गोल्हौरा थाना क्षेत्र के रमटिकरा गांव निवासी शोभा ने बताया कि रात के तकरीबन 11 बज रहे थे। इसी बीच आवाज आई उठो-उठो बच्चों के पास आओ। दूसरी जगह ले जाना है

उत्तर प्रदेश गोरखपुर

सफल ससमाचार 
सुनीता राय 

माधव प्रसाद त्रिपाठी मेडिकल कॉलेज के पीआईसीयू वार्ड के बाहर रविवार रात उस वक्त तीमारदार सकते में आ गए जब एसएनसीयू वार्ड से बुलावा आने लगा कि उठो-उठो बच्चों को दूसरी जगह शिफ्ट करना है। बाद में पता चला कि बारिश से छत टपक रही है। उससे बच्चों के भीगने के साथ ही शार्ट-सर्किट से आग लगने की आशंका है।

इसके बाद गंभीर रूप से बीमार आठ बच्चों को बीआरडी मेडिकल कॉलेज गोरखपुर रेफर कर दिया गया। जिन बच्चों की स्थिति ठीक थी, उनमें सात बगल के पीआईसीयू वार्ड में शिफ्ट किए गए। वहीं पांच बच्चों की स्थिति अच्छी थी, इसलिए उन्हें एमसीएच विंग में भर्ती उनकी मां के पास भेज दिया गया। प्राचार्य ने छत की मरम्मत होने तक वार्ड को अस्थाई रूप से बंद करने का आदेश दिया है।

माधव प्रसाद त्रिपाठी मेडिकल कॉलेज में जन्म के समय बाद न रोने वाले, पीलिया सहित अन्य बीमारियों से पीड़ित बच्चों के लिए 20 बेड का एसएनसीयू वार्ड बनाया गया है। उसमें सीएचसी, पीएचसी, महिला अस्पताल और अन्य अस्पतालों से आने वाले गंभीर बच्चों को भर्ती किया जाता है। यहां बालरोग विशेषज्ञ की निगरानी में नवजात बच्चों को रखा जाता है। उनके ठीक होने के बाद परिवार को बच्चों को सौंप दिया जाता है।

भवन पुराना होने से हर साल तेज बारिश होने के पर वार्ड की छत कई दिनों तक टपकती रहती है। इससे भर्ती होने वाले बच्चोंं के साथ ही चिकित्सकों को दिक्कत होती है। साथ ही शार्ट-सर्किट से आग लगने का भी खतरा बना रहता है। कई बार धुआं भी उठ चुका था। हालांकि नुकसान नहीं हुआ था। एक सप्ताह से वार्ड की छत की मरम्मत चल रही थी।
 
रविवार रात तेज बारिश होने लगी तो छत से पानी टपकने लगा। ज्यादा पानी टपकने लगा तो वार्ड में मौजूद चिकित्सक ने प्राचार्य को इसकी जानकारी दी। इसके बाद वह खुद मौके पर पहुंचे। स्थिति को देखते हुए जल्दी से वार्ड खाली करने और गंभीर बच्चों को बीआरडी मेडिकल कॉलेज रेफर करने का आदेश दिया। इससे अफरा-तफरी की स्थिति बन गई। वार्ड में 20 बच्चे भर्ती थे। इसमें आठ बच्चों की स्थिति बहुत अच्छी नहीं होने से बीआरडी मेडिकल कॉलेज गोरखपुर रेफर कर दिया गया। जबकि सात बच्चे जिनमें सुधार था, उन्हें बगल के पीआईसीयू वार्ड में शिफ्ट कर दिया गया।

वहीं, पांच बच्चे जिनकी स्थिति बहुत अच्छी थी और छुट्टी देने की तैयारी थी। उन्हें एमसीएच विंग में भर्ती उनकी मां के पास भेज दिया गया। अब वार्ड पूरी तरह से अस्थाई रूप से निर्माण होने तक बंद कर दिया गया है। इसके बंद होने से लोगों को निजी अस्पतालों में जाना पड़ेगा।

वार्ड से आई आवाज तो डर गए परिजन

गोल्हौरा थाना क्षेत्र के रमटिकरा गांव निवासी शोभा ने बताया कि रात के तकरीबन 11 बज रहे थे। इसी बीच आवाज आई उठो-उठो बच्चों के पास आओ। दूसरी जगह ले जाना है। इतना सुनने के बाद कलेजा कांप उठा और अनहोनी का डर सताने लगा। लेकिन जब बच्चे के पास पहुंचे तो तसल्ली हुई की बच्चा ठीक है। दूसरे वार्ड में शिफ्ट करना पड़ेगा। इसके बाद इस वार्ड में लेकर आए। बच्चा पूरी तरह से ठीक है।

शोहरतगढ़ कस्बे की निवासी समला खातून को रविवार को शोहरतगढ़ सीएचसी में प्रसव हुआ था। जन्म के बाद बच्ची ने रोया नहीं इसलिए चिकित्सक ने मेडिकल कॉलेज के पीआईसीयू वार्ड में भर्ती कर दिया। यहां बच्ची का इलाज चल रहा है। रात में एकाएक बुलाने लगे के बच्चे को दूसरी जगह लेकर जाना है। अब वार्ड में पहुंचे। इसके बाद बच्ची को देखकर पीआईसीयू वार्ड में भेजा गया। यहां उसका इलाज चल रहा है। चिकित्सक बता रहे हैं कि बच्ची की स्थिति ठीक है, कोई दिक्कत नहीं है।

कई वर्ष से टपक रही है छत

अस्पताल का भवन पुराना होने से बारिश में पानी टपकता है। इस वजह से शार्ट-सर्किट से धुआं उठने का मामला सामने आ चुका है। लेकिन इन घटनाओं में कभी जनहानि नहीं हुई थी। जिस हिसाब से बारिश का पानी वार्ड में गिर रहा था, अगर और समय तक बच्चों को रोका जाता तो शार्ट- सर्किट से आग लगने और जनहानि होने से इन्कार नहीं किया जा सकता था।

यह दिक्कत होने पर एसएनसीयू में भर्ती होते हैं बच्चे
चिकित्सकों के मुताबिक, जन्म के बाद जो बच्चे नहीं रोते हैं, उन्हें एसएनसीयू में भर्ती करना जरूरी हो जाता है। साथ ही पीलिया, कम वजह, इंफेक्शन वाले, जिन बच्चों के दिमाग में ऑक्सीजन नहीं पहुंच पाता है, उन बच्चों को और शुगर की कमी वालों का इलाज किया जाता है। यहां जन्म से लेकर एक माह तक के बच्चों को भर्ती किया जाता है।

बोले जिम्मेदार
पीआईसीयू वार्ड में तेज बारिश होने पर पहले से ही पानी टपकता था। छत की मरम्मत का कार्य चल रहा था। इसी बीच रविवार रात में हुई बारिश में छत से वार्ड में तेजी से पानी टपकने लगा। मामले की जानकारी हुई तो मौके पर गए और वार्ड से बच्चों को अन्य वार्ड में शिफ्ट करने के लिए कहा गया। इसमें आठ बच्चों को बीआरडी मेडिकल कॉलेज रेफर कर दिया। जबकि सात को एसएनसीयू और पांच जिनकी स्थिति अच्छी थी, उन्हें उनके मां के पास वार्ड में भेज दिया गया। मरम्मत कार्य पूरा होने तक वार्ड को अस्थाई रूप से बंद कर दिया गया है। 

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