सफल समाचार गणेश कुमार
राम भक्तों का नगर रॉबर्ट्सगंज
सोनभद्र। संपूर्ण विश्व लोक ग्रंथ महाकाव्य श्री रामचरितमानस के रचनाकार संत शिरोमणि गोस्वामी तुलसीदास की जयंती मनाने की परंपरा सोनभद्र जनपद में प्राचीन है।रामायण कलर मैपिंग योजना के डिस्ट्रिक्ट कोऑर्डिनेटर/ इतिहासकार दीपक कुमार केसरवानी के अनुसार- रामचरितमानस की रचना करने वाले गोस्वामी तुलसीदास की जयंती मनाने की शुरुआत संस्कृत महाविद्यालय के प्रबंधक विश्वनाथ प्रसाद केडिया ने शुरू किया था। इस दिन भगवान श्री राम, अवधी भाषा में संत शिरोमणि गोस्वामी तुलसीदास जी द्वारा रचित श्री रामचरितमानस कृति एवं गोस्वामी जी के चित्र की पूजा अर्चना कर महाविद्यालय में रामचरितमानस पाठ का आयोजन कराया जाता था। तत्पश्चात श्री विश्वनाथ प्रसाद केडिया द्वारा स्वामी विवेकानंद बाल विद्यालय की स्थापना के पश्चात इस विद्यालय में श्रीरामचरितमानस के सुंदरकांड के पाठ का वाचन प्रतिदिन छात्र-छात्राओं द्वारा किया जाता था और महीने के अंत में श्री रामचरितमानस का पाठ चंद्रलेखा श्रीवास्तव, वीणा श्रीवास्तव, मंजू लता मनिक, मास्टर गंगाराम, रामधनी केसरी आदि अध्यापिकाओ, अध्यापको के सहयोग से कार्यक्रम का आयोजन होता था। सप्ताह में एक दिन अंताक्षरी प्रतियोगिता का भी आयोजन होता था जिसमें श्रीरामचरितमानस एवं सुंदरकांड के दोहा और चौपाई के आधार पर छात्र-छात्राएं अंताक्षरी लड़ाते थे।
स्वामी विवेकानंद बाल विद्यालय में प्रतिदिन सुंदरकांड के वाचन एवं महीने के अंत में श्री रामचरितमानस के पाठ से छात्र-छात्राओं में राम कथा के प्रति जागृति आई, सभी छात्र स्कूल बैग मे सुंदरकांड का गुटका रखने लगे, अभिभावक भी रामकथा के प्रति जागरूक हुए। उस समय धार्मिक पुस्तकों के बिक्री का केंद्र गुरुद्वारा के पास राजनाथ उपाध्याय का बुक स्टॉल था, जहां से श्रीरामचरितमानस एवं सुंदरकांड का गुटखा प्रतिदिन काफी संख्या में बिक्री होती थी।सोनभद्र नगर में श्री रामचरितमानस के कथा का प्रचार- प्रसार प्रख्यात स्वतंत्रता संग्राम सेनानी, रईस, व्यापारी बलराम दास केसरवानी,शिव शंकर प्रसाद केसरवानी, मोहनलाल गुप्ता द्वारा आयोजित धर्म सम्राट संत करपात्री जी महाराज के सोनभद्र नगर के आरटीएस क्लब मैदान में आयोजित प्रवचन से हुआ।धर्म सम्राट करपात्री जी महाराज सोनभद्र नगर में प्रवचन के लिए आए तो उन्होंने नगर के जयराम लाल श्रीवास्तव, विश्वनाथ प्रसाद केडिया ,श्याम सुंदर जालान, श्याम सुंदर झुनझुनवाला, रामा सेठ, नारायण दास केसरी, प्यारे साव, जगत सेठ, राधेश्याम, गोविंद राम ओझा आदि गणमान्य नागरिकों एवं प्रवचन के आयोजको की एक बैठक कर श्री रामचरितमानस नवाह पाठ महायज्ञ के आयोजन का परामर्श दिया। सन् 1972 ईसवी में आरटीएस क्लब में श्री रामचरितमानस नवाह पाठ का आयोजन मर्मज्ञ,काशी के शिवनारायण व्यास के मुख्यआचार्यकतत्व, आढ़तिया शंभू सेठ की अध्यक्षता में सोनभद्र नगर की आध्यात्मिक धरती के आरटीएस क्लब के सिद्ध पीठ पर श्री रामचरितमानस नवाह पाठ का भव्य आयोजन हुआ।नौ दिवसीय महायज्ञ में नगर भर में लगे ध्वनि विस्तारक यंत्र के माध्यम से मंगल भवन या मंगल हारी,
द्रवहु सुदसरथ अजिर बिहारी।
का दोहा पहली बार गूजा।
यह आयोजन सन 1979 तक चला।
सन 1984 में श्री रामचरितमानस नवाह पाठ पूर्व व्यास के पुत्र गौरी शंकर व्यास के आचार्यकतत्व,चेयरमैन श्यामसुंदर झुनझुनवाला की अध्यक्षता में आयोजित हुआ, इस आयोजन का मुख्य आकर्षण प्रतिदिन शाम को रामकथा मर्मज्ञों द्वारा प्रवचन, रात्रि आरती, प्रसाद वितरण होता था और नगर भर में लगे ध्वनि विस्तारक यंत्र के माध्यम से श्री रामचरितमानस नवाह पाठ, शाम के प्रवचन का प्रसारण होता था, सुबह पाठ शुरू होने के पूर्व, मध्यांतर एवं रात्रि में प्रवचन समाप्त होने के पश्चात प्रदीप कुमार के गाए हुए देश भक्ति गीत एवं प्रवचन लाउडस्पीकर पर बजाया जाता था। यह भजन ही पाठ के आरंभ मध्यांतर एवं यज्ञ संपन्न होने के प्रतीक थे।श्री रामचरितमानस नवाह पाठ महायज्ञ 1989 तक आयोजित हुआ। सन् 1996 में नगर के रामभक्तों गणमान्य नागरिकों ने श्री रामचरितमानस नवाह पाठ के आयोजन का निर्णय लिया और इस कार्यक्रम के लिए नगर सेठ राधेश्याम जालान को (अध्यक्ष) सुशील पाठक (महामंत्री) रतनलाल गर्ग (कोषाध्यक्ष) चुना गया और गौरी शंकर व्यास के मुख्य आचार्यकतत्व में श्री रामचरितमानस नवाह पाठ की पुनः शुरुआत हुई।सन् 1999 में रतन लाल गर्ग की अध्यक्षता एवं सुशील पाठक के महामंत्रित्व काल में श्री रामचरितमानस नवाह पाठ का आयोजन होता रहा।श्री गौरी शंकर व्यास के दिवंगत होने के पश्चात श्री रामचरितमानस नवाह पाठ मुख्य आचार्य का दायित्व काशी के ही शिव नारायण व्यास के शिष्य परंपरा के श्री सूर्य लाल मिश्र के द्वारा श्री रामचरितमानस नवाह पाठ का संगीतमय वाचन आरंभ किया गया।श्री रामचरितमानस नवाह पाठ का आयोजन प्रारंभ के वर्षों में राम दरबार की मूर्ति की स्थापना के 9 दिन तक नवाह पाठ 108 भूदेव के सहयोग से आयोजित होता रहा। प्रसंग के अनुसार राम जन्म, राम विवाह, राज्याभिषेक के दिन विशेष झांकी का आयोजन किया जाता था। रावण वध वाले दिन एक ब्राह्मण रावण का रूप धरकर सिर पर मिट्टी का घड़ा रखकर 108 भूदेवों की परिक्रमा कर मिट्टी के घड़े को फोड़ता था और घड़े के टुकड़े को लूटने वाले युवा, बच्चों, महिलाओं की होड़ लग जाती थी, राज्याभिषेक के उपलक्ष्य में व्यास जी द्वारा मंच से धन वर्षा की परंपरा आज भी कायम है।रामचरितमानस नवाह पाठ के आध्यात्मिक मंच पर अब तक चारों पीठ के शंकराचार्य, मानस मर्मज्ञ सुप्रसिद्ध संत ताट बाबा, काशी नरेश विभूति नारायण सिंह सहित देश के प्रसिद्ध राम कथा मर्मज्ञ पधार चुके हैं।कोरोना संक्रमण काल में पत्रकार हर्षवर्धन केसरवानी के तकनीकी प्रयासों से श्री रामचरितमानस नवाह पाठ का लाइव टेलीकास्ट विश्व के 10 लाख लोगों द्वारा देखा गया।श्री रामचरितमानस नवाह पाठ महायज्ञ की परंपरा वर्तमान अध्यक्ष सतपाल जैन की अध्यक्षता में आज भी कायम है।