उमानगर मोहल्ले में एनआईए मंगलवार की सुबह पांच बजकर तीस मिनट पर पहुंच गई नौ घंटे तक चली कार्रवाई

उत्तर प्रदेश देवरिया

सफल समाचार 
शेर मोहम्मद 

देवरिया। शहर के उमानगर मोहल्ले में एनआईए मंगलवार की सुबह पांच बजकर तीस मिनट पर पहुंच गई। घर का कोना-कोना टीम ने खंगाल डाला। करीब 34 सामानों की लिस्ट एनआईए ने बनाई, जिसमें सात पाॅकेट डायरी हैं। जिस पर विभिन्न लोगों के नंबर लिखे हुए हैं। 12 किताबें हैं। दो मोबाइल फोन, सिम कार्ड, एसडी कार्ड और पैंफलेट भी टीम ने कब्जे में लिए। इसके अलावा कुछ अखबारों की कटिंग भी एनआईए टीम साथ ले गई। राजेश ने बताया कि टीम ने कई सवाल उनसे और उनकी पत्नी चंद्रावती से किए हैं। यहां तक कि जूता, झाड़ू, बाॅक्स, आलमारी सब चीजों की तलाशी ली गई है। सीआरपीसी 165/3 के तहत मुझे सभी सामानों की सूची रिसीव कराई गई है। उन्होंने बताया कि कोई भी संदिग्ध वस्तु नहीं मिली है, लेकिन मुझे आशंका है कि माओवादी, नक्सलवाद के नाम पर मुझे फंसाया जा सकता है। वहीं, जनवादी क्रांति दल के राष्ट्रीय महासचिव डॉ. रामनाथ चौहान ने जिलाधिकारी को शिकायती पत्र देकर बताया है कि एनआईए की टीम ने बेवजह परेशान किया है। आशंका है कि वह बेवजह नक्सलवाद और माओवाद का आरोप मढ़ कर फंसा सकती है।

मासूम बेटी बोली-पुलिस अंकल आए हैं
देवरिया। राजेश की बेटी कृति मोहल्ले के ही एक पब्लिक स्कूल में पढ़ती है। एनआईए के छापा के दौरान उसे टीम ने आराम से पढ़ने के लिए भेज दिया। जब वह वापस लौटी तो छापे की कार्रवाई चल रही थी। उसने बताया कि पुलिस अंकल सुबह से ही घर पर जमे हुए हैं।

पढ़ाई के समय से ही विभिन्न संगठनों से जुड़े हैं राजेश
देवरिया। राजेश चौहान ने हाईस्कूल की पढ़ाई शहर के जीआईसी, इंटर की पढ़ाई मझगांवा, बीएससी की पढ़ाई बीआरडीपीजी काॅलेज से की है। इसके बाद वह एक कोचिंग सेंटर में अध्यापन करने के बाद लखनऊ सीपीएमटी की तैयारी करने चले गए। पढ़ाई के दौरान ही जनवादी और इंकलाबी नौजवान सभा से जुड़ गए। इस दौरान कई किताबों में उनके लेख भी छपे। धीरे-धीरे विभिन्न आंदोलनों में भाग लिया। उन्होंने बताया कि दिल्ली में हुए आंदोलन में उन्होंने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया था। बताया कि संयुक्त किसान मोर्चा के आजमगढ़ के संयोजक हैं और मजदूर किसान एकता संगठन से जुड़े हुए हैं। आजमगढ़ में 11 महीने से खिरिया बाग का आंदोलन उनकी अगुवाई में चल रहा है। 670 एकड़ जमीन के लिए संघर्ष कर रहे हूं। सर्वसेवा संघ भवन को साजिश के तहत गिराया गया। उन्होंने बताया कि भगत सिंह की विचाराधारा से जुड़े हुए व्यक्ति हैं। ससुराल आजमगढ़ में है। जनमुक्ति मोर्चा के जिलाध्यक्ष भी हैं। संवाद

नक्सल प्रभावित हैं 24 गांव, खुफिया विभाग की रहती है खास निगाह
देवरिया। जिले के 24 गांवों को नक्सल प्रभावित होने पर चिह्नित किया गया था। यहां पर दो दशक पहले तक नक्सली गतिविधियां काफी ज्यादा रहीं हैं। इन गांवों में नक्सली गतिविधियों को देखते हुए खुफिया विभाग और पुलिस की खास नजर रहती है। चिह्नित गावों में सभी बिहार सीमा से लगे हुए हैं। इन गांवों में बिहार के माओवादियों की दखल होती थी। इसको लेकर अभी भी स्थानीय खुफिया विभाग केंद्रीय एजेंसियों को इनपुट देता है। किसान नेता राजेश चौहान के घर भी जो कार्रवाई हुई है, उसमें स्थानीय खुफिया विभाग से मिले इनपुट को भी शामिल किया गया है। विधानसभा चुनाव के समय में खुफिया विभाग ने यह जानकारी केंद्रीय जांच एजेंसियों को उपलब्ध कराई थी।

जिले के चिह्नित 24 नक्सल प्रभावित गांवों में हाल के सालों में कोई गतिविधि नहीं मिली है। पर अलर्ट के रूप में हमेशा जिला प्रशासन और पुलिस निगरानी करता रहता है। सूत्रों के अनुसार श्रीरामपुर थाना क्षेत्र के बलुअन खास और राजपुर कटहेरिया, गोबरही, सिरसिया पवार, बंकुल, मिश्रौली ये बिहार के सीमावर्ती गांव हैं, जहां पर अब भी बिहार से जुड़े कुछ संगठन के लोग आते-जाते हैं। इनकी पैठ गांव में गहरी है। गरीबों को अपने पाले में रखते हुए खुफिया एजेंसियां इन गांवों में संदिग्ध लोगों की हर गतिविधि पर नजर रखते हैं। जहां बैठक कर एक विचारधारा का प्रचार-प्रसार भी किया जाता है। अत्याचार और अन्याय के विरुद्ध भी लड़ाई का हुंकार भरा जाता है। धरना प्रदर्शन के लिए प्रेरित करते रहते हैं।

करीब 20 वर्ष पहले बनकटा थाना क्षेत्र के जैतपुरा गांव में जातीय संघर्ष में कुछ लोगों की जान भी चली गई थी। जिसका प्रभाव काफी समय तक देखने को मिला। हालांकि, इस समय स्थितियां सामान्य हैं। गांव में इंडियन पिपुल फ्रंट के सक्रिय सदस्य उमेश पासवान उर्फ शर्मा जी ने सामंती व्यवस्था का विरोध शुरू किया था। आसपास के गांवों में भूमिहार और क्षत्रिय सबसे संपन्न और शक्तिशाली माने जाते थे। गरीबों को उत्पीड़न से निजात दिलाने के नाम पर उमेश पासवान जैतपुरा और उसके आसपास के गरीबों को इनके खिलाफ लामबंद कर रहा था। इसी बीच वर्ष 1998 में एक घटना हुई। बताया जाता है कि शर्मा ने बिहार के डुमहर गांव के मुखिया राजेन्द्र राय की फावड़े से काटकर हत्या कर दी। इसके बाद से ही जैतपुरा व उसके आस-पास के इलाकों में दहशत फैल गई थी। इसके करीब चार साल बाद 2003 में ही चुनावी रंजिश को लेकर गोपालगंज के कुटिया गांव में शर्मा की भी हत्या हो गई। इसके बाद धीरे-धीरे सब कुछ शांत हो गया। इतना ही नहीं, बिहार के सीवान जिले के जगदीशपुर कोठी, कैथोली, परसिया, बड़गांव, करजइया, मैदनिया, डोमडीह, मठिया, सिरकलपुर, बकुलाड़ी, बेलउर, गुथनी और गोपालगंज के अहियापुर व कुटिया आदि गांवों से सटे हैं और वहां 1998 और 2003 की घटना के बाद भी नक्सली गतिविधियां संचालित हो रहीं थी। जिसका असर जिले के 24 गांवों पर पड़ा और नक्सल प्रभावित सूची बनाई गई। इन गांवों को लेकर खास सतर्कता बरती जाती है। यहां के थाना प्रभारियों को भी आला अफसरों का सख्त निर्देश रहता है।

ये हैं नक्सल प्रभावित गांव
देवरिया। जिले के विभिन्न विकास खंडों के करौदी, सरौरा, बरैठा, विशुनपुरा बाजार, लोहरौली, तिलौली, टोला अहिबरनराय, कटघरा, मंझरिया, अमरीचक, महुजा, मेहरौना, चुरिया, बनकटा अमेठिया, बलुआ अफगान, रायबारी, कोरयाकटहरिया, छपरा दुबौली, राजपुर, सिरसिया पवार, बासदेव उर्फ गोबरही, बासदेव उर्फ गोबरही, रामपुर बुजुर्ग, विशुनपुरा, रामपुर कोठी नक्सल प्रभावित की सूची में चिह्नित किए गए हैं।

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