विश्वजीत राय
सफल समाचार कुशीनगर
जिला अस्पताल में रात के वक्त नहीं मिलती डॉक्टर, परेशान हो रहे मरीज
कुशीनगर।मेडिकल कॉलेज से संबद्ध होने के बाद भी जिला अस्पताल की व्यवस्थाओं में कोई खासा बदलाव देखने को नहीं मिल रहा है। न तो रात के वक्त फार्मेसी ही खुल रही है और न ही रात में यहां महिला डॉक्टर ही रूक रहीं हैं।
दिन के वक्त आने वाली प्रसव पीड़ित महिलाओं को तो उपचार मिल जा रहा है, लेकिन रात आठ बजे के बाद प्रसव पीड़ा होने पर जिला अस्पताल पहुंच रहीं महिलाओं को दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। कारण यह कि यहां रात के वक्त महिला डॉक्टर नहीं रूक रहीं है। गंभीर हालत में पहुंची प्रसूताओं को लेकर परिजन प्राइवेट अस्पतालों में उपचार कराने को मजबूर हैं।
कुशीनगर जिले के संयुक्त जिला अस्पताल को मेडिकल कॉलेज में मर्ज किया जा चुका है। इस साल से यहां मेडिकल की पढ़ाई भी शुरू होगी। ऐसे में अभी कई और व्यवस्थाओं को बेहतर बनाने की जरूरत है। जिला अस्पताल के परिसर में बने एमसीएच विंग में महिलाओं के लिए 100 बेड का इंतजाम है। यहां मौजूदा समय कुल चार महिला डॉक्टर तैनात हैं। ओटी की व्यवस्था से भी एमसीएच विंग लैस है। इनकी ड्यूटी दिन के वक्त ही लगती है। शाम को छह बजे तक सभी महिला डॉक्टर चली जाती हैं। रात 8 बजे से आने वाली महिलाओं को डॉक्टर के अभाव में या तो लौटना पड़ रहा है या फिर उन्हें निजी अस्पतालों में जाना पड़ रहा है। एक मरीज के तीमारदार ने बताया कि वह अपनी पत्नी को लेकर रात में साढ़े नौ बजे के
बाद अस्पताल पर पहुंचा। उस वक्त कोई डॉक्टर नहीं होने के कारण काफी परेशान होना पड़ा। अगले दिन सुबह लेकर आया तो डॉक्टर ने ऑपरेशन से बच्चे का जन्म कराया। कई अन्य मरीजों ने भी रात के वक्त डॉक्टर न होने की बात बताई।
इस संबंध में स्वशासी मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ. आरके शाही ने बताया कि जिला अस्पताल की कई व्यवस्थाओं को पहले से बेहतर किया गया है। डॉक्टरों की कमी को दूर किया जा रहा है। जल्द ही कई विभागों में नए डॉक्टर मिल जाएंगे। इसके बाद सभी तरह की समस्याएं खत्म हो जाएंगी।