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मनमोहन राय
जांच में सामने आया है कि मुख्तार ने अपने करीबी जितेंद्र सापरा के नाम से दिल्ली, लखनऊ और वाराणसी में तमाम संपत्तियों को खरीदा है। जितेंद्र सापरा के जरिए मुख्तार ने अपनी काली कमाई के करोड़ों रुपये रियल एस्टेट में निवेश किये थे।
माफिया मुख्तार अंसारी की गाजीपुर और लखनऊ स्थित बेनामी संपत्तियों को आयकर विभाग द्वारा जब्त करने के बाद प्रवर्तन निदेशालय भी पंजाब और दिल्ली की संपत्तियों पर कानूनी शिकंजा कसने जा रहा है। ईडी के सूत्रों के मुताबिक पंजाब और दिल्ली में मुख्तार और उसके कुनबे की दो दर्जन से ज्यादा संपत्तियों का पता लगाया जा चुका है। हालांकि जिन लोगों के नाम से इसे खरीदा गया था, वह जांच एजेंसी के सामने पेश होने से कतरा रहे हैं।
जांच में सामने आया है कि मुख्तार ने अपने करीबी जितेंद्र सापरा के नाम से दिल्ली, लखनऊ और वाराणसी में तमाम संपत्तियों को खरीदा है। जितेंद्र सापरा के जरिए मुख्तार ने अपनी काली कमाई के करोड़ों रुपये रियल एस्टेट में निवेश किये थे। दरअसल, जितेंद्र सापरा मुख्तार के ससुर जमदेश राना की कंपनी प्रोजेक्ट एंड इंजीनियरिंग प्राइवेट लिमिटेड का असली कर्ता-धर्ता है। इस कंपनी के जरिए बेनामी संपत्तियों को खरीदा जाता था। जबकि विकास कंस्ट्रक्शन के नाम पर भी बुंदेलखंड इलाके में तमाम भूखंड खरीदे गये थे। ईडी ने उरई और जालौन में 3.50 करोड़ कीमत की संपत्तियों को कुछ माह पूर्व जब्त कर लिया था।
कभी नहीं जमा किया आयकर रिटर्न
आयकर विभाग ने रविवार को लखनऊ के डालीबाग में 1.50 करोड़ कीमत वाले जिस भूखंड को जब्त किया है, उसे गाजीपुर निवासी तनवीर सहर के नाम से खरीदा गया था। आयकर विभाग ने तनवीर को पूछताछ के लिए तलब किया, लेकिन वह पेश नहीं हुई। तनवीर को मुख्तार के करीबी नियाज की पत्नी बताया जा रहा है। जांच में उसके द्वारा कभी आयकर रिटर्न भरे जाने की पुष्टि नहीं हुई है, जिससे यह भूखंड खरीदने की उसकी आर्थिक क्षमता सवालों के घेरे में है।
आगाज से गणेश मिश्रा का नहीं कोई नाता
जांच में पता चला कि मुख्तार ने पहले अपनी पत्नी अफशां के नाम से डालीबाग वाला भूखंड खरीदा था। बाद में इसे अपने करीबी गणेश दत्त मिश्रा को बेच दिया। मुख्तार के ससुर की कंपनी ने गाजीपुर में यूनियन बैंक ऑफ इंडिया से 1.60 करोड़ रुपये का लोन लिया, तो गणेश दत्त ने इस संपत्ति को बंधक रख दिया। जबकि गणेश दत्त का आगाज प्रोजेक्ट से कोई नाता नहीं था। वह कंपनी का निदेशक, प्रमोटर, शेयर होल्डर, कर्मचारी कभी नहीं रहा। आगाज प्रोजेक्ट में अफशां अंसारी 1.40 फीसद, अब्बास अंसारी 18 फीसद और जमशेद राना 3.21 फीसद के हिस्सेदार थे।