सफल समाचार
मनमोहन राय
अंश, सिर्फ छह साल का था। वह अपने पड़ोसियों की आंखों का तारा था। लोग उसकी बातों को ध्यान से सुनते थे। उसे कभी टॉफियां तो कभी चॉकलेट देते थे। उसकी हंसी, उसकी खिलाखिलाहट, मासूमियत हंसने पर मजबूर कर देती थी। शनिवार सुबह जब मलबा हटाया गया तो उसकी मां का एक हाथ उसके सिर के नीचे और दूसरा उसके सीने पर था। अंश के चेहरे पर धूल की मोटी परत थी। उसकी सांसें थम चुकी थीं, जिसने भी उसके शव को देखा, उसकी आंखें नम हो गईं।
कुछ ऐसा ही गमजदा माहौल शनिवार सुबह उत्तर रेलवे लखनऊ मंडल की फतेह अली कॉलोनी में देखने को मिला। जहां एल-60 क्वार्टर में रहने वाले सतीश (40), उनकी पत्नी सलोनी (35), बेटी हर्षिता (10), बेटों हर्षित (13) व अंश (6) की मौत छत ढह जाने से हो गई। पांचों एक ही छत के नीचे बीती रात सोए थे, पर सुबह उठ नहीं सके। छत गिरने की घटना बीती रात तीन से पांच बजे के बीच की बताई जा रही है।
सूचना मिलने पर पुलिस व एसडीआरएफ की टीम पहुंची और मलबे से शवों को निकालकर लोकबंधु अस्पताल ले गए, जहां डॉक्टरों ने मृत घोषित कर दिया। पड़ोसी सोनू ने बताया कि जब मलबा हटाकर शव निकाले जा रहे थे अंश मां की बाहों में था। हर्षित व हर्षिता पिता के पास लेटे हुए थे। पिता सतीश के मुंह में प्लास्टर की धूल भरी हुई थी। उनके बाल बिखरे थे और चेहरा जर्द पड़ गया था।
पहले पीटा दरवाजा, नहीं खुला तो खिड़की से झांका
सतीश लोको वर्कशॉप में संविदा सफाईकर्मी था। उसका दोस्त रंजीत पड़ोस में ही रहता था। वह रोजाना सतीश के साथ ही लोको वर्कशॉप जाता था। रंजीत ने बताया कि शनिवार सुबह उसने पांच से सात बार दरवाजा पीटा, लेकिन किसी ने कोई जवाब नहीं दिया, जबकि ऐसा नहीं होता था। कभी उसकी पत्नी तो कभी बेटा, बेटी निकल आते थे। वह आवास के पीछे बनी खिड़की पर पहुंचा, जहां से झांका तो मलबा दिखा। इसके बाद वह दरवाजे के पास से छत पर जाने के लिए बनी सीढ़ियों पर गया तो छत ढही दिखी। उसने तत्काल आसपास के लोगों को सूचना दी।
फावड़े, कुदाल लेकर पहुंचे पड़ोसी, हटाया मलबा
सतीश की पड़ोसी जीनत ने बताया कि सुबह आठ बजे के करीब रंजीत ने जब हादसे की सूचना दी तो आनन-फानन लोग पहुंच गए। फावड़े, तसला व कुदाल ले लिए। कुछ लोग दरवाजे से तो कुछ छत के रास्ते नीचे उतरे और मलबा हटाने लगे। बेहद दर्दनाक मंजर था। मलबा हटाकर शवों को निकाला ही जा रहा था, इसी बीच पुलिस व एसडीआरएफ भी आ गई और शवों को अस्पताल ले जाया गया। रात में छत गिरने की आवाज तक नहीं हुई। न किसी की चीख-पुकार सुनाई पड़ी।
छत ढहने से बहन समेत पूरे परिवार की मौत की खबर सुनकर भरतनगर में रहने वाले राजेश फतेहअली कॉलोनी पहुंच गए। वह फूट-फूटकर रो रहे थे। दरअसल, अंश नानी के घर पर ही था। बीती रात खुद राजेश अंश को नानी के घर से लाकर कॉलोनी छोड़ गए थे। अंश के ननिहाल पक्ष के लोगों का रो-रोकर बुरा हाल था।
फूट-फूटकर रोए मामा, रात में ही नानी के घर से लौटा था अंश
छत ढहने से बहन समेत पूरे परिवार की मौत की खबर सुनकर भरतनगर में रहने वाले राजेश फतेहअली कॉलोनी पहुंच गए। वह फूट-फूटकर रो रहे थे। दरअसल, अंश नानी के घर पर ही था। बीती रात खुद राजेश अंश को नानी के घर से लाकर कॉलोनी छोड़ गए थे। अंश के ननिहाल पक्ष के लोगों का रो-रोकर बुरा हाल था।
स्कूल भी जर्जर, ढहने की कगार पर
फतेहअली कॉलोनी में जहां हादसा हुआ, वहीं पास में रेलवे हायर सेकेंड्री स्कूल भी है, जो ढहने की कगार पर है। स्कूल में हर्षित कक्षा चार और हर्षिता तीसरी कक्षा की छात्रा थी। स्कूल में बीस कमरे हैं। भवन जर्जर है, जहां कभी भी हादसा हो सकता है। यहां कक्षा एक से दस तक की पढ़ाई होती है। बिजली आपूर्ति बाधित रहती है, पेयजल नहीं है। स्कूल में ढाई सौ के करीब बच्चे पढ़ते हैं।