कोटे से बंटने वाले चावल के चीन का या प्लास्टिक से बने होने की अफवाह फैल रही है। इस बारे में सोशल मीडिया पर वीडियो भी वायरल हो रहे हैं। जानें, क्या है सच्चाई

उत्तर प्रदेश लखनऊ

सफल समाचार 
मनमोहन राय 

ये दांत से काटने से कट भी नहीं रहा है। …ये तो प्लास्टिक का बना हुआ नकली चावल है, जोकि चीन से आता है। इन दिनों कोटे की दुकानों से मिल रहे चावल को लेकर लोगों में तरह-तरह की अफवाह फैल रही है। जबकि सच्चाई है कि यह चावल विश्व स्वास्थ्य संगठन के सुझाव पर केंद्र सरकार ने लोगों में कुपोषण को दूर करने के लिए तैयार किया है। इसे फोर्टिफाइड राइस या पोषक तत्वों से संवर्धित चावल कहा जाता है।

पिछले दिनों में लखनऊ से लेकर तमाम शहरों में सोशल मीडिया से यह अफवाह तेजी से फैली। नतीजतन कई लोगों ने इसे खाना छोड़ दिया। उन्हें डर था कि कहीं स्वास्थ्य संबंधी दिक्कतें न हो जाएं। तर्क दिए कि कोटे से मिल रहे चावल में प्लास्टिक से बने नकली चावल की मिलावट की जा रही है। इसका रंग और आकार भी सामान्य चावल से अलग है। दांत से काटने पर यह टूटने की जगह खींचता है। इसको लेकर सोशल मीडिया पर कई पोस्ट और यूट्यूब वीडियो वायरल हो रहे हैं।

लखनऊ के जिला खाद्य विपणन अधिकारी निश्चल आनंद का कहना है कि दरअसल यह फोर्टिफाइड राइस है, जोकि विटामिन डी, बी-12, फोलिक एसिड, जिंक और आयरन के पोषक तत्व को मिलाकर तैयार किया जाता है। वर्ष 2022-23 में केंद्र सरकार ने आदेश जारी कर इसे अनिवार्य किया है ताकि लोगों में कुपोषण की दर को न्यूनतम किया जा सके। इससे पूर्व यूपी सहित देश भर के कुल 15 जिलों में वर्ष 2019-20 और 2021-22 में पायलट प्रोजेक्ट किए गए। इसमें सफलता मिलने पर इसे पूरे देश में पीडीएस, आईसीडीएस, मिड डे मील कार्यक्रमों में शामिल किया गया। फोर्टिफाइड राइस खाने से कोई परेशानी नहीं होती है।

क्यों जरूरी फोर्टिफाइड राइस
वर्ष 2022 में जारी नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे-5 की रिपोर्ट के मुताबिक देश में पांच साल से कम उम्र के 67 फीसदी बच्चे कुपोषित हैं। 15 से 49 साल की 57 फीसदी महिलाएं और 25 फीसदी पुरुषों में एनीमिया मिला है। पांच साल तक की उम्र के 36 फीसदी बच्चे औसत लंबाई से कम मिले। 32 फीसदी का वजन औसत से कम था। ऐसे में फोर्टिफाइड फूड की जरूरत बढ़ जाती है। विशेषज्ञों का मानना है कि चावल के अलावा तेल, दूध और आटा को भी फोर्टिफाइड किया जा सकता है। देश में करीब 65 फीसदी लोग चावल खाते हैं। इसलिए फोर्टिफाइड राइस अहम हो जाता है।

ऐसे बनता फोर्टिफाइड राइस
फोर्टिफाइड राइस को तैयार करने के लिए चावल को पीसकर उसके आटे में मानक के मुताबिक जरूरी पोषक तत्व मिलाए जाते हैं। बाद में इस आटे को चावल का रूप दिया जाता है। इसमें जो फ्लेक्सिबिलिटी और रंग दिखता है, वह पोषक तत्वों की वजह है। सौ किलो सामान्य चावल में एक किलो फोर्टिफाइड राइस मिलाकर कोटे की दुकान व अन्य कार्यक्रमों के तहत वितरित किया जाता है।

ऐसे पकाएं तो मिलेगा फायदा
अधिकारियों का कहना है कि फोर्टिफाइड राइस को पकाने से पहले दो-तीन बार धोएं और करीब 15-20 मिनट तक पानी में भिगोकर रख दें। इसके लिए उतना ही पानी लें, जितने में चावल पक जाए। अगर यह पानी फेंक देंगे तो इसमें जो पोषक तत्व मिलाए गए हैं, उनकी मात्रा में कमी आ जाएगी।

 

कुछ महीने से मिल रहा ऐसा चावल

लखनऊ के इकदुनिया गांव की रहने वाली सोनी का कहना है कि कुछ माह से इस तरह का चावल मिल रहा है, यह प्लास्टिक जैसा दिखता है। वह कोटे की दुकान से चावल लाने के बाद ऐसे दाने को चुनकर फेंक देती हैं। इसके बाद उसे पकाती हैं। उनका कहना है कि उनके गांव सभी लोग ऐसा ही करते हैं।

लोगों को समझाने का कर रहे प्रयास
कोटेदार मो. सबरेज का कहना है कि एक व्यक्ति एसडीएम के पास चावल लेकर पहुंच गया। वहां से खाद्य निरीक्षक को जांच करने के लिए भेजा गया। इसके बाद उपभोक्ता को समझाया गया कि यह फोर्टिफाइड चावल है। इसके फायदे भी बताए गए। दुकान पर अब एक बोर्ड भी लगा दिया है, जिससे लोग इस चावल को खाने से परहेज न करें।

लोगों को किया जा रहा जागरूक
लखनऊ के जिला खाद्य विपणन अधिकारी निश्चल आनंद का कहना है कि हर कोटेदार को वीडियो और पोस्टर के जरिये लोगों को जागरूक करने के लिए कहा गया है। खाद्य निरीक्षकों के अलावा विश्व स्वास्थ्य संगठन की स्थानीय इकाइयां भी यह काम कर रही हैं। शिकायत मिलने पर मौके पर जाकर सही तथ्य बताया जा रहा है। लोगों को समझना होगा कि यह उनके अच्छी सेहत के लिए जरूरी है।

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