एक्यूआई घटी, खतरा बरकरार, सांस के मरीजों को सतर्क रहने की जरूरत

उत्तर प्रदेश कुशीनगर

विश्वजीत राय
सफल समाचार

पडरौना। दिवाली में पटाखे जलाने के कारण दूषित हवा की गुणवत्ता में धीर-धीरे सुधार हो रहा है। पर, हकीकत यह है कि खतरा अभी भी बरकरार है। मॉर्निंग वाक पर जाने वालों के लिए हवा अभी भी ठीक नहीं है। डॉक्टरों की मानें तो बीते एक सप्ताह के भीतर मौसमी बीमारियों के मरीजों के अलावा सांस व हृदय रोगियों को अभी भी सतर्क रहने की जरूरत है।
दिवाली के दूसरे दिन यानी सोमवार को हवा की गुणवत्ता का सूचक (एक्यूआई) 163 दर्ज की गई थी। वहीं, मंगलवार को 201, बुधवार को 247, बृहस्पतिवार को करीब 200 और शुक्रवार को एक्यूआई घटकर 130 पर पहुंच गई। हुई है। दिवाली के बाद से अब तक प्रदूषण धीरे-धीरे कम जरूर हुआ, लेकिन इसका स्तर स्वास्थ्य के लिए नुकसानदायक है। घटते-बढ़ते प्रदूषण के कारण लोगों को सांस लेने में दिक्कत होने के साथ गले में खराश और आंखों में जलन आदि समस्या का सामना करना पड़ रहा है। सबसे अधिक परेशानी अस्थमा के मरीजों को हो रही है। फेफड़ा रोग विशेषज्ञ डॉ. विकास गुप्ता ने बताया कि प्रतिदिन सौ से अधिक मरीज ओडीपी में आते हैं। दिवाली के बाद से अब तक हर रोज करीब दस फीसदी मरीज ऐसे आ रहे हैं, जिन्हें सांस संबंधित बीमारी है। इनमें से करीब तीन प्रतिशत ऐसे मरीज हैं। इन्हें सांस संबंधित दिक्कत पहली बार महसूस हो रही है। उनका उपचार कर घर से बाहर निकलते समय मास्क पहनने, गर्म पानी पीने, धूल-धक्कड़ वाले स्थान पर जाने से परहेज करने समेत अन्य जरूरी एतिहात बरतने का सुझाव दिया जा रहा है। पुरुष एवं नेत्र चिकित्सालय के शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. सुभाष प्रसाद ने बताया कि दिवाली के बाद मौसम में अचानक बदलाव हुआ है। ऐसे में बच्चों में निमोनियां, सर्दी, जुखाम जैसी संक्रामक बीमारियां बढ़ी है। इन बीमारियों से बचाव के लिए बच्चों को जरूरत के मुताबिक पर्याप्त कपड़ा पहनाएं। उन्हें पसीना होने पर अचानक से कपड़े न उतारें।

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