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सुनीता राय
गोरखपुर के चिड़ियाघर में दरियाई घोड़े के नामकरण पर प्रमुख मुख्य वन संरक्षक (वन्यजीव) अंजनी कुमार आचार्य का जवाब-तलब किया गया है। वन मंत्री डॉ. अरुण कुमार सक्सेना ने इसे परंपरा का उल्लंघन बताते हुए कहा है कि आम तौर पर वहां के चिड़ियाघर में विशिष्ट श्रेणी के जानवरों का नामकरण मुख्यमंत्री ही करते रहे हैं। साथ ही आचार्य के अपने भ्रमण कार्यक्रम की जानकारी उन्हें न देने पर भी डॉ. अरुण कुमार सक्सेना ने आपत्ति जताई है।
डॉ. अरुण कुमार ने शुक्रवार को प्रधान मुख्य वन संरक्षक (पीसीसीएफ), वन्यजीव को लिखा है कि वह अपने भ्रमण कार्यक्रम की सूचना उनके कार्यालय को नहीं दे रहे हैं, जोकि प्रशासनिक नजरिये से उचित नहीं है। पीसीसीएफ, वन्यजीव ने 24 अगस्त को बिना सूचना दिए गोरखपुर का भ्रमण किया और गोरखपुर के चिड़ियाघर में साल के पहले दिन जन्मे दरियाई घोड़े के बच्चे का ”माही”नाम भी रख दिया। मार्च 2021 में कानपुर जू से नर और मादा दरियाई घोड़े लाए गए थे, जिनसे यह बच्चा जन्मा है।
वन मंत्री ने अपने पत्र में लिखा है कि परंपरागत रूप से गोरखपुर चिड़ियाघर में विशिष्ट श्रेणी के जानवरों का नामकरण मुख्यमंत्री के स्तर से ही होता रहा है। ऐसे में बिना किसी उच्चस्तर से अनुमति या अनुमोदन प्राप्त किए नन्हे दरियाई घोड़े का नामकरण करना उचित नहीं है। पीसीसीएफ, वाइल्ड लाइफ को शीघ्र स्पष्टीकरण देने के लिए कहा गया है।