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मनमोहन राय
केंद्रीय वित्त मंत्रालय ने राज्यों के मुख्य सचिवों से आवंटित धनराशि के संपूर्ण खर्च का उपभोग प्रमाणपत्र 30 अक्तूबर तक उपलब्ध कराने को कहा है। यूपी को सर्वाधिक 10 हजार करोड़ रुपये का हिसाब देना है।
तेरहवें वित्त आयोग को खत्म हुए आठ साल बीतने वाले हैं लेकिन राज्यों ने आयोग से मिली धनराशि का अब तक पूरा हिसाब नहीं दिया है। केंद्रीय वित्त मंत्रालय ने राज्यों के मुख्य सचिवों से आवंटित धनराशि के संपूर्ण खर्च का उपभोग प्रमाणपत्र 30 अक्तूबर तक उपलब्ध कराने को कहा है। यूपी को सर्वाधिक 10 हजार करोड़ रुपये का हिसाब देना है।
केंद्र सरकार ने 13 वें वित्त आयोग की अवधि 2010-11 से 2014-15 के बीच विभिन्न कार्यों के लिए राज्यों को 80,027 करोड़ रुपये का आवंटन किया था। यूपी को 10,010.02 करोड़ रुपये जारी किए थे। इसमें एनपीआरडीजी, लोकल बॉडी ग्रांट, राज्य आपदा मोचक निधि व राष्ट्रीय आपदा मोचक निधि व परफार्मेंस ग्रांट के रूप में दी जाने वाली धनराशि शामिल नहीं है।
केंद्रीय वित्त मंत्रालय के व्यय विभाग (वित्त आयोग डिविजन) में उप सचिव अनिल गैरोला ने मुख्य सचिव को पत्र लिखा है। उन्होंने कहा है कि राज्यों से पूरे या आंशिक उपभोग प्रमाणपत्र प्राप्त नहीं हुए हैं। इसका मतलब है कि दी गई राशि पूरी या आंशिक खर्च नहीं हुई है।
ऐसे में जारी संपूर्ण धनराशि का हिसाब 30 अक्तूबर तक उपलब्ध कराया जाए। गैरोला ने कहा है कि यदि उपभोग प्रमाणपत्र आंशिक दिए गए हैं तो पूरी राशि के लिए मदवार नया उपभोग प्रमाणपत्र उपलब्ध कराएं। मुख्य सचिव दुर्गा शंकर मिश्र ने अपर मुख्य सचिव वित्त को इस संबंध में कार्यवाही के लिए निर्देशित किया है।
इन कार्यों में खर्च बजट का यूपी को देना है हिसाब। मद और धनराशि (करोड़ रुपये में).
- कैपिसिटी बिल्डिंग 5.00
- न्याय तंत्र के विस्तार 246.48
- यूनिक आईडी 59.00
- डिस्ट्रिक्ट इनोवेशन फंड 35.00
- आईएमआर 17.66
- कर्मचारी व पेंशनर डाटाबेस 2.50
- सांख्यिकी सिस्टम 28.00
- प्राथमिक शिक्षा 5040.00
- वन 80.48
- अतिरिक्त ऊर्जा 87.76
- जल सेक्टर प्रबंधन 341.00
- सड़क व पुलों की मरम्मत 2830.00
- राज्य केंद्रित आवश्यकता 1216.31