राजकीय होम्योपैथिक अस्पतालों में न डॉक्टर है और न ही बैठने की जगह

उत्तर प्रदेश कुशीनगर

विश्वजीत राय
सफल समाचार

पडरौना। सस्ता व सही होम्योपैथिक इलाज की उम्मीद लिए सैकड़ों मरीज भटक रहे है। कहने को जिले में 46 राजकीय होम्योपैथिक अस्पताल हैं। लेकिन सभी में संसाधनों का संकट है। कहीं बैठने की जगह नहीं है तो कहीं डॉक्टर नहीं है। फार्मासिस्ट मरीजों का इलाज करते हैं। मुख्यालय स्थित राजकीय होम्योपैथिक चिकित्सालय में डॉक्टरों के दो पद स्वीकृत हैं, लेकिन स्थायी तैनाती नहीं है। सोमवार से शुक्रवार तक अलग-अलग अस्पतालों के पांच डॉक्टरों को एक-एक दिन मरीज देखने के लिए निर्देशित किया गया है। जबकि शनिवार को यहां फार्मासिस्ट इलाज करते हैं।
मुख्यालय स्थित जिला अस्पताल परिसर में संचालित राजकीय होम्योपैथिक चिकित्सालय में डॉक्टरों के दो पद स्वीकृत हैं, लेकिन स्थायी रूप से कोई डॉक्टर तैनात नहीं है। विभिन्न डीएसएमओ की तरफ से पांच अलग अलग अस्पतालों के डॉक्टरों को सोमवार से लेकर शुक्रवार तक के लिए तैनात किया गया गया है, जबकि शनिवार को फार्मासिस्ट रामदरश कुशवाहा के जिम्मे मरीजों का इलाज होता है। रोस्टर के अनुसार बृहस्पतिवार को यहां डॉ. धर्मेंद्र चक्रसी की तैनाती थी। उन्होंने दोपहर एक बजे तक 94 मरीजों का इलाज किया था। पडरौना के पुरुष एवं नेत्र चिकित्सालय में स्थित राजकीय होम्योपैथिक चिकित्सालय में भी डॉक्टर की तैनाती नहीं है। वहां फार्मासिस्ट के जिम्मे मरीजों का इलाज होता है।
चरारदीवारी टूटी, फार्मासिस्ट करते हैं इलाज
बनकटा बाजार। यहां 40 साल से राजकीय होम्योपैथिक चिकित्सालय चल रहा है। ग्राम प्रधान मैनेजर गुप्ता ने बताया कि चिकित्सालय की चहारदीवारी कई साल पहले टूटकर गिर गई। इसका निर्माण अब तक नहीं हो सका। चिकित्सालय परिसर में मरीजों को लिए शुद्ध पेयजल का अभाव है। मरीजों के लिए शौचालय भी नहीं है। अस्पताल परिसर में सफाई भी नहीं रहती है। अस्पताल में कोई विशेषज्ञ न होने की वजह से फार्मासिस्ट के सहारे चल रहा है। इस अस्पताल के पूर्व चिकित्सा प्रभारी डॉ. विनय गौंड ने बताया कि विभागीय बजट न होने के वजह से चहारदीवारी का कार्य नहीं हो पाया। स्थानांतरण हो गया है। इस अस्पताल में एक फार्मासिस्ट और दो चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारी हैं। यहां मरीजों का इलाज फार्मासिस्ट करता है।
जर्जर भवन में चल रहा है कुबेरस्थान का होम्योपैथिक अस्पताल
पडरौना। कुबेरस्थान सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में संचालित राजकीय होम्योपैथिक चिकित्सालय का भवन अत्यंत ही जर्जर हो गया है। जान जोखिम में डालकर चिकित्सक इसमें बैठते हैं और मरीजों का इलाज करते हैं। बरसात के दिनों में छत इतना टपकता है कि जरूरी दवाइयां व कागजात खराब हो जाते हैं। इस चिकित्सालय में मरीजों के बैठने के लिए लिए कुर्सी और बेंच तक नहीं है। इस अस्पताल में डॉक्टर व फार्मासिस्ट की तैनाती की गई है। प्रत्येक दिन यहां 50 से 60 मरीजों का इलाज भी होता है। छत से ईंट व सरिया के टुकड़े टूटकर गिर रहे हैं। यहां तैनात डॉ. सौरभ कुमार गुप्ता ने बताया कि विभाग के उच्चाधिकारियों को इस संदर्भ में अवगत कराया गया है
एक कमरे में चल रहा हाटा होम्योपैथिक अस्पताल

हाटा। सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र हाटा के परिसर में जर्जर हो चुके एक कमरे में राजकीय होम्योपैथिक चिकित्सालय चल रहा है। यहां एक डॉक्टर और फार्मासिस्ट की तैनाती है। ओपीडी रिकार्ड के अनुसार प्रतिदिन 60 से 70 मरीज देखे जाते हैं। बृहस्पतिवार की दोपहर तक 40 मरीज देखे जा चुके थे। हाटा के राजकीय होम्योपैथिक अस्पताल में डॉ. सत्यप्रकाश राव और फार्मासिस्ट विजय प्रकाश सिंह की तैनाती है। यह अस्पताल जिस कमरे में चल रहा है उसमें सीलन है। पत्रावलियों को रखने तक की जगह नहीं है। ओपीडी में मरीजों को बैठने तक की जगह नहीं है। फार्मासिस्ट और डॉक्टर एक ही कमरे में बैठते हैं। दवाओं को रखने की भी कोई अच्छी जगह नहीं है। बृहस्पतिवार को इलाज कराने आई पुष्पा देवी और किरन ने बताया कि वह लोग नियमित रूप से यहां से इलाज करा रही हैं। दवाएं मिल रही हैं। यहां तैनात डॉ. सत्यप्रकाश राव ने बताया कि इस समय सबसे अधिक चर्म रोग और हड्डी में दर्द के मरीज आ रहे हैं। भवन को लेकर दिक्कत है। निजी स्तर पर काफी कुछ व्यवस्थाएं करनी पड़ रही हैं।

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