अजीत कुमार सिंह
सफल समाचार
फ्लाई एस का उपयोग बढ़ाने की नई तरीके अन्वेषित करने होंगे – सीजीएम राधे मोहन
ओबरा / सोनभद्र । ओबरा तापीय परियोजना के तापीय प्रशिक्षण संस्थान में फ्लाई ऐश की उपयोगिता बढ़ाने के लिए संगोष्ठी का आयोजन किया गया। पहली बार फ्लाई ऐश विषय पर हुयी सार्वजनिक परिचर्चा के दौरान परियोजना से उत्सर्जित होने वाली ऐश की उपयोगिता वृद्धि के विकल्पों पर विस्तृत चर्चा की गयी। इस दौरान कई उपयोगी सुझाव भी सामने आये। पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय द्वारा गठित ‘‘फ्लाई ऐश मैनेजमेन्ट तथा यूटिलाइजेशन मिशन’’ के निर्देशों के अनुक्रम में हुयी गोष्ठी में फ्लाई ऐश केनिस्तारण की विधियों, फ्लाई ऐश से निर्मित उत्पादों की उपयोगिता, भारत सरकार द्वारा फ्लाई ऐश के यूटिलाइजेशन बढ़ाये जाने हेतु किये जा रहे प्रयासों से जन साधारण को जागरूक कराया गया।गोष्ठी का आयोजन अधीक्षण अभियन्ता (जानपद) एके राय के देख-रेख में अधिशासी अभियन्ता कुमार गौरव, संजय महतो एवं सदानंद यादव के सहयोग से किया गया।
कार्यक्रम का शुभारम्भ दीप प्रज्ज्वलन के साथ हुआ कार्यक्रम का संचालन इ.संदीप मिश्रा ने किया । गोष्ठी के आरम्भ में अधिशासी अभियंता इ.कुमार गौरव ने ओबरा परियोजना द्वारा किये जा रहे प्रयासों के साथ फ्लाई ऐश से जुडी विविध जानकारी प्रस्तुत की।
संगोष्ठी में उपस्थित रहे फ्लाई ऐश ब्रिक निर्माताओं, आस पास गांवों के प्रधानों, लो-लाइंग क्षेत्रों के मालिकों, कन्स्ट्रक्शन कार्यों में लगे ठेकेदारों, जन प्रतिनिधियों एवं राज मिस्त्रयों को राख के यूटिलाइजेशन बढ़ाने हेतु प्रेरित किया गया तथा उनके विचारों को सुना गया, साथ ही उनके द्वारा इंगित की गयी इस प्रक्रिया में आ रही परेशानियों के दृष्टिगत उनको आश्वस्त किया गया कि परियोजना द्वारा उन्हें हरसम्भव सहयोग प्रदान किया जायेगा। इस संगोष्ठी के दौरान फ्लाई ऐश उपयोगिता की वृद्धि के महत्वपूर्ण विषय पर गहन विचार-विमर्श किया गया, जिसके अन्तर्गत इस मिशन के तहत उत्पन्न हो रहे फ्लाई ऐश के मानक उपयोग के बारे में बहुत ही महत्वपूर्ण चर्चा की गयी।
संगोष्ठी के मुख्य अतिथि के रूप में अपने सम्बोधन में मुख्य महाप्रबन्धक, ओबरा इं.राधे मोहन ने कहा कि फ्लाई ऐश का उपयोग कई उद्योगों में हो सकता है, लेकिन यह बहुत ही महत्वपूर्ण है कि हम इसे एक सार्थक और सावधानीपूर्वक तरीके से करें। इसके लिए हमें उचित प्रौद्योगिकी और उपायों का उपयोग करना होगा ताकि हम फ्लाई ऐश का इस प्रकार से उपयोग कर सकें कि पर्यावरण को किसी भी रूप में क्षति ना पहुंचे। हमें फ्लाई ऐश को एक साधारण अपशिष्ट से बचाना होगा और इसे मूल्यवान और उपयोगी रूप में परिवर्तित करनाहोगा। हमें यह समझना होगा कि इस फ्लाई ऐश में किस प्रकार के मिनरल्स और उपादान हैं जिसके अनुरूप हम उन्हें अन्य उद्योगों में उपयोग कर सकते हैं।कहा कि सीमेंट उद्योग में इसका प्रयोग, सड़क / ग्रीन बिल्डिंग निर्माण में इसकी उपयोगिता, और उर्वरक उत्पादन में इसका उपयोग सहित हमें फ्लाई ऐश का उपयोग करने के नये तरीके अन्वेषित करने होंगे।
संगोष्ठी में उपस्थित रहे सहायक अभियन्ता उ0प्र0 प्रदूषण नियन्त्रण बोर्ड यू0के0 गुप्ता तथा सहायक अभियन्ता ओबरा वन प्रभाग अभिषेक राय द्वारा अपने विचार व्यक्त किये गये तथा फ्लाई ऐश के उपयोग के बारे में विस्तृत रूपरेखा प्रस्तुत की गयी, साथ ही आश्वस्त किया गया कि उनके विभागों द्वारा अपेक्षित सहयोग प्रदान किया जायेगा।अनपरा तापीय परियोजना से आये अधीक्षण अभियन्ता आरपी मल्ल ने फ्लाई ऐश के उपयोग वृद्धि के चल रहे प्रयासों से अवगत कराया।
पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष अनिल यादव ने कहा किसभी सरकारी कार्यों में ऐश ब्रिक सहित उसके विविध प्रयोग के लिए जिला प्रशासन को सीधे आदेश जारी कर उसका अनुपालन सुनिश्चित करना चाहिए। समाजसेवी रमेश सिंह यादव,प्रधान प्रतिनिधि बिल्ली मारकुंडी अमरेश यादव ,पनारी प्रतिनिधि लक्ष्मण यादव सहित कई उधोगपतियों ने अपने विचार प्रस्तुत किये।
संगोष्ठी में विशिष्ट अतिथि महाप्रबन्धकगण दूधनाथ (अनपरा), महाप्रबंधक सिविल बीटीपीएस(ओबरा )जबर सिंह एवं वाई .के. गुप्ता, समादेष्टा सी.आई.एस.एफ.एचएस शर्मा, उप जिलाधिकारी ओबरा प्रभाकर सिंह, अनपरा तापीय परियोजना से आये अधीक्षण अभियन्ता आरपी मल्ल, ओबरा परियोजना के अधीक्षण अभियन्तागण समीर भटनागर,निखिल चतुर्वेदी, राकेश सिंह, मणिशंकर राय, सुनील कुमार,अच्युतेश कुमार, राजेश्वर प्रसाद,एससी मिश्र इत्यादि सम्मिलित रहे।