डॉ श्वेता और डॉ शालिनी से विश्व पर्यावरण दिवस पर चर्चा

उत्तर प्रदेश गोरखपुर संपादकीय

सफल समाचार 

विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर हमारे साथ जुड़ी है आज की चर्चा में डॉ. शालिनी श्रीवास्तव जो की प्रवक्ता है सेंट एंड्रयूज कॉलेज गोरखपुर में और डॉ श्वेता जॉनशन जो की मनोवैज्ञानिक/प्रवक्ता है।

पर्यावरण नाशेन नाश्यन्ति सर्व जन्तवः |

पवनः दुष्टताम याति प्रकृति विकृतायते ||”

संस्कृत के इस श्लोक का अर्थ बताते हुए डॉ शालिनी ने बताया कि ‘पर्यावरण के विनाश से सभी प्राणी नष्ट हो जाते हैं, संपूर्ण वायुमंडल विषैला हो जाता है , और प्रकृति शत्रुता पूर्ण हो जाती है|’
हमारी भारतीय संस्कृति और परंपरा प्रकृति के बहुत करीब रही है | हमारी पुरातन जीवन शैली पूर्ण रूप से पर्यावरण के प्रति स्नेह, प्रेम और समर्पण आधारित रही है |यहां रीति रिवाज ,परंपराएं , प्रथाएं सामान्यतः प्रकृति संरक्षण के लिए ही बनाई गई थी|
आज मानव इतना विकास कर चुका है और इतना शिक्षित हो गया है की अपनी ही जीवन रेखा यानी की प्रकृति का विनाश कर बैठा है | चारों तरफ प्रचंड गर्मी प्रदूषित पर्यावरण ने हाहाकार मचा रखा है| तमाम अलर्ट के बावजूद लोगों में ना संवेदनशीलता दिख रही है , ना ही चिंता कि अब से हम अपनी जड़ों को, अपनी सांसों को, टूटने से रोके | तरक्की हमने इतनी कर ली की तमतमाते सूरज को मात देने के लिए घर के कोने-कोने में एसी ,कूलर , फ्रिज पलक झपकते लगा डाल रहे हैं | लेकिन हर बार की तरह कुछ देर के सुख के लिए भयंकर परिणाम को अनदेखा कर रहे हैं|
संवेदनहीनता का स्तर 45°- 55°C के प्रचंड गर्मी के स्तर से भी पर हो चुका है| हमारे आसपास मनुष्य, पशु, पक्षी गर्मी से बेहाल प्यास से तड़प कर मर रहे हैं | लगातार चलते एसी, कूलर यहां तक की भारी पेट्रोल की टंकियो वाले वाहन विस्फोटक होते जा रहे हैं , सांस घुट रही हैं| इतनी क्रूर स्थिति में भी हम वो नहीं कर रहे जो हमें सबसे पहले और सबसे ज्यादा करना है| हमें हर कोने, हर जमीन के टुकड़े, छत के ऊपर, सड़क के किनारे, पार्क में असंख्य पेड़ लगाने हैं| पक्षियों को दाने देना है और पशुओं को पानी पिलाना है |
हमें विज्ञान और विकास का दुरुपयोग ना करके जल , विद्युत, ईंधन को बचाना है, रोकना है इस विनाशक प्रदूषण को| साथ ही प्रत्येक व्यक्ति को प्रकृति के महत्व और उसके अस्तित्व की आवश्यकता को समझाना है |
आइए पर्यावरण संरक्षण की इस मुहिम में शामिल होइये| क्योंकि इस प्रदुषित आग में झुलस जाने का अगला नंबर हमारा आपका भी हो सकता है|

वही डॉ श्वेता जॉन्सन ने बताया की इस विश्व पर्यावरण दिवस पर, हम सभी को एकजुट होकर वृक्षारोपण और पर्यावरण संरक्षण की दिशा में ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है। पेड़ लगाएं, प्रकृति को संवारें, और भविष्य की पीढ़ियों के लिए एक स्वस्थ और हरा-भरा ग्रह सुनिश्चित करें।

विश्व पर्यावरण दिवस के उपलक्ष्य में, वृक्षारोपण गतिविधियों और पर्यावरणीय जागरूकता को बढ़ावा देने के लिए विश्व भर में कई पहल और कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं:

 इस वर्ष की थीम, “हमारे पृथ्वी को पुनः स्थापित करें,”

 

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