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प्रवीण शाही
तमकुहीराज। देश में आजादी का अमृत महोत्सव मनाया जा रहा है। गौरवशाली इतिहास के साथ ज्ञात-अज्ञात स्वंतत्रता सेनानियों को याद किया जा रहा है, लेकिन राजा फतेहबहादुर शाही को जितना सम्मान मिलना चाहिए, उतना नहीं मिल सका। यहां के लोग बताते हैं कि फतेहबहादुर शाही ने अंग्रेजों के साथ करीब 30 वर्ष तक गुरिल्ला युद्ध किया था। हुस्सेपुर का किला तबाह होने के बाद तमकुहीराज में अपना किला बनाया। यहां से वह अंग्रेजों के साथ युद्ध करते रहे।
तमकुही के झगरहवा बाग में बेटेे ने दी शहादत
तमकुहीराज कस्बे के वार्ड नंबर-सात निवासी विद्या सिंह पटेल, जयहिंद सिंह, वार्ड नंबर-14 के अशोक रावत, वार्ड नंबर-छह के लहरी प्रसाद और राजा फतेह बहादुर के वंशज महेश्वर प्रताप शाही बताते हैं कि तमकुहीराज के झगरहवा बाग में अंग्रेजों के साथ भीषण युद्ध हुआ था। इसमें फतेहबहादुर शाही के बेटे रण बहादुर शाही शहीद हो गए थे। इसके बाद भी उन्होंने अंग्रेजों के साथ युद्ध जारी रखा। अंग्रेज फतेहबहादुर शाही से इतना परेशान थे कि उन्होंने वारेन हेस्टिंग्स को पत्र भेजा था। 14 जून 1775 को ईस्ट इंडिया कंपनी के इसाक रोज, साइमन रोज, इमन ता लेफ्टिनेंट की तरफ से भेजे गए पत्र में लिखा था कि फतेहबहादुर शाही हुस्सेपुर राज्य के ताल्लुकेदार हैं। वह 1768 ई. से कंपनी सरकार के साथ विद्रोह कर बैठे हैं। टैक्स देने से मना कर चुके हैं। हम आग्रह करते हैं कि फतेहबहादुर शाही को पकड़ने के लिए व्यवस्था कराने का कष्ट करें। इसके बाद 27 फरवरी 1781 को वारेन हेेस्टिंग्स और एडवर्ड व्हीलर ने एक परवान निकाला, जिसमेंं सारण के कलेक्टर को आदेश दिया कि फतेह बहादुर को पकड़ने वाले को 20 हजार रुपये इनाम दिया जाएगा। इसके बाद भी जनता फतेह बहादुर के साथ रही। किसी ने उनके बारे में सूचना नहीं दी। वह अंग्रेजों के साथ युद्ध करते रहे।
जमीन चिह्नित, तहसीलदार आवास के सामने बनेगा स्मारक
कस्बे में तहसीलदार आवास के सामने राजा फतेहबहादुर शाही का स्मारक बनाया जाएगा। विधायक डॉ. असीम कुमार ने बताया कि इस संबंध में विधानसभा में 24 फरवरी को सदन में मुद्दा उठाया गया था। इसके बाद नगर विकास मंत्रालय की ओर से डीएम को पत्रक भेज जानकारी मांगी गई। डीएम की ओर से स्मारक बनाने के लिए संस्तुति कर दी गई है। जल्द ही स्मारक बन जाएगा। इसके लिए तहसीलदार आवास के सामने स्थित जमीन को चिन्हित कर लिया गया है। उन्होंने कहा कि स्वतंत्रता संग्राम में फतेह बहादुर के योगदान को भुलाया नहीं जा सकता है। इन्हीं जैसे रणबांकुरों की वजह से देश को आजादी मिली है। नगर पंचायत तमकुहीराज के अध्यक्ष जेपी गुप्ता ने कहा कि कस्बे के वार्ड संख्या आठ का नामकरण वीर फ़तेह बहादुर शाही के नाम पर किया गया है। नगर पंचायत वीर सेनानियों के सम्मान में कोई कोर कसर नहीं छोड़ेगा। फ़तेह बहादुर शाही के वंशज महेश्वर प्रताप शाही का कहना है कि पूर्वजों ने अंग्रेजों के साथ युद्ध किया। इसमें कई लोगों की जानें चली गईं, लेकिन इतिहास में उन लोगों को उचित जगह नहीं मिली। उन्होंने कहा कि अपने पूर्वजों सहित राजा इंद्रजीत प्रताप बहादुर शाही की याद में राष्ट्रीय स्तर की खेल प्रतियोगिताओं का हर साल आयोजित होता है। प्रयास है यह आयोजन अनवरत जारी रहे।