कुछ सपनों के मर जाने से जीवन नहीं मरा करता…

उत्तर प्रदेश सोनभद्र

सफल समाचार अजीत सिंह 

कुछ सपनों के मर जाने से जीवन नही मरा करता…

शांति, सौहार्द और सामाजिक समरसता के संवाहक थे प्रखर समाजसेवी योगेश शुक्ला उर्फ योगेश शेखर: मुख्य अतिथि

लोकतंत्र सेनानी योगेश शहर की चौथी पुण्यतिथि पर परिवार जनों, साहित्यकारों एवं गणमान्य नागरिकों ने उन्हें याद कर अर्पित की भावपूर्ण श्रद्धांजलि

सोनभद्र। मोती व्यर्थ बहाने वालों, कुछ सपनों के मर जाने से जीवन नही मरा करता है पद्मश्री गोपाल दास नीरज की यह पंक्तिया आज भी उतनी ही प्रासंगिक है जितनी उस दौर में हुआ करती थी। बेबाक बोल, स्वतंत्र विचार, फक्कड़ी मिजाज, शान्ति, सौहार्द और सामाजिक एकता के संवाहक समाजवाद के वैचारिक पक्षधर लोहिया और जेपी के समग्र क्रांति आन्दोलन में सहभागी रहे लोकतंत्र सेनानी, कवि, लेखक, पत्रकार पं० योगेश शेखर शुक्ल की चौथी पुण्यतिथि उनके न्यूकालोनी स्थित निज आवास पर मंगलवार को देर शाम देर मनायी गयी। इस दौरान सोनांचल के प्रख्यात कवि, लेखक, पत्रकार व गण मान्य समाजसेवियों ने उनके तैल चित्र पर श्रद्धा सुमन अर्पित कर भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की।वरिष्ठ साहित्यकार पं० पारसनाथ मिश्र की अध्यक्षता व प्रमुख साहित्यिक संस्था सोन साहित्य संगम के संयोजक राकेश शरण मिश्र के संचालकत्व में विचार व कवि गोष्ठी का आयोजन किया गया जिसमें उपस्थित साहित्यकार, पत्रकार व सामाजिक कार्यकर्ताओं ने स्व. शुक्ल के जीवन संघर्ष और संस्मरणों को साझा करते हुए श्रद्धांजलि स्वरूप शब्द सुमन अर्पित किया।गोष्ठी को बतौर मुख्य अतिथि सम्बोधित करते हुए लब्ध प्रतिष्ठ साहित्यकार व समाजवादी चिन्तक अजय शेखर ने कहा कि स्व. योगेश शुक्ल मेरे अत्यंत निकट रहे, हमारे और उनके बीच काफी मधुर सम्बन्ध भी रहे। आज उनकी पुण्यतिथि के इस मौके पर मैं अत्यंत भावुक हूँ, उनके साथ बिताये समय को याद कर के मन दुःखी है। उन्होंने रूधे गले से कहा की संघर्ष में सदैव साथ रहने वाले हमारे अभिन्न सहयोगी स्व. शुक्ल आज हमारे बीच भले न हों लेकिन उनकी स्मृतियां हमारे जेहन में है, मैं सोच रहा हूँ कि महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ से उनके छात्र जीवन के संघर्षों पर बात करूं या डा. लोहिया के समाजवादी आन्दोलन के दौरान अपने साथ जेल में बिताए समय काल और संघर्ष पर करूँ, कहने के लिए तो बहुत कुछ है परन्तु मेरे शब्द मौन हैं।उन्होंने कवयित्री डॉ रचना तिवारी की गीत के पंक्तियों से अपने विचारों को जोड़ते हुए कहा कि सपने मर गए तो जीवन बचता कहा है, सपने न हो तो जीवन कहाँ सपनो के बगैर जीवन की सार्थकता ही नही है। सपनो के बगैर न नींद है न चैन न सुकून है सपने हैं तभी जीवन है, सपनों के बिना जीवन थम जायेगा हमें सपनों को साकार करने के लिए निरन्तर चलना होगा जिस प्रकार स्व. शुक्ल अपने जीवन पथ पर चलते रहे यही उनके प्रति सच्ची श्रद्धांजलि होगी।गोष्ठी की अध्यक्षता कर रहे वरिष्ठ साहित्यकार पं० पारसनाथ मिश्र ने कहा कि वैचारिक व सामाजिक संघर्ष से समाज को दिशा देने वाले स्व. शुक्ल जी के जीवन पर जब दृष्टि डालता हूँ तो कभी वो भीष्म की भूमिका में दिखायी पड़ते है तो वही नीतिगत मामलों पर वो विदुर की भूमिका में दिखते हैं, कहीं उनके तन- मन और जीवन मे शिव तो कभी बुद्ध दिखायी पड़ते हैं। एक व्यति के भीतर अनेकों विविधताएं शायद ही देखने को मिलें जो उनके भीतर थी। निश्चित रूप से उनका जीवन आज के समाज और युवा पीढ़ी के लिए अनुकरणीय व प्रेरणादायी है।कथाकार रामनाथ शिवेन्द्र ने कहा कि योगेश शुक्ल के जीवन मूल्यों से हम लोगों को प्रेरणा लेनी चाहिए,उनका संघर्ष शासन-प्रशासन व व्यस्था से ही नही बल्कि स्वयं के जीवन से भी रहा और उन्होंने वैचारिक व सामाजिक मूल्यों को लेकर जीवन पर्यन्त संघर्ष किया उनका सम्पूर्ण जीवन हम सभी के लिए अनुकरणीय है।इस अवबर पर कवयित्री गीतकार डा0रचना तिवारी, राष्टपति पुरष्कार प्राप्त शिक्षक ओम प्रकाश त्रिपाठी, संत कीनाराम पीजी कालेज के प्राचार्य डा. गोपाल सिंह, नगर पालिका परिषद रॉबर्ट्सगंज के पूर्व अध्यक्ष कृष्ण मुरारी गुप्ता, सपा के वरिष्ठ नेता हिदायत उल्ला खां, एडवोकेट शशांक शेखर कात्यायन, प्रखर गीतकार जगदीश पंथी, कवि शुशील राही, प्रदुम्न त्रिपाठी, अशोक तिवारी, प्रभात सिंह चन्देल, धर्मेश चौहान, कौशल्या कुमारी चौहान, अरुण तिवारी, राधेश्याम पाल, सुधाकर स्वदेशप्रेम, साहित्यकार दीपक कुमार केसरवानी, भाजपा नेता बलराम सोनी सहित शुक्ला जी के परिजन क्रांति चतुर्वेदी, विलियम शुक्ल, जेम्स शुक्ल, पुरु के साथ ही नगर के अनेक गणमान्य नागरिकों ने अपने भावपूर्ण विचार व्यक्त कर उन्हें शत-शत नमन किया। ।

 

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