जब डेंगू बुखार ज्यादा गंभीर नहीं होता है तो बच्चों या किशोर में मुश्किल से इसके लक्षण दिखाई देते हैं

उत्तर प्रदेश गोरखपुर

सफल समाचार 
सुनीता राय 

जब डेंगू बुखार ज्यादा गंभीर नहीं होता है तो बच्चों या किशोर में मुश्किल से इसके लक्षण दिखाई देते हैं। यदि लक्षण होते भी हैं तो यह संक्रमित मच्छर द्वारा काटे जाने के चार से सात दिनों तक रहते हैं। सिरदर्द, मांसपेशियों में दर्द, जी मिचलाना, उल्टी आना, ग्रंथियों में सूजन आना, आंखों में दर्द होना आदि इसके लक्षण हैं।

नगर निगम का दावा है कि गोरखपुर शहर में संवेदनशील इलाकों में एंटी लार्वा का छिड़काव किया जा रहा है। इधर, लगातार दो दिनों में शहर के ट्रांसपोर्ट नगर और राप्तीनगर इलाके में डेंगू के लार्वा मिले हैं। इसके साथ ही डेंगू के मरीज भी लगातार मिल रहे हैं। जहां लार्वा मिले हैं, वहां छिड़काव की खानापूर्ति की जा रही है। जानकार बताते हैं कि डेंगू का लार्वा सूर्योदय के दो घंटे बाद तक अधिक सक्रिय रहता है। ऐसे में दोपहर के समय लार्वा छिड़काव का अर्थ नहीं निकलता। नगर निगम की टीम भी दोपहर में छिड़काव के लिए निकलती है।

दो दिन पहले नगर निगम की स्वास्थ्य विभाग की टीम को ट्रांसपोर्ट नगर के सात दुकानदारों की ओर से रखे गए पुराने टायरों में एकत्र पानी में डेंगू के लार्वा मिले थे। सभी सात दुकानदारों संगम मोटर्स के मुसलीन, शुभम टायर के शिवम यादव, अनिल टायर के एसके यादव, टायर पंक्चर रिपेयरिंग शाॅप के मोहम्मद महफूज, महेंद्र पांडेय, राजू टायर को नोटिस जारी किया गया था।

नगर निगम की तरफ से बताया गया कि दिलेजाकपुर, राप्तीनगर, अली नगर, सिविल लाइंस-1, बेतियाहाता जैसे मोहल्लों में डेंगू के लार्वा मिले हैं। जबकि लार्वा मिलने के बाद भी इन इलाकों में छिड़काव न के बराबर है। ये सभी वार्ड शहर के खास वार्डों में हैं। बेतियाहाता वार्ड में बड़ी संख्या में प्रशासनिक अधिकारी भी रहते हैं। वहीं, रविवार को राप्तीनगर के बस डिपो वर्कशाॅप में रखे टायरों में डेंगू के लार्वा पाए थे।

नगर निगम की स्वास्थ्य विभाग की टीम ने एंटी लार्वा का छिड़काव कर नोटिस दे दिया और खानापूर्ति कर चले गए। ऐसे ही शहर के प्रमुख इलाकों में डेंगू के लार्वा मिलने के बाद भी छिड़काव कर जिम्मेदार कागजी प्रक्रिया पूरी कर ले रहे हैं।
 

कहीं छिड़काव के नाम पर भी खेल तो नहीं हो रहा
एंटी लार्वा के छिड़काव में भी बड़े पैमाने पर खेल होने की सूचना है। वार्ड के पार्षदों ने बताया कि नगर निगम के जिम्मेदार खुद इसका कारण हैं। पिछले तीन दिनों में वार्ड में आई फॉगिंग मशीन खराब हो गई। नई मशीन आई तो दस मिनट चलकर खराब हो गई। इसे चलाने में डीजल का प्रयोग होता है।

निगम की तरफ से डीजल बिक्री-खरीद और मशीन के संचालन में उपयोग होने वाले तेल की समीक्षा कर लें तो बड़ी लापरवाही सामने आ जाएगी। सूत्रों ने बताया कि वार्ड में इन्हीं छोटी मशीनों को भेजा जाता है। इस मशीन में पांच लीटर डीजल और एक लीटर पेट्रोल की खपत होती है। ये मशीनें वार्ड में आकर बंद हो जाती हैं। इनके संचालन को दिखाकर प्रतिदिन का भुगतान ले लिया जाता है।

बचाव के तरीके
  • मच्छर भगाने वाले रेपेल्लेंट का प्रयोग करें।
  • मच्छरदानी का उपयोग करें।
  • नेटिंग या स्क्रीन, खिड़की और दरवाजों में होनी चाहिए।
  • सुगंधित साबुन और इत्र मच्छरों को आकर्षित कर सकते हैं।
  • रुके हुए पानी को समय पर निकालना आवश्यक है। एडीज मच्छर साफ और स्थिर पानी में ही पनपते हैं।
  • घरों के फ्रिज के नीचे ट्रे में रखा पानी, गमले का पानी, कूलर का पानी ये सब खतरनाक होता है। इसकी प्रतिदिन सफाई करनी चाहिए।

डेंगू बुखार के लक्षण
जब डेंगू बुखार ज्यादा गंभीर नहीं होता है तो बच्चों या किशोर में मुश्किल से इसके लक्षण दिखाई देते हैं। यदि लक्षण होते भी हैं तो यह संक्रमित मच्छर द्वारा काटे जाने के चार से सात दिनों तक रहते हैं। सिरदर्द, मांसपेशियों में दर्द, जी मिचलाना, उल्टी आना, ग्रंथियों में सूजन आना, आंखों में दर्द होना आदि इसके लक्षण हैं।

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