थाना तहसील के बीच चक्करघिन्नी बने फरियादी, मामला टरकाने से बढ़ रहे विवाद

उत्तर प्रदेश देवरिया

शेर मोहम्मद
सफल समाचार

देवरिया:- यह मामला थाना और तहसील के चक्कर में निपटारा न होने के कारण हो गया। हालत यह है कि मुख्यालय पर बैठे अफसर और थाने तक हर दूसरा मामला जमीन विवाद का लेकर फरियादी पहुंच रहे हैं।

इसकी सबसे बड़ी वजह यह है कि पुलिस और राजस्व कर्मी फरियादी को टरकाते रहते हैं। कई मामलों में तो पुलिस यहां तक कह देती है कि जब मारपीट होगी तब केस दर्ज किया जाएगा। ऐसे मामलों को लेकर होने वाली मारपीट में केस तो दर्ज हो जाता है, लेकिन समस्या बरकरार रह जाती है।
जिले में समाधान दिवस पर जनवरी से अब तक आए 253 लंबित मामले थाने पर पहुंचे थे, लेकिन राजस्व का मामला होने के कारण पुलिस ने कार्रवाई नहीं की और समाधान दिवस पर भी मामला लटक गया, जिससे विवाद की जड़ समाप्त नहीं हुई। इतना जरूर है कि मामला जब जिलाधिकारी और पुलिस अधीक्षक के पास पहुंचता है तो स्थानीय थाना कार्रवाई शुरू कर देता है। अभी कुछ दिन पहले बनकटा थाना क्षेत्र निवासी एक महिला ने अपनी बेटी की हत्या में नामजद आरोपियों की गिरफ्तारी के लिए मुख्यमंत्री के जनता दर्शन में गुहार लगाई थी, जब जाकर उसे न्याय मिला।

केस एक

शहर के गरूलपार मोहल्ला निवासी बदामी देवी ने बताया कि पंद्रह साल से उनकी भूमि पर एक व्यक्ति कब्जा किए हुए है। कई बार इसको लेकर मारपीट हुई। मामला थाने पहुंचा, लेकिन समस्या जस की तस बनी रही। शनिवार को समाधान दिवस पर पहुंची महिला ने बताया कि कई बार जिलाधिकारी के आदेश की कॉपी भी पुलिस को दी, लेकिन जमीन पर कब्जा नहीं मिला।
केस दो
रामपुर दुल्लह के शंकर प्रसाद ने बताया कि उनका खेत मरहवा गांव में है। उसकी नाप हुई थी, लेकिन कुछ लोगों ने फिर से नाप कराई और मेरी जमीन दूसरे को दे गई। इसको लेकर समाधान दिवस पर छह बार फरियाद लेकर आ चुका हूं, लेकिन अभी तक न्याय नहीं मिला है।

केस तीन

सदर ब्लाॅक के हरपुर के चंद्रिका प्रसाद पांडेय ने बताया कि उनके तीन भतीजों की शादी गरीबपट्टी निवासी आद्या मिश्र की तीन पुत्रियों से हुई है। उन्होंने वर्ष 2022 में बेटियों के नाम भूमि का दानपत्र लिख दिया, लेकिन एक व्यक्ति विरोध कर रहा है। जबकि वहां उसकी जमीन नहीं है। कागज होने के बाद भी खारिज-दाखिल नहीं हो पा रहा है। तारीख पर तारीख दी जा रही है।

केस चार
तिलई बेलवा के छेदी यादव ने बताया कि पिता ने 2012 में भूमि का बैनामा लिया था। इसके खारिज-दाखिल के लिए तहसील का चक्कर लगा रहा हूं। बारह साल हो गए, अभी तक नाम नहीं चढ़ा। केवल टरकाया जा रहा है।

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