सफल समाचार
सुनीता राय
विशेषज्ञों की माने तो छेड़खानी या फिर दुष्कर्म जैसी घटनाओं का असर मन पर पड़ता है। मानसिक तौर पर इतने सवाल होते हैं कि उससे जूझना हर किसी के बस की बात नहीं होती है। अगर, घरवाले इसमें सहयोग करते हैं और फिर पुलिस को जानकारी देकर कार्रवाई कराई जाती है तो वहीं मन यह भी सोचता है कि आरोपी को उसकी गलती की सजा मिल गई है।
गोरखपुर जिले में छेड़खानी के मामले आए दिन सामने आ रहे हैं। शोहदे बेटियों पर छींटाकशी तो करते हैं, विरोध करने पर मारपीट करने से भी नहीं चूकते, लेकिन इन सब के बीच जब बेटियों ने शोहदे के खिलाफ खामोशी रखी तो उन्हें अपनी जान तक गंवानी पड़ी है। इसके कई उदाहरण सामने आ चुके हैं।
यही वजह है कि समय-समय पर पुलिस भी जागरुकता शिविर के जरिये बेटियों को आगे आने की बात करती है, ताकि कार्रवाई हो सके। समाज में घूम रहे शोहदों को जेल भेजा जा सके। हाल ही में छेड़खानी के ऐसे कई मामले सामने आए हैं, जिस पर ध्यान न देने पर दुष्कर्म जैसी घटनाएं हुईं। अभी गुलरिहा में ही छेड़खानी का विरोध करने पर मारपीट की घटना सामने आई थी।
विशेषज्ञों की माने तो छेड़खानी या फिर दुष्कर्म जैसी घटनाओं का असर मन पर पड़ता है। मानसिक तौर पर इतने सवाल होते हैं कि उससे जूझना हर किसी के बस की बात नहीं होती है। अगर, घरवाले इसमें सहयोग करते हैं और फिर पुलिस को जानकारी देकर कार्रवाई कराई जाती है तो वहीं मन यह भी सोचता है कि आरोपी को उसकी गलती की सजा मिल गई है। लेकिन, अगर ऐसे मामलों को दबाने की कोशिश की जाती है तो फिर इसके घातक परिणाम आमने आते हैं। आमतौर में समाज के लोग इतने ताने मारते हैं, जिसे सोच कर भी कई लोग आत्मघाती कदम उठा लेते हैं।