विश्वजीत राय
सफल समाचार
कप्तानगंज। दिवाली के बाद अब छठ में भी ट्रेनों में कन्फर्म टिकट न मिलन से यात्रियों को परेशानी बरकरार है। रोजी-रोटी के सिलसिले में दूसरे प्रदेशों में नौकरी करने वाले बच्चों के मुंडन, मनौती पूरी होने पर कोशी भरने और परिवार के साथ त्योहार मनाने की हसरत लिए ट्रेनों से घर आ रहे हैं। ट्रेनों में जगह न होने के कारण खिड़की और शौचालय तक में पैर रखने की जगह नहीं रह रही है। पूरा सफर खड़े-खड़े तय करके घर आना पड़ रहा है। शुक्रवार को ट्रेन से कप्तानगंज जंक्शन पर उतरे परदेशियों ने अपने सफर में गुजारी की गई कठिनाइयां बयां कीं।
यात्रियों ने बताया कि त्योहार में यात्रा करना मुश्किल हो गया है। अगर किसी तरह सीट मिल भी जा रही है तो बैठकर ही सफर पूरा करना पड? रहा है। ट्रेन से स्टेशन पर उतरने में भी बड़ी परेशानी हो रही है। हर बोगी खचाखच भरी रह रही है। जो जहां बैठा वहीं रह जा रहा है।
गोरखपुर-नरकटियागंज रेल खंड का कप्तानगंज रेलवे स्टेशन जंक्शन होने के साथ यहां से तीन रूटों की ट्रेनों का संचालन होता है। इस वजह से कुशीनगर, महराजगंज और बिहार तक के यात्री यहां से आकर ट्रेन पकड़ते हैं। लोग मुंबई, दिल्ली, अहमदाबाद, लखनऊ, कानपुर, कोलकाता, पटना तक की यात्रा करते हैं। छठ पर्व में लोगों को अपने घर पहुंचना मुश्किल हो गया है। किसी तरह अगर सीट मिल भी जा रही है तो बैठे-बैठे भी हालत खराब हो जा रही है।
ट्रेन पर चढ़ना और उतरना मुश्किल
कप्तानगंज रेलवे जंक्शन पर दिल्ली से रक्सौल को जाने वाली 15274 सत्याग्रह एक्सप्रेस शुक्रवार सुबह 11:47 बजे प्लेटफार्म नंबर एक पर पहुंची। खिड़की और बाथरूम तक यात्री भरे थे। ट्रेन में चढ़ना तो दूर उतरना भी मुश्किल था। इसी तरह बांद्रा से बरौनी तक जाने वाली 19037 अवध एक्सप्रेस दोपहर 3:38 बजे पहुंची। उसमें सीट पाने के लिए यात्री दौड़ते-भागते दिखे।
यात्री बोले-
सत्याग्रह एक्सप्रेस से दिल्ली से कप्तानगंज पहुंचने में बहुत दिक्कतें हुईं। क्योंकि कन्फर्म टिकट न होने के कारण जनरल बोगी में यात्रा करनी पड़ी।
श्याम बदन कुशवाहा, राजपुर
दिल्ली से कप्तानगंज की यात्रा करना सत्याग्रह एक्सप्रेस से बहुत भारी पड़ा। सीट तो किसी तरह मिल गई, लेकिन सीट से खड़ा होना बहुत मुश्किल रहा। नाश्ता और पानी के लिए तरसना पड़ा।
नंदलाल, विजयपुर
इंजीनियरिंग की पढ़ाई नोएडा में करता हूं। दिवाली में घर आया हूं। पूरे महीने किसी भी ट्रेन में कन्फर्म टिकट नहीं है। तत्काल के लिए कोशिश करुंगा, नहीं तो सड़क रास्ते से जाना पड़ेगा।
राजवीर श्रीवास्तव, कप्तानगंज
दिवाली में घर आया था, लेकिन किसी भी ट्रेन में कंफर्म टिकट न होने के कारण यात्रा को टालना पड़ रहा है। क्योंकि कंफर्म टिकट न मिलने के कारण यात्रा करना मुश्किल हो जाएगा।
भीम मिश्रा, कप्तानगंज