गंगा दशहरा की पूर्व संध्या पर राबर्ट्सगंज कचहरी परिसर स्थित अधिवक्ता कक्ष में हुआ काव्य गोष्ठी का आयोजन

उत्तर प्रदेश सोनभद्र

सफल समाचार गणेश कुमार 

 

गंगा दशहरा की पूर्व संध्या पर राबर्ट्सगंज कचहरी परिसर स्थित अधिवक्ता कक्ष में हुआ काव्य गोष्ठी का आयोजन

मां शारदे भवानी हम सब की लाज रख ले मैया, बचा ले पानी

कवियों ने एक से बढ़कर एक कविता पाठ कर लोगों को किया मंत्रमुग्ध

सोनभद्र। गंगा दशहरा के पूर्व संध्या पर पावन पुनीत मां गंगा को समर्पित काव्य संध्या का आयोजन कचहरी परिसर में आयोजित कर शनिवार को शहीद स्थल प्रबंधन ट्रस्ट करारी द्वारा सारस्वत यज्ञ संपन्न हुई। आयोजक प्रदुम्न त्रिपाठी एडवोकेट निदेशक शहीद स्थल प्रवंधन ट्रस्ट करारी सोनभद्र ने मां शारदे भवानी मां शारदे भवानी,हम सब की लाज रख ले मैया बचा ले पानी से विधिवत शुभारंभ किया।उनकी देश भक्ति परक रचना,सर कटाते रहेंगे वतन के लिए काफी सराही गई।कुशल संचालन कर रहे गीतकार दिलीप सिंह दीपक ने,चांदी की परतें चढ़ी है बस समेटो बस समेटो, मृत्यु के उस पार क्या है वक्त कहता कुछ तो सोचो सुनाकर जागरण किया। धर्मेश चौहान एडवोकेट ने,अपना फर्ज निभाओ मेरे देशवासियों, जुल्म की आग बुझाओ मेरे देशवासियों सुनाकर वाहवाही बटोरी। लोक भाषा के कवि दयानंद दयालू ने कजली के माध्यम से,एतना काहे बदे कमैला,,केहू के नाहीं खिअवला ना सुनाकर मानवीयता के प्रति अनुराग जगाया।शायर अशोक तिवारी ने,दिल से तुमको प्यार किया और क्या किया,,यूं जिंदगी गुजार दिया और क्या किया, सुनाकर श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। विकास वर्मा बाबा ने,दूर थे तुम तो हर चीज बेनूर थी,पास आये सुहानी फिजां हो गई सुनाकर प्यार को परिभाषित किया और सराहे गए।ओज के कवि प्रभात सिंह चंदेल ने शहादत ही इबादत है वतन से प्यार करना है,भले बलिदान हो जायें वतन की रक्षा करना है सुनाकर राष्ट्र अनुराग जगाया। राकेश शरण मिस्र एडवोकेट ने नेताओं के करनी कथनी में अंतर होता है। हमेशा आम नहीं बबूल बोता है सुनाकर गुदगुदाये।अध्यक्षीय काव्य पाठ करते हुए दिवाकर मेघ ने,शूल बिछाकर चुपके-चुपके जीवन दूभर कर देते हो। सुनाकर श्रोताओं को सोचने पर बाध्य कियाऔर पूर्णता दिये। आभार व्यक्त करते हुए प्रदुम्न त्रिपाठी एडवोकेट ने गंगा को समर्पित रचना,हरिहर विधि जब कीन्ह कृपा अघ तारन हारन गंगा आई । भाग्य भगीरथ उदय हुआ हर हर बम-बम धुनि कान सुनाई। सुनाकर धन्यवाद ज्ञापित किया।इस अवसर पर जयशंकर त्रिपाठी रिषभ, ठाकुर कुशवाहा, देवानंद पांडेय, संजीव पांडेय, गोपाल बंगाली आदि मौजूद रहे।

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