार
शेर मोहम्मद 

मंदिर के महंत रमाशंकर भारती ने कहा कि दुग्धेश्वरनाथ धाम पवित्र हंस तीर्थस्थल है। यहां निरंतर शिव का वास होता है। शिवरात्रि, श्रावण मास और पुरुषोत्तम मास में तो शिव भक्तों का रेला लगता है। बाकी दिनों में भी विभिन्न प्रदेशों से श्रद्धालु दर्शन पूजन एवं अनुष्ठान करने के लिए आते रहते हैं।

देवरिया जिले में पौराणिक महत्व के दुग्धेश्वरनाथ धाम मंदिर पर पुरुषोत्तम मास में शिव भक्तों का सैलाब उमड़ रहा है। यहां हजारों शिव भक्त पौराणिक महत्व के मंदिर में महाकाल के रूप में दुग्धेश्वर नाथ का दर्शन कर जलाभिषेक करते हैं।

दूसरी काशी के रूप में विख्यात रुद्रपुर नगर हंस तीर्थस्थल कहा जाता है। पद्म पुराण इस प्राचीन मंदिर का उल्लेख किया गया है। पुराण की व्याख्या के अनुसार सामान्य धरातल से 20 फुट नीचे स्थित शिवलिंग को उज्जैन के महाकाल ज्योतिर्लिंग का स्वरूप माना जाता है। इसकी प्राचीनता पौराणिक काल की है। मंदिर में स्थित देवी देवताओं की प्रतिमाएं छठी शताब्दी ईसा पूर्व की बताई जाती हैं।

पूर्वांचल की सबसे प्राचीन शिव मंदिर पर देश के कोने-कोने से वर्ष भर शिव भक्त दर्शन और पूजन के लिए आते हैं। यहां बारहों मास जप-तप और अनुष्ठान चलता रहता है। देश में सोमनाथ के अतिरिक्त सामान्य धरातल से 20 फुट नीचे शिवलिंग रुद्रपुर के अलावा कहीं नहीं है। बताया जाता है कि यहां का शिवलिंग स्वयंभू है। इसकी गहराई का अब तक पता नहीं लगाया जा सका है।

लोगों के अनुसार, भगवान शिव का शिवलिंग पाताल से निकला है। अष्टकोण में बने मंदिर की प्राचीनता का उल्लेख चीनी यात्री ह्वेनसांग ने अपनी यात्रा वृतांत की पुस्तक सियुकि में किया है। भारत यात्रा के दौरान आठवीं शताब्दी में चीनी यात्री ने रुद्रपुर में पड़ाव डाला था। वह मंदिर के पश्चिमी गेट पर ब्राम्ही लिपि में एक पट भी लगाएं हैं। शिलापट पर लिपि का शोधार्थी अनुसंधान करने आते है।

मंदिर के महंत रमाशंकर भारती ने कहा कि दुग्धेश्वरनाथ धाम पवित्र हंस तीर्थस्थल है। यहां निरंतर शिव का वास होता है। शिवरात्रि, श्रावण मास और पुरुषोत्तम मास में तो शिव भक्तों का रेला लगता है। बाकी दिनों में भी विभिन्न प्रदेशों से श्रद्धालु दर्शन पूजन एवं अनुष्ठान करने के लिए आते रहते हैं। पुरुषोत्तम व सावन मास में दूरदराज से आने वाले श्रद्धालुओं के रहने के लिए विशेष इंतजाम किया गया है।

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