जमीनें सोना उगलेंगी, मगर किसानों ने कम कीमत मिलने की बात दोहराते हुए सहमति पत्र पर हस्ताक्षर करने से मना कर दिया

उत्तर प्रदेश गोरखपुर

सफल समाचार 
सुनीता राय 

मुआवजा दिए बिना निर्माण कार्य शुरू कराने का विरोध कर रहे किसानों का कहना है कि देवरिया-सलेमपुर रोड चौड़ीकरण के लिए 10 करोड़ रुपये प्रति हेक्टेयर की दर से मुआवजा दिया जा रहा है। उन्हें भी इसी हिसाब से मुआवजा मिलना चाहिए।

जंगल कौड़िया-जगदीशपुर रिंग रोड के निर्माण कार्य के लिए अधिग्रहित जमीन के मुआवजे को लेकर किसानों और राजस्व व एनएचएआई के अधिकारियों के बीच तीसरी वार्ता भी बेनतीजा रही। अफसरों ने किसानों को बहुत समझाया कि रिंग रोड बनते ही उनकी जमीनें सोना उगलेंगी, मगर किसानों ने कम कीमत मिलने की बात दोहराते हुए सहमति पत्र पर हस्ताक्षर करने से मना कर दिया। इसके पहले बुधवार और मंगलवार को भी टीम दो गांवों से लौट चुकी हैं।

बता दें, जंगल कौड़िया-जगदीशपुर रिंग रोड के लिए 26 गांवों के किसानों की जमीन ली गई है। मुआवजे के लिए किसानों ने आर्बिट्रेशन (न्यायिक मध्यस्थता) दाखिल की हुई है। रिंग रोड का काम कराने के लिए एनएचएआई की ओर से करीब 13 किमी जमीन को समतल कराया जा चुका है। आगे का निर्माण कार्य धान की फसल कटने के बाद होगा। इसलिए, अधिकारी और कर्मचारी गांव में जाकर किसानों से सहमति पत्र जमा करा रहे हैं।

ब़ृहस्पतिवार को कर्महा गांव में अधिकारियों और किसानों के बीच डेढ़ घंटे तक बातचीत चली। अधिकारियों ने किसानों से सहमति पत्र पर हस्ताक्षर करने को कहा। पर, किसान राजी नहीं हुए। किसानों ने कहा कि यहां जमीन की कीमत चार लाख रुपये प्रति डिसमिल से अधिक है, जबकि सरकार की ओर से महज 70 से 90 हजार रुपये डिसमिल का भुगतान किया जा रहा है।

कर्महा के किसान रामू ,भजुराम, रंगीलाल, मुराली और रमवापुर गांव के किसान अफरात, नंदकिशोर, रियाज और राजकुमार सहित अन्य का कहना है कि एनएचएआई तथा एसएलओ के अधिकारी-कर्मचारी जब गांव में आते हैं तो कार्रवाई की धमकी और मुआवजा से वंचित रहने का डर दिखाते हैं।

सीएम से मिलेंगे किसान, रखेंगे अपनी बात
मुआवजा दिए बिना निर्माण कार्य शुरू कराने का विरोध कर रहे किसानों का कहना है कि देवरिया-सलेमपुर रोड चौड़ीकरण के लिए 10 करोड़ रुपये प्रति हेक्टेयर की दर से मुआवजा दिया जा रहा है। उन्हें भी इसी हिसाब से मुआवजा मिलना चाहिए। आर्बिट्रेशन दाखिल होने के बाद सहमति पत्र भरवाए जाने को किसान छलावा बता रहे हैं। इसलिए, लोग सहमति पत्र पर हस्ताक्षर नहीं कर रहे हैं। किसानों का कहना है कि सीएम से दोबारा मिलकर अपनी समस्या रखेंगे। इसके बाद ही काम शुरू होने देंगे।

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