सफल समाचार
विश्वजीत राय
अप्रैल से अब तक सिर्फ एक हजार दुकानदारों का विभाग कर पाया है सत्यापन
बाट पर मोहर भी लगती है, अनजान हैं कई दुकानदार
इलेक्ट्रॉनिक कांटे की भी नहीं होती टैगिंग, केवल औपचारिकता तक सिमटी कार्रवाई
कुशीनगर। बाट-माप विभाग में भ्रष्टाचार की मोहर का असर ग्राहकों की जेब पर पड़ रहा है। बिना नवीनीकरण के माप व तौल का काम खूब चल रहा है। नियमानुसार हर दो साल बाद बाट, तराजू व इलेक्ट्रॉनिक कांटे की जांच होती है। बाट पर मोहर लगती है तो इलेक्ट्रॉनिक कांटे पर जांच के बाद टैग (सील) लगती है। बाजार में बड़ी संख्या में बिना मोहर के बाट व बिना नवीनीकरण टैग के कांटे इस्तेमाल किए जा रहे हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में स्थिति और भी लचर है। मोहर व टैग लगाने के लिए विभाग की ओर से एजेंट अधिकृत किए जाते हैं, जो रिपेयरिंग, इलेक्ट्रॉनिक कांटों का निर्माण व बिक्री करते हैं। कुशीनगर जनपद में सिर्फ 10 ऐसे एजेंट हैं, जो बाट-तराजू और इलेक्ट्रॉनिक कांटे के सत्यापन के लिए अधिकृत हैं। इतने बड़े जिले में बाट-माप विभाग ने अप्रैल से अब तक सिर्फ 1000 दुकानों का सत्यापन किया है। वहीं, कुछ ऐसे दुकानदार मिले, जिन्हें पता ही नहीं था कि बाटों की जांच और उन पर मोहर भी लगती है।
बाट-माप विभाग की होती है जिम्मेदारी
तराजू-बाट से लेकर मीटर और लीटर तक की जांच के लिए बाट-माप विभाग को जिम्मेदारी दी गई है। ताकि ग्राहक घटतौली के शिकार न हों, लेकिन विभाग में एक तो अधिकारियों की कमी और दूसरे उनकी सुस्ती ग्राहकों की जेब पर भारी पड़ रही है। सब्जी मंडी, ठेला और फुटपाथ पर तो बिना सत्यापित बाटों से ही तौलकर ग्राहकों को सामान बेचा जा रहा है। इलेक्ट्रॉनिक कांटे लगे हैं, लेकिन उनकी भी टैगिंग नहीं होती है। सब्जी, फल की दुकानों और आटा चक्की पर भी ज्यादातर ईट-पत्थर से बने बाटों का प्रयोग किया जाता है। विभाग की ओर से कोई पूछने तक नहीं आता कि ऐसा क्यों हो रहा है। ग्रामीण क्षेत्रों के बाजारों, चौराहों की दशा इससे भी गई गुजरी है।
दीपावली में दुकानों के बाटों की जांच होती है या उच्चाधिकारियों की तरफ से अभियान चलाने का निर्देश मिलता है तब। अप्रैल से अब तक एक हजार दुकानों पर बाटों और इलेक्ट्रॉनिक कांटा का सत्यापन किया गया है। इस दौरान 4.50 लाख रुपये जुर्माना लगाया गया है। घटतौली पर दो हजार रुपये से लेकर दस हजार तक जुर्माना लगाने का प्रावधान है। पूरे जिले में दस ऐसे एजेंट हैं, जो बाट, तराजू और इलेक्ट्रॉनिक कांटे का सत्यापन करते हैं। -जितेंद्र पांडेय, वरिष्ठ निरीक्षक, बाट माप विभाग