कुशीनगर सीएचसी आइए तो पानी की बोतल भी साथ लाइए

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विश्वजीत राय 

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कुशीनगर सीएचसी आइए तो पानी की बोतल भी साथ लाइए 

 

सीएचसी विशुनपुरा में खराब पड़ी है आरओ मशीन, पेयजल की किल्लत बरकरार-एक्स-रे मशीन भी इंस्टाल नहीं, अल्ट्रासाउंड के लिए मेडिकल कॉलेज जाना मजबूरी

 

मंसाछापर। अगर आप सीएचसी विशुनपुरा में उपचार कराने के लिए आ रहे हैं, तो साथ में पानी की बोतल ले जाना मत भूलिए।

 

सीएचसी में पेयजल की उपलब्धता न होने से इस गर्मी में आपको पानी के लिए तरसना पड़ सकता है। लो-वोल्टेज के कारण यहां लगी आरओ मशीन खराब है। इसके अलावा सीएचसी पर मरीजों के लिए कई अन्य सुविधाएं भी नहीं हैं। एक्स-रे मशीन आने के बाद भी अब तक इंस्टाल नहीं हो सकी है। वहीं, अल्ट्रासाउंड की सुविधा न होने से जरूरतमंदों को या तो बाहर अधिक रुपये देकर जांच करानी पड़ती है, या उन्हें मेडिकल कॉलेज जाना पड़ता है। 

मंगलवार को दिन के 11 बजे सीएचसी विशुनपुरा पर सभी चिकित्सक कक्ष में मौजूद मिले और मरीजों का उपचार करते नजर आए। अभी तीन दिन पूर्व ही सीएमओ डॉ. सुरेश पटारिया ने आकस्मिक निरीक्षण किया था। इसके बाद से ही मंगलवार को यहां डॉक्टर व कर्मी मौजूद मिले। 

सीएचसी प्रभारी डॉ. जीशान अपने कक्ष में बैठकर विभागीय कार्य निपटाते मिले। डॉ. रिजवान और चीफ फार्मासिस्ट अनिरुद्ध सिंह मारपीट में घायल लोगों का मेडिकल करने में लगे थे। महिला डॉ. अंजुलता मरीजों को देख रहीं थी। वहीं, डॉ. राजकुमारी साहू प्रतिकर पर थीं। एक चिकित्सक डॉ. हरिपाल विश्वकर्मा की जिला मुख्यालय पर मेडिकल में ड्यूटी लगी थी। 

सीएचसी परिसर में लगी आरओ मशीन कुछ माह से खराब है। यहां आने वाले मरीज व उनके तीमारदार साथ में पानी की बोतल लेकर आते हैं। अगर किसी ने घर से पानी नहीं लाया तो

उसे बाहर से खरीदकर पीना पड़ता है। तमाम कोशिशों के बाद भी मशीन को ठीक नहीं कराया जा सका है। परिसर में लगा इंडिया मार्क हैंडपंप भी दूषित पानी देता है। चिकित्सक व स्वास्थ्यकर्मी भी अपने साथ पानी लेकर ही आते हैं।

 

 

एक्स-रे मशीन इंस्टाल नहीं 

 

सीएचसी को करीब 10 दिनों पूर्व एक्स-रे मशीन मिली है, लेकिन अब तक लापरवाही के कारण उसे इंस्टाल नहीं की गई है। इसके कारण हड्डी से जुड़े मरीज आज भी मेडिकल कॉलेज या निजी अस्पताल में जाने को मजबूर हैं। गरीब मरीजों को काफी समस्याओं का सामना करना पड़ता है। एक्स-रे मशीन के लिए टेक्नीशियन की तैनाती भी हो चुकी है, लेकिन वे भी मशीन के इंस्टाल नहीं होने से बिना काम के ही बैठे रहते हैं।

 

 

अल्ट्रासाउंड की सुविधा नहीं, निजी अल्ट्रासाउंड वाले उठाते हैं फायदा 

 

सीएचसी का दर्जा मिलने के बाद आज भी कई महत्वपूर्ण संसाधन नहीं मिले हैं। अल्ट्रासाउंड मशीन नहीं होने से मरीजों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। सीएचसी पर

प्रत्येक सप्ताह और महीने में चार बार गर्भवती महिलाओं की जांच होती है, लेकिन उन्हें पडरौना जाना पड़ता है। इसमें पूरे दिन का समय लग जाता है और ऊपर से धन भी अधिक खर्च करना पड़ता है। जबकि सीएचसी पर अल्ट्रासाउंड की व्यवस्था न होने से निजी अल्ट्रासाउंड वाले इसका फायदा उठाते हैं।

 

एक्स-रे मशीन मिल चुकी है, लेकिन उसको इंस्टाल नहीं किया जा सका है। इसके लिए कई बार बोला गया है, लेकिन इंजीनियर नहीं आये हैं। लो-वोल्टेज के कारण आरओ मशीन नहीं चलता है। सीएचसी पर पानी के जार की व्यवस्था की गई है ताकि मरीज व तीमारदार को पेयजल के लिए परेशान न होना पड़े। 

 

डॉ. जिशान अलीम, एमओआईसी-सीएचसी विशुनपुरा

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