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विश्वजीत राय
शोहरतगढ़। बावनी एकादशी पर मंगलवार को श्रीरामजानकी मंदिर में श्रद्धालुओं की भीड़ रही। व्रती महिलाओं ने भगवान विष्णु व माता लक्ष्मी की पूजा-अर्चना की।
सत्यप्रकाश शुक्ला ने कहा कि बावनी एकादशी का पर्व भाद्रपद अश्वनी एकादशी पर्व के दूसरे दिन दोपहर को मनाया जाता है। राजा बली के अत्याचार से देवता काफी दुखी थे। उनका संहार करने के लिए देवताओं ने यज्ञ किया। भगवान विष्णु खुश होकर बामन का अवतार कर बली से तीन कदम पृथ्वी दान में मांवी और फिर उसके अत्याचार से देवताओं की रक्षा की तभी से बावनी एकादशी व्रत की परंपरा शुरू हुई।
उन्होंने कहा कि सनातन धर्म के लोगों को हर माह पड़ने वाली एकादशी और अमावस्या का व्रत रखना चाहिए, इससे कष्टों से मुक्ति मिलती है, और सुख समृद्धि बनी रहती है, प्रसाद ग्रहण करने के बाद व्रती महिलाओं ने पारण किया। इस दौरान रामसेवक गुप्ता, सतीश मित्तल, राम मिलन चौधरी, कलावती, किरन, राजेश्वरी, उमा आदि लोग रहे।