सुनीता राय
सफल समाचार
गोरखपुर शहर में प्रदूषण का स्तर फिर दिवाली के दिन जैसा हो गया है। बृहस्पतिवार को सुबह 11 बजे एक्यूआई 160 तक पहुंच गया। प्रदूषण बढ़ाने में शहर में उड़ रहे धूल के कणों के अलावा वाहनों के धुएं की भी अहम भूमिका है। दिवाली-छठ के बाद परदेसियों के लौटने तो इधर लगन भी शुरू होने से शहर में वाहनों की संख्या बढ़ गई है, इससे प्रदूषण बढ़ता जा रहा है।
डॉक्टरों का कहना है कि लंबे समय तक प्रदूषण का स्तर बढ़ा रहने पर फेफड़ा, गला, नाक और हृदय से जुड़ी बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है। पहले से बीमार लोगों के लिए यह स्थिति और भी खतरनाक है।
शहर में पड़ोसी जिला देवरिया, कुशीनगर, महाराजगंज के अलावा पड़ोसी प्रांत बिहार के गोपालगंज, बगहा, बेतिया, मैरवा आदि तक के लोग दवा और शादी के सामान खरीदने आते हैं। इसीलिए कुशीनगर रोड स्थित मोहद्दीपुर चौराहे पर हर वक्त जाम लगता है। इधर, तीन-चार दिनों से सुबह से लेकर देर शाम तक जाम से लोगों को जूझना पड़ता है। जाम में फंसे वाहनों के धुएं से राहगीरों के अलावा अगल-बगल के घरवाले और दुकानदार भी परेशान हैं।
आई स्पेशलिस्ट डॉ. वाई सिंह ने कहि कि इन दिनों धूल और धुएं का प्रदूषण ओस की बूंदों के साथ मिलकर स्मॉग बना देता है। इससे आंखों में जलन, लालिमा, खुजली, दर्द होने आदि की समस्या आ रही है। यह स्मॉग आंखों के अलावा फेफड़े के लिए भी खतरनाक है। लोगों में एलर्जी के मामले भी बढ़ रहे हैं।
ओपीडी में आंख के मरीजों की संख्या बढ़ रही है। सबसे अधिक शिकायत आंखों में जलन और आंख लाल होने की आती है। लोगों को सलाह दी जाती है कि थोड़ी-थोड़ी देर पर ठंडे पानी से आंखाें को धोते रहें। प्रयास करें कि घर से बाहर निकलें तो चश्मा पहन लें या बाइक चलाते समय हेलमेट का शीशा गिराकर रखें, जिससे कि आंखों में धूल व धुएं के कण सीधे न जाएं।