लोकसभा चुनाव में भाजपा ने पहले राजेंद्र कुमार को प्रत्याशी बनाया था। नामांकन के बाद उनका टिकट काट दिया गया

उत्तर प्रदेश प्रयागराज

सफल समाचार 
आकाश राय 

भाजपा नेता राजेंद्र कुमार ने कुंवर भारतेंद्र सिंह के भाजपा प्रत्याशी के रूप में नामांकन पर जिला निर्वाचन अधिकारी के समक्ष आपत्ति की थी। इसके खिलाफ राजेंद्र कुमार ने नौ साल पहले हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। मंगलवार को न्यायमूर्ति सौरभ श्याम शमशेरी की कोर्ट ने इस मामले में सुनाए फैसले में दोस्ती को संदर्भित एक श्लोक का भी उल्लेख किया।

इलाहाबाद हाईकोर्ट का कहना है कि राजनीति में कोई स्थायी दोस्त और दुश्मन नहीं होता। राजनीतिक कटुता से बेहतर है अच्छी दोस्ती कायम रखना। एक अच्छा मित्र चंदन और चंद्रमा दोनों से ही ज्यादा शीतल होता है। हाईकोर्ट ने इस टिप्पणी के साथ बिजनौर के सांसद रहे कुंवर भारतेंद्र सिंह के खिलाफ भाजपा नेता राजेंद्र कुमार की चुनाव याचिका खारिज कर दी। 2014 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने पहले राजेंद्र कुमार को प्रत्याशी बनाया था। नामांकन के बाद उनका टिकट काट दिया गया था।

भाजपा नेता राजेंद्र कुमार ने कुंवर भारतेंद्र सिंह के भाजपा प्रत्याशी के रूप में नामांकन पर जिला निर्वाचन अधिकारी के समक्ष आपत्ति की थी। इसके खिलाफ राजेंद्र कुमार ने नौ साल पहले हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। मंगलवार को न्यायमूर्ति सौरभ श्याम शमशेरी की कोर्ट ने इस मामले में सुनाए फैसले में दोस्ती को संदर्भित एक श्लोक का भी उल्लेख किया। कहा, चंदनं शीतलं लोके, चंदनादपि चंद्रमाः। चंद्रचंदनयोर्मध्ये शीतला साधुसंगतिः।

कार्यकाल खत्म होने के कारण याचिका को बलहीन माना
 कोर्ट ने अर्थ भी समझाया कि संसार में चंदन को शीतल माना जाता है, लेकिन चंद्रमा इससे भी अधिक शीतल है। मगर, अच्छे मित्रों का साथ चंद्रमा और चंदन दोनों से अधिक शीतलता देने वाला होता है। कोर्ट ने कहा कि 16वीं लोकसभा का कार्यकाल खत्म हो चुका है। 17वीं लोकसभा का चुनाव कुछ महीने बाद होना है। याचिका लंबित रहने के दौरान भारतेंद्र सिंह का कार्यकाल 2019 में पूरा हो चुका है। वे अगला चुनाव हार भी गए। ऐसे में याचिका स्वीकार भी कर ली जाए तो इसका कोई विधिक मायने नहीं निकलेगा। अब याचिका बलहीन हो चुकी है।
कोर्ट ने सुनवाई के दौरान वादी-प्रतिवादी से बातचीत में पाया कि उनके बीच कोई व्यक्तिगत दुश्मनी नहीं थी। याची इससे दुखी था कि भाजपा के अधिकृत प्रत्याशी होने के बावजूद चुनाव अधिकारी ने उनका नामांकन निरस्त कर दिया। याची के वकील का कहना था कि चुनाव हुए भले ही काफी समय बीत चुका है, लेकिन कोर्ट के इस निर्णय से समाज और कार्यकर्ताओं के बीच खराब हुई छवि को सुधारा जा सकता है।

अपनी छवि को लेकर चिंतित होना जायज
कोर्ट ने कहा कि याची का अपनी छवि को लेकर चिंतित होना जायज है, क्योंकि सामाजिक और राजनीतिक रूप से सक्रिय व्यक्ति हमेशा अच्छी सार्वजनिक छवि व प्रशंसा चाहता है। चुनाव अधिकारी के नामांकन निरस्त करने से उसकी सार्वजनिक छवि यह बनी कि उसने कुछ गैरकानूनी काम किया है या उनके नामांकन फॉर्म में कुछ गड़बड़ थी। हालांकि, चुनाव अधिकारी के आदेश को देखने से यह धारणा सच नहीं लगती है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *