अगले साल से शुल्क भरपाई के लिए बायोमीट्रिक हाजिरी अनिवार्य होगी छात्रवृत्ति की नई नियमावली तैयार हो गई है

उत्तर प्रदेश लखनऊ

सफल समाचार 
मनमोहन राय 

अगले साल से शुल्क भरपाई के लिए बायोमीट्रिक हाजिरी अनिवार्य होगी। छात्रवृत्ति की नई नियमावली तैयार हो गई है। अगले सप्ताह  जारी हो सकती है। हर साल 50 लाख से ज्यादा छात्र छात्रवृत्ति और शुल्क प्रतिपूर्ति पाते हैं। एक कोर्स छोड़ एंट्रेंस के जरिये दूसरे कोर्स में जाने पर छात्रवृत्ति बंद नहीं होगी।

प्रदेश में अगले साल से छात्रवृत्ति और शुल्क भरपाई के लिए न्यूनतम 75 फीसदी बायोमीट्रिक हाजिरी अनिवार्य होगी। यह नियम इंटरमीडिएट से ऊपर के सभी शिक्षण संस्थानों पर लागू होगा। साथ ही एक कोर्स बीच में छोड़कर सरकारी प्रवेश प्रक्रिया (एंट्रेंस) के जरिये दूसरे कोर्स में एडमिशन लेने पर छात्रवृत्ति और शुल्क भरपाई की सुविधा बंद नहीं होगी।

इसके लिए नई नियमावली तैयार कर ली गई है, जिसके अगले सप्ताह जारी होने की पूरी संभावना है। यूपी में अनुसूचित जाति व जनजाति के छात्रों को ढाई लाख रुपये तक और अन्य वर्ग के छात्रों को दो लाख रुपये तक सालाना परिवार की आमदनी होने पर यह सुविधा मिलती है। हर साल सभी वर्गों के 50 लाख से ज्यादा छात्र इस योजना का लाभ पाते हैं।

प्रस्तावित नियमावली में छात्रों की उपस्थिति पर काफी जोर दिया गया है। बायोमीट्रिक हाजिरी अनिवार्य होने से वास्तविक छात्र ही योजना का लाभ ले पाएंगे। अनुमान है कि इससे हर साल करीब 10 फीसदी बजट बचेगा। ऐसे में कोई भी पात्र छात्र बजट के अभाव में भुगतान से वंचित नहीं रहेगा।

अभी तक लागू नियमों के तहत अगर कोई छात्र स्नातक स्तर की पढ़ाई बीच में छोड़कर स्नातक स्तर के ही किसी दूसरे व्यावसायिक पाठ्यक्रम में दाखिला लेता है तो उसे न्यूनतम एक साल तक इस योजना का लाभ नहीं मिलता है। प्रस्तावित नियमावली लागू होने पर ऐसा नहीं होगा। 

उदाहरण के तौर पर अगर बीएससी के किसी छात्र ने आईआईटी, एनआईटी या एमबीबीएस में दाखिला लिया है तो उसे छात्रवृत्ति के साथ शुल्क की भरपाई होती रहेगी। इसमें शर्त यह है कि दूसरे पाठ्यक्रम में सरकार के स्तर से होने वाली प्रवेश परीक्षा के जरिये ही दाखिला लिया हो।

नैक ग्रेडिंग होगी अनिवार्य
प्रदेश में वर्ष 2025-26 से उन्हीं संस्थानों के छात्रों को यह सुविधा मिलेगी, जिन्हें नैक या समकक्ष संस्थाओं से ग्रेडिंग हासिल होगी।

वित्त वर्ष की समाप्ति पर भी बनी रहेगी देयता
रिजल्ट देर से आने या सत्र लेट होने के कारण कोई भी विद्यार्थी आवेदन करने से वंचित नहीं रहेगा। इसके लिए पोर्टल के बंद होने की प्रक्रिया में बदलाव होगा। वित्त वर्ष की समाप्ति तक अगर किसी छात्र के डाटा के परीक्षण की प्रक्रिया पूरी नहीं हुई है तो उसे अगले वित्त वर्ष में भी भुगतान हो सकेगा। अभी वित्त वर्ष की समाप्ति के बाद भुगतान शासन से पुनः अनुमति मिलने पर ही हो सकता है।

नियमों में लाई जाएगी एकरूपता
समाज कल्याण विभाग, अन्य पिछड़ा वर्ग और अल्पसंख्यक कल्याण विभाग छात्रों को छात्रवृत्ति एवं शुल्क प्रतिपूर्ति योजना के तहत ऑनलाइन भुगतान करते हैं। इन विभागों के वरीयता सूची तय करने के नियम अलग-अलग हैं। नई नियमावली में तीनों विभागों के नियमों में एकरूपता लाने के प्रावधान भी किए जा रहे हैं।

नई नियमावली पर विचार-विमर्श हो चुका है। इसे मुख्यमंत्री की स्वीकृति के लिए भेजा जा रहा है।-असीम अरुण, समाज कल्याण मंत्री

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