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विश्वजीत राय
रामकोला। सीएचसी में प्रसव के बाद बच्चा बदलने को लेकर मंगलवार को रामकोला थाने में घंटों वार्ता चली, लेकिन पुष्टि नहीं हुई। पीड़ित महिला के अलावा स्टाफ नर्स और उस दिन जिन महिलाओं का सीएचसी में प्रसव हुआ था, सभी को पुलिस ने बुलाया गया था। पीड़ित महिला को अब भी विश्वास नहीं है। वह पुलिस पर जांच में लीपापोती का आरोप लगा रही है और एसपी से मिलकर शिकायत दर्ज कराने की बात कही।
देवरिया जिले के अमरी गांव निवासी राजेश कुमार की 28 वर्षीय पत्नी इंद्रावती को तीसरा बच्चा होना था। वह अपने मायके रामकोला के पकड़ी बांगर गांव में आई थीं। 7 सितंबर को प्रसव पीड़ा होने पर मायकेवाले उसे रामकोला सीएचसी ले गए। सुबह 9.22 बजे इंद्रावती को बेटी पैदा हुई। उसी दिन शाम को डॉक्टर ने डिस्चार्ज कर दिया और मायके चली गईं। बच्ची का चेहरा परिवार के किसी सदस्य से नहीं मिलने के कारण उन्हें संदेह हुआ और सोमवार को रामकोला पुलिस को तहरीर देकर स्टाफ नर्सों पर बच्चा बदलने का आरोप लगाया। मामले को गंभीरता से लेते हुए पुलिस ने जांच शुरू की।
सीएचसी पहुंची पुलिस ने लेबर रूम का अभिलेख खंगाला और उस दिन ड्यूटी पर मौजूद स्टॉफ नर्सों से पूछताछ की। उस दिन छह महिलाओं का प्रसव सीएचसी में हुआ था। सभी को पुलिस ने थाने पर बुलाया था। साथ में स्टाफ नर्स भी गई थी। चार घंटे तक पुलिस ने सभी से पूछताछ की, लेेकिन कहीं से भी बच्चा बदलने की पुष्टि नहीं हुई। इंद्रावती के साथ गई उसकी मां ने पुलिस की जांच पर सवाल खड़ा करते हुए लीपापोती का आरोप लगाया। बाद में पुलिस ने आरोप को निराधार बताते हुए सभी को घर जाने को कहा। इस संबंध में दरोगा मिथिलेश कुमार ने बताया कि सभी अभिलेखों की जांच कर ली गई है। कहीं से भी बच्चा बदलने की पुष्टि नहीं हो रही है। पता नहीं महिला के दिमाग में क्या चल रहा है। किसी की बात सुनने को तैयार नहीं है। सभी को पूछताछ के बाद घर भेज दिया गया।