देश-विदेश से आने वाले सैलानियों की सुविधा के लिए अब तक कुशीनगर को रेल पथ से जोड़ा नहीं जा सका है

उत्तर प्रदेश कुशीनगर

सफल समाचार 
विश्वजीत राय 

गोरखपुर से कुशीनगर होते हुए पडरौना तक बिछाई जानी है रेल लाइन, वर्ष 2018-19 में इस परियोजना को मिल चुकी है प्रशासनिक स्वीकृति, फिर भी चालू नहीं हो सका काम

सैलानियों को कुशीनगर तक आने में होती हैं कठिनाइयां
छितौनी-तमकुही रेल परियोजना का 20 फरवरी, 2007 को हुआ शिलान्यास, यह परियोजना भी अधूरी
इस परियोजना के लिए कुुल लागत 269.78 करोड़ रुपये थी, करीब 103.31 करोड़ रुपये हो चुके हैं खर्च
जनपद मुख्यालय के पडरौना रेलवे स्टेशन पर भी नहीं बढ़ीं यात्री सुविधाएं
चुनाव में किए जाते हैं बड़े-बड़े वादे, चुनाव बीतते ही सब भूल जाते हैं

कुशीनगर। गौतम बुद्ध की महापरिनिर्वाण स्थली पर दर्शन-पूजन के लिए देश-विदेश से आने वाले सैलानियों की सुविधा के लिए अब तक कुशीनगर को रेल पथ से जोड़ा नहीं जा सका है। हालांकि, इस परियोजना को वर्ष 2018-19 में ही प्रशासनिक स्वीकृति मिल चुकी है। गोरखपुर के सरदारनगर से हेतिमपुर तक आई ट्रांबवे रेल लाइन के रास्ते ही इसे कुशीनगर और वहां से पडरौना को जोड़ने की योजना है, लेकिन काम अब तक शुरू नहीं हो सका।

कुशीनगर में एक और महत्वपूर्ण रेल परियोजना छितौनी से तमकुहीरोड तक रेललाइन वर्ष 2007 में शिलान्यास और कुछ दूर तक रेल लाइन बिछाने के बाद से ही लंबित है। इस पर भी किसी जनप्रतिनिधि का ध्यान नहीं जाता है।
इसके अलावा जनपद मुख्यालय के पडरौना रेलवे स्टेशन पर करीब एक दशक से यात्री सुविधाओं में अपेक्षाकृत बढ़ोतरी नहीं हो पाई है, जिससे रेल यात्रियों को दिक्कतों का सामना करना पड़ता है।

भगवान बुद्ध की महापरिनिर्वाण स्थली कुशीनगर को रेल मार्ग से जोड़ने के लिए करीब साढ़े चार साल पहले प्रशासनिक स्वीकृति मिलने के बावजूद अब तक परियोजना शुरू नहीं हो सकी है। यह रेललाइन गोरखपुर से कुशीनगर होते हुए पडरौना तक 64.5 किलोमीटर लंबाई में बनाई जानी है।
इस परियोजना को वर्ष 2018-19 में प्रशासनिक स्वीकृति मिल चुकी है। फिर भी परियोजना शुरू नहीं हो सकी है। परियोजना के लिए धन मिल जाए तो कुशीनगर रेल मार्ग से जुड़ जाएगा। यह हवाई और सड़क मार्ग से तो जुड़ ही चुका है। इससे न केवल भगवान बुद्ध का दर्शन करने के लिए आने वाले सैलानियों को सीधे पहुंचने में सहूलियत होगी, बल्कि यह जनपद मुख्यालय पडरौना और मंडल मुख्यालय गोरखपुर से रेलमार्ग से जुड़ जाएगा।
कुशीनगर पहुंचने का सीधा रेलमार्ग न होने के कारण भगवान बुद्ध से जुड़े स्थलों की यात्रा पर आने वाले बहुत से सैलानी लुंबिनी और सारनाथ में दर्शन-पूजन कर लौट जाते हैं। कुशीनगर एक्सप्रेस ट्रेन भी संचालित होती है, जो रेललाइन के अभाव में गोरखपुर से ही लौट जाती है।

गोरखपुर से कुशीनगर होते हुए पडरौना तक वर्ष 2017 में हुआ था सर्वे
इस रेल परियोजना के लिए वर्ष 2017 में सर्वे हुआ था। वर्ष 2018-19 में इसे प्रशासनिक स्वीकृति मिली। इस परियोजना की लागत 1,345 करोड़ से बढ़कर अब 1,467 करोड़ रुपये कर दी गई है। परियोजना स्वीकृत होने के बावजूद कार्य शुरू नहीं हो पा रहा। परियोजना के मद में बजट दिलाने की खातिर 20 मार्च 2021 को सांसद विजय कुमार दुबे प्रधानमंत्री से भी मिल चुके हैं।
अक्तूबर 2021 में मुख्यमंत्री इस रेल लाइन को बनवाने की घोषणा कर चुके हैं। केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीता रमन इस वर्ष 19 फरवरी को संसद में प्रस्तुत बजट के दौरान कुशीनगर को रेल लाइन से जोड़ने की घोषणा कर चुकी हैं।
64.5 किलोमीटर लंबी इस रेललाइन के लिए 2019 में 1,359 करोड़ रुपये के प्रस्ताव को मंजूरी दी गई थी। प्रस्तावित रेललाइन गोरखपुर से कुशीनगर होते हुए पडरौना को जोड़ने वाली है। अब इस परियोजना की लागत 1,467 करोड़ रुपये हो गई है।

प्रस्तावित रेलमार्ग पर बनने वाले स्टेशन

इस प्रस्तावित रेल मार्ग पर सरदारनगर, बनचरा, रामपुर सोहरौना, हाटा, हेतिमपुर, कुशीनगर, कसया, पथरदेवा व पडरौना जिला मुख्यालय पर स्टेशन प्रस्तावित हैं। आजादी के 74 साल बीतने के बाद भी हाटा तहसील क्षेत्र के लोगों को भगवान बुद्ध की निर्वाण स्थली कुशीनगर को रेल लाइन से जुड़ते हुए देखने का सपना अभी तक पूरा न हो सका। जिससे क्षेत्र के लोगों में काफी निराशा देखने को मिल रही है।

सरदारनगर से हेतिमपुर तक बनी थी ट्रांबवे रेललाइन

सरदारनगर से हेतिमपुर तक ट्रांबवे लाइन थी। इसे गन्ना ढोने के लिए बनाया गया था। बताया जाता है कि इस सुविधा के लिए उस समय के किसानों ने अपनी जमीन मिल प्रबंधन को मुफ्त में दे दी थी। अब यह रेललाइन काफी हद तक उजड़ चुकी है, लेकिन रेललाइन का मार्ग यथावत है। रेलवे लाइन बिछाने के लिए पर्याप्त जमीन है। यहां तक किबंचरा और करमहा में प्लेटफाॅर्म भी था।
जमीन इतनी है कि पूरा रेलवे स्टेशन बन सकता है। इस रेललाइन का काम पूरा हो जाने से आवागमन सुगम होगा तथा रेलवे स्टेशनों के बन जाने से रोजगार के अवसर सृजित होंगे।

वर्ष 2007 में हुआ छितौनी-तमकुहीरोड रेललाइन का शिलान्यास, निर्माण के बाद रुक गया काम
छितौनी से तमकुहीरोड तक रेलवे लाइन पर छितौनी और जटहां बाजार, मधुबनी, खैरा टोला, धनहा और पिपरही में रेलवे स्टेशन बनाने की योजना थी। इसमें छितौनी में रेलवे स्टेशन का भवन भी बना दिया गया। लोगों का कहना है कि पूरी रेल लाइन पर 10 बड़े पुल और 47 पुलों का निर्माण प्रस्तावित था, लेकिन कुशीनगर जिले और बिहार के बीच बनने वाली तमकुहीरोड-छितौनी रेल परियोजना करीब 16 साल बाद भी अधूरी है।
इस योजना के तहत करीब चार किलोमीटर तक रेलवे लाइन बिछाकर छितौनी में स्टेशन का निर्माण करा दिया गया है। निर्माण पूरा नहीं हुआ। ओवरब्रिज के लिए पिलर अभी तक आधे-अधूरे हैं। करीब 62.5 किलोमीटर लंबी लाइन एक तरफ से गोरखपुर-नरकटियागंज रेल मार्ग तो दूसरी ओर से कप्तानगंज-थावे रेल मार्ग से जाकर जुड़ती।
इससे जिले के चार ब्लॉक दुदही, सेवरही, खड्डा और विशुनपुरा के साथ बिहार के गोपालगंज के मधुबनी भितहां, ठकरहां और पिपरासी के लोगों को फायदा मिलता। लोगों का आवागमन आसान हो जाता।

छितौनी-तमकुहीरोड रेल परियोजना के बारे में कुछ महत्वपूर्ण बातें
छितौनी-तमकुही रेल परियोजना का शिलान्यास 20 फरवरी वर्ष 2007 में हुआ।
तत्कालीन रेल मंत्री लालू प्रसाद ने छितौनी इंटर कॉलेज मैदान में इसका शिलान्यास किया।

परियोजना के लिए कुुल लागत 269.78 करोड़ रुपये थी, जिनमें करीब 103.31 करोड़ खर्च हो चुके हैं।

पनियहवा से छितौनी तक रेल लाइन का निर्माण होने पर छितौनी तक ट्रेन चलाकर ट्रायल किया गया।

सांसद विजय दुबे इस रेल परियोजना को पूरी कराने की मांग संसद में उठा चुके हैं।

जनपद मुख्यालय के रेलवे स्टेशन पर भी यात्री सुविधाओं का अभाव
कप्तानगंज-थावे रेलमार्ग पर स्थित जनपद मुख्यालय पडरौना के रेलवे स्टेशन पर यात्री सुविधाओं का अभाव है। यहां का मुख्य शेड आमान परिवर्तन के पहले का है, जो काफी छोटा है। बारिश और तेज धूप के दौरान ट्रेन आने पर यात्रियों को परेशान होना पड़ता है। इस रेल लाइन को मीटर गेट से ब्रॉड गेज में बदले करीब 12 साल हो गए हैं, लेकिन लंबी दूरी की ट्रेनों का नियमित संचालन कभी शुरू नहीं हो पाया। कई कुर्सियां क्षतिग्रस्त हैं। पेयजल के लिए लगी ज्यादातर टोटियां क्षतिग्रस्त हो गई हैं। वहां सफाई का अभाव है। शौचालय में ताला बंद रहता है। यहां सिर्फ एक-एक आरक्षण और टिकट काउंटर खुलने से भी यात्रियों को असुविधा होती है।

परिचर्चा-
कुशीनगर को रेल पथ से जोड़ने की योजना को केंद्र सरकार के बजट में कई बार शामिल किए जाने की सूचना मिली है, लेकिन अभी तक इस परियोजना पर कोई काम शुरू नहीं हुआ। इससे हम लोगों को निराशा ही हाथ लगी है।

-मोहम्मद कलीम, निवासी झांगा बाजार

सरदारनगर से हाटा होते हुए गुजरी ट्रांबवे लाइन को रेलवे लाइन में बदलने की योजना के पास हो जाने की सूचना करीब एक वर्ष पहले मिली थी। उम्मीद जगी कि रेल से यात्रा करने के लिए दूर नहीं जाना पड़ेगा, लेकिन यह योजना जमीन पर उतरती नहीं दिख रही है।
-डबलू प्रताप सिंह, निवासी सकरौली

कप्तानगंज रेलवे जंक्शन पर मूलभूत सुविधाओं का अभाव

कप्तानगंज रेलवे स्टेशन जंक्शन भी है, जहां कप्तानगंज-थावें और कप्तानगंज-नरकटियागंज रेलखंड की लाइनें गुजरती हैं। यहां कुशीनगर के अलावा महराजगंज जनपद के बड़ी संख्या में यात्री ट्रेन से यात्रा के लिए आते हैं। इस रूट से मुजफ्फरपुर से बनारस होते हुए इलाहाबाद जाने वाली बापूधाम सुपरफास्ट ट्रेन कोरोना काल से बंद है। प्लेटफाॅर्म नंबर-एक पर लगा शेड छोटा होने और प्लेटफार्म नंबर-दो पर शेड न लगने के कारण यात्रियों को धूप और बरसात में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। पूछताछ काउंटर नहीं है। एक ही आरक्षण काउंटर है। रेलवे स्टेशन जाने वाली सड़क भी क्षतिग्रस्त है। अक्सर लोग उस पर गिरकर चोटिल हो जाते हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *