सफल समाचार
विश्वजीत राय
कुशीनगर से दिल्ली, हरियाणा, पंजाब और बड़े शहरों के लिए संचालित होती हैं लग्जरी बसें
स्लीपर सीटों की मानक के विपरीत बढ़ा दी हैं सीटें
बिहार के पश्चिमी चंपारण जिले के रास्ते आने वाली बसें भी पडरौना से होकर जाती हैं गोरखपुर
यात्रियों को बोरे की तरह भरकर ले जाते हैं बस चालक, वसूलते हैं मनमाना किराया
प्रमुख स्थानों पर पुलिस वसूली कर बेरोक-टोक आने-जाने देती है बसों को
अन्य कोई विभाग नहीं करता इन बसों की जांच अथवा कार्रवाई
कुशीनगर। जनपद से लग्जरी बसें दिल्ली और हरियाणा सहित कई बड़े शहरों के लिए संचालित की जा रही हैं। लेकिन ये मानकों की अनदेखी करके संचालित की जा रही हैं। इन बसों का नियमविरुद्ध तरीके से संचालन किए जाने के कारण परिवहन विभाग ने 26 लग्जरी बसों के मालिकों को नोटिस भेजा है। फिर भी संचालन बेरोक-टोक हो रहा है।
इसी तरह बिहार प्रांत से पश्चिमी चंपारण जिले के रास्ते पडरौना होते हुए गोरखपुर तक भी निजी लग्जरी बसों का संचालन हो रहा है। चालक मनमाना किराया वसूलते हैं। यात्रियों को बोरे की तरह भरकर ले जाते हैं। कोई पूछने वाला नहीं है। जगह-जगह तैनात पुलिसकर्मी उन्हें रोककर अपना हिस्सा ले ले रहे हैं। दूसरी ओर पडरौना डिपो में लंबी दूरी की इस तरह की बसें भी नहीं हैं। नतीजतन, निजी बसों के चालक रोडवेज गेट पर ही सवारियां बैठाकर आगे बढ़ जा रहे हैं।
वैसे तो पडरौना डिपो के पास 35 से अधिक रोडवेज बसें हैं। इनमें परिवहन निगम और अनुबंधित दोनों शामिल हैं। इनमें लंबी दूरी की बसें न के बराबर हैं। इक्का-दुक्का जो बसें हैं भी, उनमें वे सुविधाएं नहीं हैं, जो लग्जरी बसों में हैं। यात्रियों को लंबी दूरी के लिए बसों को बदलना पड़ता है। ऐसे में यात्री मजबूरी में निजी लग्जरी बसों से यात्रा करने के लिए विवश हो रहे हैं। निजी बस चालक भी इसका बखूबी फायदा उठा रहे हैं।
जनपद से 100 से अधिक ऐसी लग्जरी बसें होकर गुजरती हैं, जो परमिट शर्तों का उल्लंघन कर संचालित की जाती हैं। कोई बड़ा अभियान न चले तो इनके खिलाफ कार्रवाई भी नहीं होती। इस वजह से यात्रियों से मनमाना किराया वसूलते हैं। साथ ही अधिक मुनाफे के लिए यात्रियों को ठूंसकर ले जाते हैं।
फिटनेस की जांच में पकड़ी गड़बड़ी, 26 बसें मिलीं मानक के विपरीत
कुशीनगर जनपद में 26 ऐसी लग्जरी बसें हैं, जो दिल्ली और हरियाणा सहित अन्य बड़े शहरों के लिए चलती हैं। इनमें स्लीपर सीटें भी होती हैं। इन बसों को मानक की अनदेखी कर चलाया जा रहा है। परिवहन निगम बेफिक्र है। ये बसें रोडवेज बस अड्डे के गेट से ही सवारियां भर ले जाते हैं।
वाहनों की फिटनेस की जांच शुरू हुई तो पता चला कि इन बसों में मानक के अनुरूप स्लीपर सीटें नहीं हैं। सीटें मानक से अधिक लगी हैं। इन सभी बस मालिकों को परिवहन विभाग ने नोटिस जारी किया है। हालांकि, इन बसों के संचालन पर कोई रोक नहीं लगी है।
परिवहन विभाग के आरआई आरडी प्रसाद वर्मा ने बताया कि लग्जरी बसों में स्लीपर सीट की लंबाई 1750 मिलीमीटर और चौड़ाई 1120 मिलीमीटर होना चाहिए। इन बसों की अधिकतम लंबाई 12 मीटर और चौड़ाई 2.50 मीटर होनी चाहिए। जनपद से चलने वाली 26 लग्जरी बसों में स्लीपर सीटें मानक से अधिक लगने की वजह से उन्हें नोटिस दिया गया है। कारण यह कि 61 की जगह 71 सीटें पाई गई थीं। उन्होंने बताया कि बस मालिकों को नोटिस में कहा गया है कि स्लीपर सीटें मानक के अनुरूप कराएं अन्यथा उनका पंजीयन निरस्त करने की कार्रवाई की जाएगी।
बिहार के बेतिया सहित अन्य शहरों से गोरखपुर के लिए चलती हैं बसें
बिहार प्रांत के बेतिया, धनहां, बगहां, रामनगर, चौतरवा, नरकटियागंज, लौरिया और पटना तक से निजी लग्जरी बसें पडरौना के रास्ते कप्तानगंज, पिपराइच होते हुए गोरखपुर के लिए संचालित की जाती हैं। इस रूट पर परिवहन निगम की बसें नहीं चलती हैं। न ही छोटे वाहन संचालित किए जाते हैं। इसलिए चालक इन निजी बसों में यात्रा करने वाले लोगों से मनमानी किराया वसूलते हैं। अन्य कोई विकल्प न होने के कारण यात्रियों को इन बसों में यात्रा करने की मजबूरी होती है।
परमिट शर्तों का भी करती हैं उल्लंघन
बिहार से आने वाली ये बसें परमिट शर्तों का भी उल्लंघन करती हैं। इनके चालक रिजर्व के नाम पर बसों को लेकर चलते हैं, लेकिन सवारियां ढोते हैं। परिवहन विभाग की तरफ से कोई बड़ा अभियान चला तो कार्रवाई की खानापूर्ति कर ली जाती है, वरना ये बसें बेरोक-टोक संचालित होती रहती हैं। प्रमुख स्थलों पर मौजूद पुलिसकर्मी यदि इन्हें रोकते हैं तो ये उनकी मुट्ठी गर्म कर चालक आगे बढ़ जाते हैं। दुर्घटना होने पर ही इनकी गहनता से जांच होती है।
रोडवेज में बैठने का इंतजाम नहीं, सड़क पर खड़े होकर बसों का इंतजार
पडरौना के रोडवेज बस स्टेशन में यात्रियों के बैठने का इंतजाम नहीं है। स्टेशन परिसर में पानी भरा होने के कारण बसें सड़क पर ही खड़ी रहती हैं। चालक-परिचालक यात्रियों को उनमें बैठाते हैं। समस्या यह कि ये बसें लंबी दूरी तक जाती नहीं हैं। गोरखपुर, लखनऊ, देवरिया सहित राजधानी के अंदर ही ज्यादातर बसें रह जाती हैं। यहां रोडवेज के बसों से यात्रा करने की उम्मीद में आए यात्रियों को इन लग्जरी बसों में ही गोरखपुर तक या बिहार की यात्रा करनी पड़ती है। लिहाजा, उन्हें निजी बस चालकों की फरमाइशें पूरी करनी पड़ती हैं।
यात्री बोले
पडरौना से रोडवेज की बसें बिहार के लिए नहीं चलती हैं। इसलिए निजी बसों से यात्रा करनी पड़ती है। वे मनमानी किराया वसूलते हैं।
-संतोष, यात्री
निजी बसों में चालक-परिचालक बोरे की तरह यात्रियों को बैठा देते हैं, जबकि किराया पूरा लेते हैं। अन्य कोई विकल्प नहीं होने के कारण इन बसों से यात्रा करना मजबूरी होती है।
यूसुफ अंसारी, यात्री
बिहार से आने वाली निजी बसों में किराया पर कोई नियंत्रण नहीं होता है। मनमानी किराया वसूलते हैं। इससे आर्थिक क्षति उठानी पड़ती है।
राजेश, यात्री
परिवहन निगम को भी बिहार में बेतिया, रामनगर, बगहां की तरफ रोडवेज की बसों का संचालन करने की व्यवस्था करनी चाहिए, ताकि निजी बसवालों की मनमानी पर अंकुश लग सके।
अभिषेक पांडेय, यात्री
वर्जन-
इस तरह की बसों की जांच के लिए परिवहन निगम के निर्देश पर अगस्त माह के शुरुआती 15 दिनों में अभियान चलाया गया था। उसमें आरटीओ गोरखपुर के साथ मैं खुद भी था। बिहार के बेतिया से पडरौना होते हुए कप्तानगंज, पिपराइच के रास्ते गोरखपुर जाने वाली पांच बसों को नियम का उल्लंघन कर संचालित करने के कारण सीज किया गया था, जबकि आठ का चालान हुआ था। ऐसी बसें रिजर्व बुकिंग दिखाकर अलग-अलग स्थानों की सवारियां बैठाकर चलती मिली थीं। पिछले दिनों कसया में भी एक बस को बंद किया था। नोटिस और जुर्माने की कार्रवाई हुई थी। क्योंकि एक सीट की बजाय दो-दो स्लीपर सीटें लगी थीं। अन्य कोई बड़ी कार्रवाई इसलिए नहीं हो पाती, क्योंकि यदि बसों को बंद कर दिया जाए तो बसों में बैठे बिहार व अन्य स्थानों पर जाने वाले यात्री कैसे जाएंगे।